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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
तब लोहाणे ने खड़े हो कर मुझे अपनी एक बाँह से पकड़ लिया और कहा, "जानेमन तुम तो कुछ भी नही ले रही हो। लो ये पीस खाओ। बड़ा ही टेस्टी है।" और यह कहकर मेरे मुँह में स्नैक्स का एक पीस ठूँसने लगा। फिर स्कॉच के नशे में वापस बोला, "अरे केचप लगाना तो भूल ही गया। इसे केचप के साथ खाओ।" यह कहकर मेरे मुँह में ठूँसे हुए स्नैक्स के उपर सीधे केचप की बोतल से केचप लगाने लगा और वो केचप सारा का सारा मेरी जैकेट और बस्टीयर पर जा गिरा। लोहाणे शर्म से झेंप पड़ा और कहने लगा, "ओहआई एम वेरी सॉरी.. वेरी सॉरी," और अपनी रुमाल निकाल कर साफ़ करने की कोशिश करने लगा, "प्लीज़.. प्लीज़ मुझे साफ़ करने दीजिये।"

मैंने कहा, "ओह। कोई बात नही। मैं खुद साफ़ कर लुँगी।" एक खूबसूरत लड़की के कपड़ों पर ऐसा हो जाये तो ज़ाहिर है की कोई भी आदमी परेशान हो ही जाता है। मैं टेबल पर पड़े पेपर नैपकिन्स से केचप को साफ़ करने लगी। लेकिन वो कहाँ से साफ़ होता। नशे में मैं थोड़ा अपसेट हो गयी और मेरा बॉस भी थोड़ा अपसेट हो चुका था।
 
लेकिन लोहाणे अपनी सूटकेस खोलने लगा। एक पार्सल को निकलते हुए कहा, "मैं अपनी फ़्रेन्ड के लिये कुछ कपड़े लाया था। शायद आप के काम  आ जाये। प्लीज़ देख लिजिये।"
 
मैंने भी कोई और चारा नही देख कर उससे वो पैकेट ले लिया और बाथरूम में घुस गयी। वाशबेसिन में अपने कपड़े साफ़ किये और पैकेट को खोल कर कपड़े देखने लगी। ये कपड़े कहाँ थे। ये तो नाईटीज़ थी। वो भी बेबी-डॉल (मिनी) नाईटीज़। अब मैं अपने कपड़े साफ़ करने के चक्कर में काफ़ी गीले कर चुकी थी और कोई चारा नही था मेरे पास। तीन नाईटीज़ में से मैंने एक नाईटी चूज़ की। वो नाईटीज़ पहनो या ना पहनो कोई मतलब ही नही था। केवल नाम के लिये पहनना था... छुपाने के लिये कुछ भी नही था।  वो नाईटी पहनने के बाद मुझे वापस खोलनी पड़ी क्योंकि मेरी ब्रा के स्ट्रैप्स अलग से नज़र आ रहे थे। जब मैंने अपनी ब्रा उतार कर वो नाईटी पहनी तो मेरे निपल्स उस नाईटी से झलकने लगे। मेरे मम्मे तो साफ़-साफ़ नज़र आ रहे थे। लेकिन कोई चारा नही बचा था और स्कॉच के नशे ने मेरी हिम्मत भी बढ़ा दी। फिर मेरी फ़्रेन्ड भी थोड़ी देर में आने वाली थी।
 
मैं जैसे ही बाथरूम से बाहर आयी तो लोहाणे और बॉस का मुँह खुला का खुला रह गया। दोनों की नज़रें मेरी नाईटी को चीरती हुई मेरे मेरे करीब-करीब नंगे हुस्न को घूर रही थी। उनके मुँह से ‘आहहह’ एक साथ निकल पड़ी। अपने हाथियार को एडजस्ट करने के लिये लोहाणे का एक हाथ अपनी पैंट पर फौरन जा पड़ा। मैं आगे बढ़ी लेकिन मेरी नज़रें झुकी हुई थी। हाई हील सैंडलों में मेरे डगमगाते हुए एक-एक कदम पर वो दोनों आहें भर रहे थे। मेरा बॉस तो अब एकदम धप्प से अपनी चेयर पर बैठ गया। लोहाणे ने अपना ग्लास संभाला और मेरा ग्लास मेरे हाथों में थमा दिया और खुद लंबे-लंबे घूँट भरने लगा। तभी मुझे डोर को नॉक करने की आवाज़ आयी तो मेरी जान में जान आ गयी। लोहाणे ने आगे बढ़ कर दरवाज़ा खोला और सामने पाया एक और बला की हसीन लड़की को। वो उसे देखकर कुछ हैरान हो गया। उसने अंदर हमारी तरफ देखा।

तभी मैंने कहा, "हाय सादिया... वेलकम"
 

सादिया ने भी कहा, "हाय एवरी बडी"
 
लोहाणे बोला, "अच्छा यह आप की परिचित है?"
 
