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Adultery तरक्की का सफ़र
और हमारा क्या, तुम हमसे नहीं जानना चाहोगे कि हमें क्या पसंद है?” राम और श्याम साथ-साथ बोले।

नहीं! मैं जरूरी नहीं समझता! मैंने थोड़ा गुस्से में कहा।
 
दीदी! तुम ही जीजाजी को समझाओ ना।
 
प्रीती हँसते हुए बोली, तुम लोग राज का बुरा मत मानो। ये मज़ाक कर रहा है। आखिर जय और विजय इस घर के दामाद हैं, इसलिये उनका स्थान पहले है।
 
तो क्या हुआ? हम भी तो इनके साले हैं। वो कहावत भूल गयी क्या, सारी खुदाई एक तरफ जोरू का भाई एक तरफ?” राम ने कहा।
 
हाँ तुम दोनों ठीक कह रहे हो। मैं तो मज़ाक कर रहा था। ऐसा है पहले जय की पसंद देख लेते हैं, फिर तुम दोनों की, मैंने कहा।
 
मेरा तो सपना है कि एक माँ की चुदाई उसकी बेटी के साथ करूँ! जय ने कहा।
 
अच्छा सपना है.... मैं भी यही ख्वाहिश रखता हूँ, राम ने कहा।
 
और मैं तो विजय की तरह किसी कुँवारी चूत को चोदना चाहुँगा।
 
थोड़ी देर सोचने के बाद मैं बोला, ठीक है! मैं सब इंतज़ाम कर लूँगा। मैं एक जोड़ी माँ बेटी की भी ले आऊँगा जिसे तुम लोगों ने नहीं चोदा होगा।
 
आगले दो दिन मैं अपने बचे हुए काम पूरा करने में लगा हुआ था। तीसरे दिन आयेशा ने मुझसे कहा, सर मैंने सुना ही कि शनिवार की रात को आपके यहाँ एक पार्टी है?”
 
हाँ है! मैंने जवाब दिया, किसने बताया तुम्हें।
 
विजय ने! आयेशा ने कहा, क्या मुझे नहीं बुलायेंगे?”
 
नहीं मैं तुम्हें नहीं बुला सकता क्योंकि ये सिर्फ़ माँ-बेटी की पार्टी है, मैंने जवाब दिया।
 
मेरी बात सुनकर वो उदास हो गयी। मैंने उसे अपने पास खींचा और कहा, आयेशा समझने की कोशिश करो..... वैसे भी तुम्हारी चुदाई तो होती रहती है।
 
कहाँ होती है.... देखिये ना, कहकर उसने मेरा हाथ अपनी चूत पे रख दिया। मैंने देखा कि उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
 
आयेशा, मेरी जान! पार्टी के अलावा जो तुम कहो मैं करने को तैयार हूँ, मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।
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RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 23-12-2021, 09:22 PM



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