18-12-2021, 02:19 AM
दस मिनट तक तो संजीदा बुरी तरह से चींखती रही और फिर धीरे-धीरे चुप होने लगी। अब तक संजीदा की चूत ने अपना पूरा मुँह खोल कर मोनू के लंड को अंदर जाने का रास्ता दे दिया था। मोनू भी पूरे जोश के साथ संजीदा को चोद रहा था। पाँच मिनट और चुदवाने के बाद संजीदा चुप हो गयी। उसकी दर्द भरी चींखें अब जोश भरी सिसकरियों में बदल रही थी।
पाँच मिनट और चुदवाने के बाद वो झड़ गयी तो उसे और ज्यादा मज़ा आने लगा। अब मोनू का लंड संजीदा की चूत में कुछ आसानी से अंदर बाहर होने लगा था। संजीदा भी अब अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर चुदवाने लगी थी। मैंने संजीदा से पूछा, “अब मज़ा आ रहा है?”
वो बोली, “हाँ आपा, अब तो बहुत मज़ा आ रहा है!”
मैंने पूछा, “अब दर्द नहीं हो रहा है?”
वो बोली, “दर्द तो हो रहा है लेकिन काफ़ी कम।”
मैंने मोनू से कहा, “अब तुम पूरी ताकत के साथ तेजी से संजीदा की चुदाई शुरू कर दो।”
मोनू ने पूरी ताकत लगाते हुए बहुत तेजी के साथ संजीदा की चुदाई शुरू कर दी। अब वो संजीदा को एक दम आँधी की तरह चोद रहा था। पाँच मिनट की चुदाई के बाद ही संजीदा ने “और तेज... और तेज...” कहना शुरू कर दिया तो मोनू ने उसे बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया। सारे कमरे में धप-धप और फच-फच की आवाज़ गूँज रही थी। साथ ही साथ संजीदा की जोश भरी किलकारियाँ भी गूँज रही थी। वो “और तेज... और तेज... खूब जोर-जोर से चोदो मेरे जानू... फाड़ दो आज मेरी प्यासी चूत को...” कहते हुए चुदवा रही थी। रशीद आँखें फाड़े हुए संजीदा को पूरे जोश के साथ चुदवाते हुए देख रहा था। संजीदा अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर मोनू से चुदवा रही थी। मोनू को अब तक संजीदा की चुदाई करते हुए करीब पैंतालीस मिनट हो चुके थे। उसने संजीदा को चोदने के तुरंत पहले ही मुझे चोदा था इसलिए वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। दस मिनट तक चुदवाने के बाद संजीदा फिर से झड़ गयी।
मोनू अभी भी संजीदा को बुरी तरह से चोद रहा था और संजीदा एक दम मस्त हो कर मोनू से चुदवा रही थी। दस मिनट और चोदने के बाद मोनू रुक-रुक कर बहुत जोर-जोर के धक्के लगाने लगा तो मैं समझ गयी कि वो अब झड़ने वाला है। संजीदा भी अपने चूत्तड़ बहुत तेजी के साथ ऊपर उठा रही थी। दो मिनट बाद ही मोनू संजीदा की चूत में झड़ने लगा तो संजीदा भी उसके साथ ही साथ फिर से झड़ गयी।
तमाम मनि संजीदा की चूत में निकाल देने के बाद मोनू संजीदा के ऊपर ही लेट गया और उसे चूमने लगा। संजीदा भी उसकी पीठ को सहलाते हुए उसे चूमने लगी। मैंने संजीदा से पूछा, “मज़ा आया?”
पाँच मिनट और चुदवाने के बाद वो झड़ गयी तो उसे और ज्यादा मज़ा आने लगा। अब मोनू का लंड संजीदा की चूत में कुछ आसानी से अंदर बाहर होने लगा था। संजीदा भी अब अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर चुदवाने लगी थी। मैंने संजीदा से पूछा, “अब मज़ा आ रहा है?”
वो बोली, “हाँ आपा, अब तो बहुत मज़ा आ रहा है!”
मैंने पूछा, “अब दर्द नहीं हो रहा है?”
वो बोली, “दर्द तो हो रहा है लेकिन काफ़ी कम।”
मैंने मोनू से कहा, “अब तुम पूरी ताकत के साथ तेजी से संजीदा की चुदाई शुरू कर दो।”
मोनू ने पूरी ताकत लगाते हुए बहुत तेजी के साथ संजीदा की चुदाई शुरू कर दी। अब वो संजीदा को एक दम आँधी की तरह चोद रहा था। पाँच मिनट की चुदाई के बाद ही संजीदा ने “और तेज... और तेज...” कहना शुरू कर दिया तो मोनू ने उसे बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया। सारे कमरे में धप-धप और फच-फच की आवाज़ गूँज रही थी। साथ ही साथ संजीदा की जोश भरी किलकारियाँ भी गूँज रही थी। वो “और तेज... और तेज... खूब जोर-जोर से चोदो मेरे जानू... फाड़ दो आज मेरी प्यासी चूत को...” कहते हुए चुदवा रही थी। रशीद आँखें फाड़े हुए संजीदा को पूरे जोश के साथ चुदवाते हुए देख रहा था। संजीदा अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर मोनू से चुदवा रही थी। मोनू को अब तक संजीदा की चुदाई करते हुए करीब पैंतालीस मिनट हो चुके थे। उसने संजीदा को चोदने के तुरंत पहले ही मुझे चोदा था इसलिए वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। दस मिनट तक चुदवाने के बाद संजीदा फिर से झड़ गयी।
मोनू अभी भी संजीदा को बुरी तरह से चोद रहा था और संजीदा एक दम मस्त हो कर मोनू से चुदवा रही थी। दस मिनट और चोदने के बाद मोनू रुक-रुक कर बहुत जोर-जोर के धक्के लगाने लगा तो मैं समझ गयी कि वो अब झड़ने वाला है। संजीदा भी अपने चूत्तड़ बहुत तेजी के साथ ऊपर उठा रही थी। दो मिनट बाद ही मोनू संजीदा की चूत में झड़ने लगा तो संजीदा भी उसके साथ ही साथ फिर से झड़ गयी।
तमाम मनि संजीदा की चूत में निकाल देने के बाद मोनू संजीदा के ऊपर ही लेट गया और उसे चूमने लगा। संजीदा भी उसकी पीठ को सहलाते हुए उसे चूमने लगी। मैंने संजीदा से पूछा, “मज़ा आया?”