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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
इसी तरह की वाहियात हरकतों और चुदाई के दौरान कब मैं या तो बेहोश हो गयी या नींद के आगोश में चली गयी, मुझे पता ही नहीं चला। जब होश आया तो कुछ पलों के लिये तो समझ ही नहीं आया कि मैं हूँ कहाँ। मैं फर्श पर ही पसरी हुई थी और ज़ाहिर है कि मैं सिर्फ सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी थी। आसपास कोई नज़र नहीं आया। पूरे जिस्म में अकड़ाहट और मीठे से दर्द का एहसास था। नशा अभी भी पूरी तरह उतरा नहीं था। मैंने ज़ोरदार अंगड़ाइयाँ लीं और खड़े होते हुए उन्हें पुकारा। लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। कमरे में मैं अकेली ही मौजूद थी। घड़ी में समय देखा तो मैं चौंक गयी क्योंकि सुबह के पौने ग्यारह बज रहे थे। सुबह का सेमिनार सेशन कब से शुरू हो चुका होगा। मैंने अंदाज़ा लगाया कि ओरिजी और माइक भी वहीं गये होंगे। तभी मुझे ससुर जी का ख्याल आया । सुबह मुझे अपने कमरे से नदारद पा कर पता नहीं उन्होंने क्या सोचा होगा।
 
अपने कमरे में जाने से पहले मैंने वहीं फ्रेश होने का इरादा बनाया क्योंकि मेरा जिस्म वीर्य, पेशाब और थूक से सना हुआ था और सिर भी नशे में घूम रहा था। अगले आधे-घंटे तक मैं खूब अच्छे से शॉवर के नीचे नहायी। नहाने के बाद मैं तौलिया लेपेटे हुए हेयर-ड्रायर से अपने बाल सुखा रही थी कि तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और ओरिजी अंदर आ गया। उसने कले रंग का सूट पहना हुआ था जिससे साफ ज़ाहिर था कि वो सेमिनार अटेंड करने गया था। उसने आते ही पीछे से मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और मेरी गर्दन चूमने लगा।
 
“ऊँऊँहह लीव मी प्लीज़.... मॉय हेड इज़ पेनिंग सो मच! ऑय वाँट टू गो टू मॉय रूम!” उसके आगोश में कसमसाते हुए मैं बोली लेकिन मैंने उससे दूर हटने की ज़रा भी कोशिश नहीं की। उसने मेरा तौलिया हटा कर एक तरफ उछाल दिया।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 30-12-2021, 11:58 PM



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