तब मैंने कहा, "हाँ। इस पार्टी को दिलकश बनाने के लिये ही मैंने अपनी फ़्रेन्ड सादिया को इनवाईट किया है।"
 
फिर सादिया से सबका तार्रूफ कराया, "सादियामीट हिम... अवर गेस्ट... मिस्टर लोहाणे और आप हैं मेरे बॉस मिस्टर राहुल।"
 
सादिया ने दोनों से हाथ मिलाया और मैंने उसके लिये एक पेग बनाया। उसके लिये ही क्यों बल्कि हमारे तीनों के पेग भी वापस भर कर चीयर्स किया। सादिया अपने साथ म्युज़िक सिस्टम लायी थी। सादिया ने उसे साईड टेबल पर रख कर उसे साकेट में लगा कर ऑन भी कर दिया। फिर सादिया अपना ओवरकोट उतारने लगी। पूरी तैयारी के साथ आयी थी। ओवरकोट उतारने के साथ रूम में अब दो-दो बिजलियाँ चमकने लगीं। एक बिज़ली मेरे रूप में चमक ही रही थी। अब दूसरी बिज़ली नशे में चूर दोनों मर्दों को झटका देने के लिये तैयार थी। सादिया चोली-नुमा टॉप, लाँग स्कर्ट और बहुत ही हाई हील्स के सैंडल्स पहने हुए थी। उसका लाँग स्कर्ट एक साईड से कमर तक कटा था जिससे उसका जिस्म एक साईड से पूरा नंगा नज़र आ रहा था। केवल डोरी से ही वो ढका हुआ था। उसने देर ना करते हुए म्युज़िक सिस्टम का वॉल्युम बढ़ा दिया और रूम की केवल एक लाईट को चालू रहने दिया। फिर सादिया डांस करने लगी। लोहाणे बेड पर बैठ गया और बॉस ने बीच में जगह बनाने के लिये चेयर्स को साईड में कर दिया और खुद एक चेयर पर बैठ गया। मेरे लिये कोई चेयर नही होने पर मैं बेड पर लोहाणे के पास बैठ गयी। अब हम तीनों नशे में चूर थे जबकी सादिया शायद पहले से ही पी कर आयी थी। उसने अपना ग्लास पूरा खत्म कर के उसे बेड के नीचे ठेल दिया।
 
सादिया का डांस काबिल-ए-तारीफ़ था। उसकी हर अदा उन दोनों मर्दों की ही सांसे उपर-नीचे नही कर रही थी बल्कि मुझे भी मस्त कर रही थी। लोहाणे ने मुझे अपनी बाहों में भींच लिया जिसका मैंने कोई एतराज़ नही किया। लंबा लेट कर वो सादिया के डांस का मज़ा लेने लगा। मैं भी उसके पहलू में आधी लेटी हुई सादिया के डांस का मज़ा उठा रही थी। बॉस धीरे-धीरे चुस्की लेते हुए सादिया के हर थिरकते कदम का गर्दन नचा कर जवाब दे रहा था।
 
तभी लोहाणे मेरी जाँघों को अपने हाथ से सहलाने लगा। जिससे मेरे बदन में एक गुदगुदी होने लगी। मैं उसके जिस्म से और चिपक गयी। उसका लंड पैंट में से मेरे चूतड़ को दस्तक दे रहा था। मैं उसके कड़ेपन का एहसस अपने चूतड़ों पर कर रही थी। सादिया अब बॉस की चेयर के सामने आकर अपनी चोली में छिपे मम्मो को उसके चेहरे के सामने नचाने लगी। साईड ऐन्गल से हमे वो सब नज़र आ रहा था। बॉस की साँसें और उपर-नीचे होने लगी। सादिया ने बॉस का हाथ पकड़ा और अपने गालों से लगाया, फिर अपने मम्मो के उपर फ़िसलाया और उसकी गोद में बैठ कर घूम गयी। इधर लोहाणे का हाथ मेरी जाँघों से बढ़ कर मेरे पेट को सहलाता हुआ मेरे मम्मो को नाईटी के उपर से धीरे-धीरे सहलाने लगा और उसने मेरे चेहरे को उपर कर मेरे होठों को चुम लिया। मेरी आँखें उसके चूमने से बन्द होने लगीं। उसने मेरे दोनों लबों का रस पीना शुरु कर दिया। तभी सादिया ने मेरे बॉस की शर्ट उतार दी और अपनी चोली भी। अब उसके बड़े साईज़ के मम्मे बॉस के सीने से टकरा रहे थे। फिर वहाँ से निकल कर वो हमारे सामने आ गयी और लोहाणे के कान को अपने दाँतों से हल्के-हल्के काटने लगी। मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर मेरी दोनों हथेलियों को अपने मम्मों पर रख लिया।

