23-12-2021, 09:23 PM
“आप सच कह रहे हैं? मुकर तो नहीं जायेंगे?” उसने मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच लेते हुए कहा।
“ना नहीं कहुँगा, तुम कह कर तो देखो।”
“तो आज पूरा दिन मुझे इस सोफ़े पर चोदते रहिये!” आयेशा ने कहा।
“मेरा बहुत काम पेंडिंग पड़ा है..... इसलिये पूरा दिन तो नहीं, हाँ! दो बार तुम्हारी चुदाई करूँगा और फिर तुम छुट्टी लेकर विजय और दूसरों से चुदवाने जा सकती हो”, मैंने कहा।
“ठीक है, जब आपकी यही मरज़ी है तो......” उसने थोड़ा निराश होते हुए कहा।
जब मैं दूसरी बार उसकी चूत में अपना लंड डाल रहा था उसी वक्त फोन कि घंटी बजी। मैं फोन उठाना चाहता था पर आयेशा ने मुझे रोक दिया।
“डार्लिंग! जरूरी फोन भी हो सकता है”, मैंने कहा।
“इस समय मेरी चूत से जरूरी कोई काम नहीं है! बस मुझे इसी तरह चोदते जाइये”, आयेशा ने अपने कुल्हे उछालते हुए कहा, “हाँ सर! इसी तरह जोर से अपना लंड घुसाते रहिये।” फोन दो चार बार बज कर बंद हो गया।
ऑफिस के दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई और नसरीन ऑफिस में आ गयी। “सर! आपको डिस्टर्ब करने के लिये माफी चाहती हूँ पर एम-डी आपको अर्जेंटली बुला रहे हैं।”
“कह दो कि ये नहीं आ सकते”, आयेशा ने झल्लाते हुए कहा, “तुम देख नहीं सकती कि ये बीज़ी हैं।”
“नहीं नसरीन! तुम ये मत कहना। कहना कि जैसे ही मुझे काम से फ़ुर्सत मिलेगी मैं आ जाऊँगा”, मैंने कहा। फिर मैंने आयेशा से कहा, “क्या तुम चाहती हो कि मैं अपनी नौकरी से हाथ धो बैठूँ?” बदले में वो शरारत से मुस्कुरा पड़ी।
थोड़ी देर में एम-डी मेरे केबिन में आया। “मुझे पहले ही समझ जाना चाहिये था कि तुम चुदाई में व्यस्त हो, इसलिये समय नहीं मिल रहा”, एम-डी हँसा, “राज! मुझे मिस्टर खोसला के साथ हुई तुम्हारी मीटिंग की डिटेल्स चाहिये।”
“क्या आपने वो रिपोर्ट देखी नहीं?” मैं चौंक पड़ा था। फिर आयेशा की ओर देखते हुए मैंने पूछा, “मैंने तुम्हें मिस्टर खोसला की रिपोर्ट डिकटेट करायी थी, वो कहाँ है?”
“अगर आपने डिकटेट करायी होती तो मैं उसे टाईप ना कर देती। मैं अपने काम में पूरी तरह पाबंद हूँ”, आयेशा अपनी बात पे जोर देती हुई बोली।
“ना नहीं कहुँगा, तुम कह कर तो देखो।”
“तो आज पूरा दिन मुझे इस सोफ़े पर चोदते रहिये!” आयेशा ने कहा।
“मेरा बहुत काम पेंडिंग पड़ा है..... इसलिये पूरा दिन तो नहीं, हाँ! दो बार तुम्हारी चुदाई करूँगा और फिर तुम छुट्टी लेकर विजय और दूसरों से चुदवाने जा सकती हो”, मैंने कहा।
“ठीक है, जब आपकी यही मरज़ी है तो......” उसने थोड़ा निराश होते हुए कहा।
जब मैं दूसरी बार उसकी चूत में अपना लंड डाल रहा था उसी वक्त फोन कि घंटी बजी। मैं फोन उठाना चाहता था पर आयेशा ने मुझे रोक दिया।
“डार्लिंग! जरूरी फोन भी हो सकता है”, मैंने कहा।
“इस समय मेरी चूत से जरूरी कोई काम नहीं है! बस मुझे इसी तरह चोदते जाइये”, आयेशा ने अपने कुल्हे उछालते हुए कहा, “हाँ सर! इसी तरह जोर से अपना लंड घुसाते रहिये।” फोन दो चार बार बज कर बंद हो गया।
ऑफिस के दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई और नसरीन ऑफिस में आ गयी। “सर! आपको डिस्टर्ब करने के लिये माफी चाहती हूँ पर एम-डी आपको अर्जेंटली बुला रहे हैं।”
“कह दो कि ये नहीं आ सकते”, आयेशा ने झल्लाते हुए कहा, “तुम देख नहीं सकती कि ये बीज़ी हैं।”
“नहीं नसरीन! तुम ये मत कहना। कहना कि जैसे ही मुझे काम से फ़ुर्सत मिलेगी मैं आ जाऊँगा”, मैंने कहा। फिर मैंने आयेशा से कहा, “क्या तुम चाहती हो कि मैं अपनी नौकरी से हाथ धो बैठूँ?” बदले में वो शरारत से मुस्कुरा पड़ी।
थोड़ी देर में एम-डी मेरे केबिन में आया। “मुझे पहले ही समझ जाना चाहिये था कि तुम चुदाई में व्यस्त हो, इसलिये समय नहीं मिल रहा”, एम-डी हँसा, “राज! मुझे मिस्टर खोसला के साथ हुई तुम्हारी मीटिंग की डिटेल्स चाहिये।”
“क्या आपने वो रिपोर्ट देखी नहीं?” मैं चौंक पड़ा था। फिर आयेशा की ओर देखते हुए मैंने पूछा, “मैंने तुम्हें मिस्टर खोसला की रिपोर्ट डिकटेट करायी थी, वो कहाँ है?”
“अगर आपने डिकटेट करायी होती तो मैं उसे टाईप ना कर देती। मैं अपने काम में पूरी तरह पाबंद हूँ”, आयेशा अपनी बात पे जोर देती हुई बोली।