23-12-2021, 09:51 PM
“मैडम इस में प्रॉब्लम क्या है…। आपको जब कुछ चाहिए तो आप मुझे कह दीजिएगा।”
“नहीं ऐसी बात नहीं है... दैट्स नाईस आफ़ यू.... सुमित तुम्हे कार चलानी आती है क्या?”
“येस मैडम।”
“तुम मुझे कार चलाना सिखा सकते हो... मेरे हसबैंड तो सारा दिन बिज़ी रहते हैं... और आज कल तो हमारी कार खाली ही खड़ी है... हसबैंड तो आफिस की कार ले गये हैं”
“येस मैडम मॉय प्लेज़र। मैं आपको कार चलाना सिखा दूँगा।”
“कितना टाईम लगेगा कार सीखने में?”
“तकरीबन एक हफ़्ता तो लगेगा ही।”
“तो ठीक है तुम मुझे कल से ही कार सिखाना शुरू कर दो।”
“ओके मैडम... पर किस टाईम?”
“तुम १० बजे पढ़ने तो आओगे ही... तुम्हें पढ़ाने के बाद मैं तुमसे कार सीख लिया करूँगी... पर सुमित... कोई बहुत बड़ा ग्राऊँड है क्या... एक्चुअली कोई मुझे सीखते देखे तो मुझे शरम आयेगी... इसलिए ऐसी जगह हो जो एक दम खाली हो और जहाँ ज्यादा लोग ना आते हों।”
“येस मैडम... शहर से बाहर निकलते ही एक ग्राऊँड है जो एकदम खाली रहता है।”
“ठीक है... तो वहीं चलेंगे कल दोपहर में।”
“पर मैडम दोपहर में तो काफ़ी गरमी होती है।”
“दोपहर में इसलिए कि उस वक्त लोग बाहर नहीं निकलते और हमारी कार तो एयर कंडिशंड है... मैं क्या करूँ लोग मुझे कार सीखते देखें तो मुझे शरम आती है... बॉय द वे... तुम्हें तो कोई प्रॉब्लम नहीं है ना?”
“बिल्कुल नहीं... तो मैडम मैं कल आता हूँ १० बजे।”
“ओके सुमित...बाय”
मैं अगले दिन ठीक १० बजे मैडम के घर पहुँच गया। मैडम उस दिन काफ़ी अच्छे से तैयार हुई थीं। उन्होंने ग्रीन कलर का सलवार-कमीज़ और बहुत ही सुंदर ब्लैक कलर के ४ इन्च हाई हील के सैंडल पहने हुए थे। मुझे तो मैडम सैक्सी लगती ही थी। मैडम ने मुझे १० से १ बजे तक पढ़ाया। उसके बाद हम कार सीखने शहर से बाहर एक ग्राऊँड में गये। आस-पास कोई भी नहीं था क्योंकि दोपहर का वक्त था। ग्राऊँड में पहुँच कर मैंने मैडम को कार सिखानी शुरू की।
“नहीं ऐसी बात नहीं है... दैट्स नाईस आफ़ यू.... सुमित तुम्हे कार चलानी आती है क्या?”
“येस मैडम।”
“तुम मुझे कार चलाना सिखा सकते हो... मेरे हसबैंड तो सारा दिन बिज़ी रहते हैं... और आज कल तो हमारी कार खाली ही खड़ी है... हसबैंड तो आफिस की कार ले गये हैं”
“येस मैडम मॉय प्लेज़र। मैं आपको कार चलाना सिखा दूँगा।”
“कितना टाईम लगेगा कार सीखने में?”
“तकरीबन एक हफ़्ता तो लगेगा ही।”
“तो ठीक है तुम मुझे कल से ही कार सिखाना शुरू कर दो।”
“ओके मैडम... पर किस टाईम?”
“तुम १० बजे पढ़ने तो आओगे ही... तुम्हें पढ़ाने के बाद मैं तुमसे कार सीख लिया करूँगी... पर सुमित... कोई बहुत बड़ा ग्राऊँड है क्या... एक्चुअली कोई मुझे सीखते देखे तो मुझे शरम आयेगी... इसलिए ऐसी जगह हो जो एक दम खाली हो और जहाँ ज्यादा लोग ना आते हों।”
“येस मैडम... शहर से बाहर निकलते ही एक ग्राऊँड है जो एकदम खाली रहता है।”
“ठीक है... तो वहीं चलेंगे कल दोपहर में।”
“पर मैडम दोपहर में तो काफ़ी गरमी होती है।”
“दोपहर में इसलिए कि उस वक्त लोग बाहर नहीं निकलते और हमारी कार तो एयर कंडिशंड है... मैं क्या करूँ लोग मुझे कार सीखते देखें तो मुझे शरम आती है... बॉय द वे... तुम्हें तो कोई प्रॉब्लम नहीं है ना?”
“बिल्कुल नहीं... तो मैडम मैं कल आता हूँ १० बजे।”
“ओके सुमित...बाय”
मैं अगले दिन ठीक १० बजे मैडम के घर पहुँच गया। मैडम उस दिन काफ़ी अच्छे से तैयार हुई थीं। उन्होंने ग्रीन कलर का सलवार-कमीज़ और बहुत ही सुंदर ब्लैक कलर के ४ इन्च हाई हील के सैंडल पहने हुए थे। मुझे तो मैडम सैक्सी लगती ही थी। मैडम ने मुझे १० से १ बजे तक पढ़ाया। उसके बाद हम कार सीखने शहर से बाहर एक ग्राऊँड में गये। आस-पास कोई भी नहीं था क्योंकि दोपहर का वक्त था। ग्राऊँड में पहुँच कर मैंने मैडम को कार सिखानी शुरू की।