उफ्फ़ क्या मंज़र था। उसके मम्मों की नाज़ुक त्वचा पे मेरी मुलायम हथेलियाँ फिसल रही थीं। सादिया ने अपना हाथ बढ़ाकर लोहाणे की पैंट पर रख दिया और उसके मतवाले लंड को पैंट के उपर से छेड़ने लगी। लोहाणे के मुँह से सिस्कारी निकल पड़ी। लोहाणे अपने दोनों हाथों को मेरी हथेली के उपर रख सादिया के मम्मों को जोर-जोर से रगड़ने लगा। सादिया ने एक  झटके में उसकी पैंट की ज़िप को नीचे खींच दिया और अंडरवेयर में से उसके लंड को बाहर खींच लिया। उसका लंबा मोटा लंड उछलता हुआ बाहर आ गया। मेरी साँसें उपर-नीचे होने लगीं। लंड की चमड़ी को सादिया ने आगे पीछे किया और मुझे वहाँ से उठा कर अपने साथ खींचती हुई फिर से मेरे साथ नाचने लगी। लोहाणे तो उसके हाथ के सहलाने से पागल हो गया और अपने बाकी कपड़े उतार बेड पर नंगा हो गया। 

सादिया ने अपने मम्मों को मेरे मम्मों से रगड़ना चालू किया और फिर मेरी नाईटी उतार फेंकी। फिर उसने अपना स्कर्ट भी उतार कर फेंक दिया और मेरे नंगे जिस्म से अपना नंगा जिस्म चिपका लिया। अब हम दोनों सिर्फ अपने हाई हील सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी नाच रही थीं। मेरे चूतड़ लोहाणे के सामने और सादिया के चूतड़ बॉस के सामने थे। हम दोनों के चूतड़ थिरक रहे थे और दोनों मर्द अपने होशो-हवास खो रहे थे। फिर मैंने सादिया के निप्पलों से अपने निप्पलों को रगड़ना चालू कर दिया। हम दोनों घूम-घूम कर आपस में अपने निप्पल रगड़ रही थीं।  

तब सादिया ने मुझे कारपेट पर लिटा दिया और मेरे होठों को अपने होठों में दबाते हुए अपनी जाँघों को मेरी जाँघों के उपर उछालने लगी जैसे कि वो मुझे चोद रही हो। दोनों मर्द इस हरकत पर तड़प रहे थे। तड़पते क्यों नही। उनकी जगह सादिया जो ले रही थी। बॉस से अब नही रहा गया। उसने उठकर अपनी पैंट और अंडरवेयर खोली और अपना लंड सादिया के गालों से सहलाना शुरु कर दिया।

यह देखकर लोहाणे भी उठा और सीधे सादिया के चूतड़ को चुमने लगा। सादिया ने थोड़ा उपर खिसकते हुए बॉस का लंड अपने मुँह में ले लिया तो मेरी चूत अब लोहाणे के एकदम सामने थी। मैंने सादिया के नीचे पड़े-पड़े उसके मम्मों को चाटना शुरु कर दिया और लोहाणे ने मेरी चूत को। पूरा कमरा सिस्कारियों से भर उठा। तेज आवाज के म्युज़िक के बीच भी हम चारों की सिस्करियाँ अच्छी तरह से सुनायी पड़ रही थीं।

सादिया ने मेरे उपर से उठ कर लोहाणे को जमीन पर लेटा दिया और उसके लंड पर चढ़ गयी। लंड झटके से उसकी रसभरी चूत में घुस पड़ा। फिर वो उछल-उछल कर धक्के मारने लगी। लोहाणे अपने दोनों हाथों से उसके मम्मों को दबोच रहा था... सहला रहा था... उसके निप्पलों को पिंच कर रहा था। इधर बॉस ने मुझे जमीन पर लेटे देख कर मेरी चूतड़ को अपने हाथ से उठाया और अपना लंड मेरी जाँघों में फंसा दिया और मेरी चूत का निशाना लगा कर अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया। दो-तीन धक्को में उसका पूरा लंड मेरी चूत के अंदर था। अब अपने चूतड़ उठा कर मेरी चूत को रोंदने लगा। मेरे मुँह से आह..आह निकलने लगी।

अब थोड़ी-थोड़ी देर हम चारों पोजिशन बदल-बदल कर चुदाई रहे थे। कभी लोहाणे का लंड मेरी चूत में होता तो कभी बॉस का लंड। इसी तरह सादिया का हाल था। लोहाणे चोदने में पूरा एक्स्पर्ट था। उसका लंड भी मजबूती से हम दोनों की चूत को मज़ा दे रहा था। बॉस भी कमजोर नही था लेकिन लोहाणे से थोड़ा कम ही था। लोहाणे ने अपने लंड को कभी भी खाली बैठने नही दिया। हम दोनों की चूत को चोदने के अलावा हमारे मुँह का इस्तेमाल भी बड़े शानदार तरीके से कर रहा था। अपने लंड को कभी हमारी चूत में तो कभी हमारे मुँह में दे कर अपने लंड का बराबर इस्तेमाल कर रहा था। चारों ने रात भर इस चुदाई के खेल को जारी रखते हुए खूब मज़ा लिया।

सुबह तक हम चारों की हालत ढीली हो चुकी थी। लेकिन कम्पनी का कान्ट्रैक्ट पक्का हो चुका था। लोहाणे भी खुश और बॉस भी खुश। इधर मैं भी खुश। तीन महीने बाद मुझे दस लाख मिले जिसमे से मैंने पाँच लाख सादिया को दे दिये।

 ॥॥। समाप्त ॥॥
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RE: हिंदी की कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 18-12-2021, 02:02 AM



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