23-12-2021, 09:57 PM
“ओहह... सुमित... माय डार्लिंग... तुम्हारी पेंसिल मेरे शार्पनर के लिये बिल्कुल फिट है.... आआआआहहह.... वेरी गुड लगे रहो.... ऐसे ही धक्के मारते रहो... सुमित... मेरे खरबूजों को ना भूलो... इन्हें तुम्हारे हाथों की सख्त ज़रूरत है!”
“मैडम... आहह... आपकी चूत मारने में बहुत मज़ा आ रहा है!”
“आआहहहह... सुमित... अपनी मैडम के खर्बूजों को तो खाओ!”
फिर मैं धक्के देने के साथ-साथ मैडम के निप्पलों को मुँह में लेकर चूसने लगा।
“आआआआईईईईईई.... सुमित... और तेज... तेज... जोर-जोर से धक्के मारो... आज अच्छी तरह ले लो मेरी चूत… स्पीड बढ़ाओ!!!”
मैंने तेज-तेज धक्के मारने शुरू कर दिए। करीब १५ मिनट बाद मैडम बोलीं, “आआआआ... ओहह... सुमित.... तेज.... मैं आने वाली हूँ…” और हम दोनों एक साथ ही झड़े।
“आआआआआ.... आआहह... आई लव यू सुमित... मज़ा आ गया!”
“येस मैडम... आपका शार्पनर गज़ब का है!”
“तुम्हारी पेंसिल भी कमाल की है।”
“मैडम, क्या मैं अपनी पेंसिल आपके शार्पनर से फिर एक बार शार्प का सकता हूँ?”
“श्योर... लेकिन बाकी का काम घर चल कर... और फिर अभी तो मुझे कार सीखने में कुछ दिन और लगेंगे!”
तब हमने अपने कपड़े ठीक किये और अचानक मैडम ने कार का दरवाजा खोला और ड्राईविंग सीट पर बैठ गईं। उन्होंने बड़ी दक्षता से कार स्टार्ट की और देखते ही देखते कार हवा से बातें करने लगी। शहर की घुमावदार सड़कों से होती हुई कार कुछ ही समय में मैडम के घर के सामने थी। इस दौरान मेरे मुख से कोई बोल नहीं फूटे बल्कि मैं हक्का-बक्का सा मैडम को कार ड्राईव करते देखता रहा।
“सुमित आओ... कुछ देर बैठते हैं… तुम काफ़ी थक भी गये हो। चाय नाशता कर के जाना।”
“पर मैडम आप तो कार चलाने में पूरी एक्सपर्ट हैं।”
“अरे अब अंदर भी तो आओ। या यहीं बाहर खड़े ही सब पूछते रहोगे?”
“मैडम... आहह... आपकी चूत मारने में बहुत मज़ा आ रहा है!”
“आआहहहह... सुमित... अपनी मैडम के खर्बूजों को तो खाओ!”
फिर मैं धक्के देने के साथ-साथ मैडम के निप्पलों को मुँह में लेकर चूसने लगा।
“आआआआईईईईईई.... सुमित... और तेज... तेज... जोर-जोर से धक्के मारो... आज अच्छी तरह ले लो मेरी चूत… स्पीड बढ़ाओ!!!”
मैंने तेज-तेज धक्के मारने शुरू कर दिए। करीब १५ मिनट बाद मैडम बोलीं, “आआआआ... ओहह... सुमित.... तेज.... मैं आने वाली हूँ…” और हम दोनों एक साथ ही झड़े।
“आआआआआ.... आआहह... आई लव यू सुमित... मज़ा आ गया!”
“येस मैडम... आपका शार्पनर गज़ब का है!”
“तुम्हारी पेंसिल भी कमाल की है।”
“मैडम, क्या मैं अपनी पेंसिल आपके शार्पनर से फिर एक बार शार्प का सकता हूँ?”
“श्योर... लेकिन बाकी का काम घर चल कर... और फिर अभी तो मुझे कार सीखने में कुछ दिन और लगेंगे!”
तब हमने अपने कपड़े ठीक किये और अचानक मैडम ने कार का दरवाजा खोला और ड्राईविंग सीट पर बैठ गईं। उन्होंने बड़ी दक्षता से कार स्टार्ट की और देखते ही देखते कार हवा से बातें करने लगी। शहर की घुमावदार सड़कों से होती हुई कार कुछ ही समय में मैडम के घर के सामने थी। इस दौरान मेरे मुख से कोई बोल नहीं फूटे बल्कि मैं हक्का-बक्का सा मैडम को कार ड्राईव करते देखता रहा।
“सुमित आओ... कुछ देर बैठते हैं… तुम काफ़ी थक भी गये हो। चाय नाशता कर के जाना।”
“पर मैडम आप तो कार चलाने में पूरी एक्सपर्ट हैं।”
“अरे अब अंदर भी तो आओ। या यहीं बाहर खड़े ही सब पूछते रहोगे?”