23-12-2021, 09:56 PM
मैंने कार झाड़ियों में ले जा कर रोक ली और हम कार से बाहर आ गये।
“बस थोड़ी देर आराम कर लेते हैं... हाँ तो सुमित इस शादी-शुदा और २ बच्चों की अम्मी मे तुमको क्या अच्छा लगता है?”
“मैडम... एक बात बोलूँ?”
“हाँ बोलो!”
“मैडम... आपका ड्रेसिंग सैंस बहुत अच्छा है और आपके खरबुजे बहुत अच्छे हैं”
“क्या?? खरबुजे? मैं क्या कोई पेड़-पौधा हूँ जो मुझ में खरबूजे हों?”
“मैडम यह वाले खरबुजे” मैंने मैडम की चूचियों को दबाते हुए कहा।
“आहह। उहहह।”
“मैडम आपके तरबूज भी बहुत अच्छे हैं”
“क्या... तरबूज? मुझ में तरबूज कहाँ हैं” वोह हँसते हुए बोलीं।
“मैडम... मेरा मतलब आपके चूत्तड़” और मैंने उनकी गाँड पर अपना हाथ रख दिया।
“झूठ!! मेरे चौड़े और मोटे चूत्तड़ क्या तुम्हें अच्छे लगते हैं?” यह कह कर मैडम मेरी तरफ़ पीछे मुड़ गयीं और अपनी सलवार नीचे कर दी। मैडम ने पैंटी नहीं पहनी हुई थी।
“देखो ना... कितने बड़े हैं मेरे चूत्तड़!”
मैं तो देखता ही रह गया। मैडम के चूत्तड़ मेरे मुँह के पास थे। मैं मैडम के चूत्तड़ों पर हाथ फेरने लगा।
“मैडम मुझे तो ऐसे ही चूत्तड़ अच्छे लगते हैं। गोरे-गोरे और बड़े-बड़े... मैडम... आपके चूत्तड़ों की महक बहुत अच्छी है।” यह कह कर मैं मैडम के चूत्तड़ों पर किस करने लगा। मैं मैडम के चूत्तड़ों के बीच की दरार में जीभ मारने लगा।
“ओह... ऊऊऊऊ.... सुमित यह क्या कर रहे हो?”
“मैडम... मुझे तरबूज बहुत अच्छे लगते हैं!”
“आहहह... और क्या अच्छा लगता है तुम्हें!”
“च्युईंग गम!!!”
“बस थोड़ी देर आराम कर लेते हैं... हाँ तो सुमित इस शादी-शुदा और २ बच्चों की अम्मी मे तुमको क्या अच्छा लगता है?”
“मैडम... एक बात बोलूँ?”
“हाँ बोलो!”
“मैडम... आपका ड्रेसिंग सैंस बहुत अच्छा है और आपके खरबुजे बहुत अच्छे हैं”
“क्या?? खरबुजे? मैं क्या कोई पेड़-पौधा हूँ जो मुझ में खरबूजे हों?”
“मैडम यह वाले खरबुजे” मैंने मैडम की चूचियों को दबाते हुए कहा।
“आहह। उहहह।”
“मैडम आपके तरबूज भी बहुत अच्छे हैं”
“क्या... तरबूज? मुझ में तरबूज कहाँ हैं” वोह हँसते हुए बोलीं।
“मैडम... मेरा मतलब आपके चूत्तड़” और मैंने उनकी गाँड पर अपना हाथ रख दिया।
“झूठ!! मेरे चौड़े और मोटे चूत्तड़ क्या तुम्हें अच्छे लगते हैं?” यह कह कर मैडम मेरी तरफ़ पीछे मुड़ गयीं और अपनी सलवार नीचे कर दी। मैडम ने पैंटी नहीं पहनी हुई थी।
“देखो ना... कितने बड़े हैं मेरे चूत्तड़!”
मैं तो देखता ही रह गया। मैडम के चूत्तड़ मेरे मुँह के पास थे। मैं मैडम के चूत्तड़ों पर हाथ फेरने लगा।
“मैडम मुझे तो ऐसे ही चूत्तड़ अच्छे लगते हैं। गोरे-गोरे और बड़े-बड़े... मैडम... आपके चूत्तड़ों की महक बहुत अच्छी है।” यह कह कर मैं मैडम के चूत्तड़ों पर किस करने लगा। मैं मैडम के चूत्तड़ों के बीच की दरार में जीभ मारने लगा।
“ओह... ऊऊऊऊ.... सुमित यह क्या कर रहे हो?”
“मैडम... मुझे तरबूज बहुत अच्छे लगते हैं!”
“आहहह... और क्या अच्छा लगता है तुम्हें!”
“च्युईंग गम!!!”