18-12-2021, 01:49 AM
मैंने कुछ परवाह ना करते हुए दूसरा शॉट और कस के लगाया और अब मेरा पाँच इंच लंड सोनिया की चूत में समा चुका था। ऐसा लग रहा था जैसे किसी बोत्तल के छोटे छेद में अपना लंड घुसा दिया हो और बोत्तल के मुँह ने कस कर मेरे लंड को पकड़ लिया हो। अगर मैंने सोनिया की कमर कस के पकड़ नहीं रखी होती तो सोनिया मेरा लंड निकाल के बाहर भाग जाती और ज़िंदगी भर कभी भी किसी से चुदवाती नहीं। सोनिया अब मेरे सीने पर मुक्के मारने लगी तो मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ कर फैला दिये और अपने पूरे शरीर का भार देते हुए उसके ऊपर लेट कर अपना पाँच इंच लंड अंदर-बाहर करने लगा। करीब पाँच-दस मिनट तक सिर्फ पाँच इंच से ही संतोष करने के बाद मैंने सोनिया से पूछा, “दीदी अब कैसा लग रहा है?”
तो बड़ी रुआँसी बोली, “जब तुमने घुसेड़ा था उस समय तो मेरी जान ही निकल गयी थी पर अब तुम्हारी लंड घिसाई से थोड़ी राहत मिली है और अच्छा भी लग रहा है।”
मैंने मौका अच्छा देख और अपने होंठ उसके होंठों पर रखे और उसे पूरा दबोच कर एक ज़ोरदार कड़कड़ाता हुआ शॉट दिया जिससे मेरा पूरा साढ़े आठ इंच लौड़ा सोनिया की चूत में समा गया। मेरे होंठ उसके होंठों पर रखे हुए थे इस कारण वो ज्यादा जोर से नहीं चीख पायी। मेरा पूरा लंड जो उसकी चूत में समा गया था उससे सोनिया को दर्द इतना हो रहा था कि अगले पाँच मिनट तक मैं तो शाँत अपना लंड उसकी चूत में डाल कर उसके रसीले होंठ चूसता रहा और सोनिया नीचे से दर्द के मारे लगातार अपने चूत्तड़ उछालती रही। जब पाँच मिनट बाद उसने अपने चूत्तड़ उछालना बँद किया तब मैंने अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत में सरकाना चालू किया।
सोनिया अभी भी अपना बदन दर्द के मारे कसमसा रही थी पर पूरी मेरे नीचे दबी होने के कारण कुछ कर नहीं पा रही थी और पँद्रह-बीस धक्के अपनी चूत में ले लेने के बाद उसका दर्द भी कम हो गया था और उसका कसमसाना भी। मैंने सोनिया के होंठों के ऊपर से अपने होंठ हटा लिये और बोला, “क्यों मेरी प्यारी दीदी! अब बताओ कैसा महसूस हुआ जब मैंने अपना मस्त लौड़ा आपकी चूत में डाल कर कली से फूल बना दिया और अब कैसा लग रहा है दर्द खतम होने पर।”
सोनिया बोली, “क्या डार्लिंग तुमने तो मेरी जान ही निकल दी। जब तुमने अपना लंड मेरी चूत में पेला था उस समय तो मुझे ऐसा लगा था कि शायद आज तुम मुझे मेरी चूत से लेकर दो हिस्सों में फ़ाड़ के रख दोगे। बहुत दर्द हुआ था सुनील पर तुमने इतने प्यार से मुझे सम्भाला और बाद में जो प्यार से मेरी चूत बजा रहे हो तो ऐसा लग रहा है कि मैं ज़न्नत में हूँ। मेरे बदन से ऐसी मस्ती छूट रही है कि क्या बताऊँ। सुनील अब बहुत मज़ा आ रहा है। अब तुम जी भर के मुझे चोदो।”
मैंने सोनिया की दोनों जाँघें चौड़ी कर दीं और अपने हाथों से उसकी दोनों सैंडल की हील पकड़ लीं और खुद घूटने के बल बैठ कर अपनी गाँड के दनादन धक्के मारने लगा। सोनिया को अब भी तकलीफ हो रही थी पर वो भी अब चुदाई में पूरा साथ दे रही थी। पहली चुदाई के कारण वो और ज्यादा मस्ती सहन नहीं कर पायी और सितकारी भरती हुए अपनी चूत का पानी मेरे लंड पर गिराने लगी और बड़बड़ा रही थी, “आह आँह सुनील मज़ा आ गया। मुझे क्या मालूम था इतनी तकलीफ के बाद इतना सुख मिलेगा। इस सुख के लिये तो मैं अपनी चूत बार-बार तुमसे फड़वाऊँगी।”
तो बड़ी रुआँसी बोली, “जब तुमने घुसेड़ा था उस समय तो मेरी जान ही निकल गयी थी पर अब तुम्हारी लंड घिसाई से थोड़ी राहत मिली है और अच्छा भी लग रहा है।”
मैंने मौका अच्छा देख और अपने होंठ उसके होंठों पर रखे और उसे पूरा दबोच कर एक ज़ोरदार कड़कड़ाता हुआ शॉट दिया जिससे मेरा पूरा साढ़े आठ इंच लौड़ा सोनिया की चूत में समा गया। मेरे होंठ उसके होंठों पर रखे हुए थे इस कारण वो ज्यादा जोर से नहीं चीख पायी। मेरा पूरा लंड जो उसकी चूत में समा गया था उससे सोनिया को दर्द इतना हो रहा था कि अगले पाँच मिनट तक मैं तो शाँत अपना लंड उसकी चूत में डाल कर उसके रसीले होंठ चूसता रहा और सोनिया नीचे से दर्द के मारे लगातार अपने चूत्तड़ उछालती रही। जब पाँच मिनट बाद उसने अपने चूत्तड़ उछालना बँद किया तब मैंने अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत में सरकाना चालू किया।
सोनिया अभी भी अपना बदन दर्द के मारे कसमसा रही थी पर पूरी मेरे नीचे दबी होने के कारण कुछ कर नहीं पा रही थी और पँद्रह-बीस धक्के अपनी चूत में ले लेने के बाद उसका दर्द भी कम हो गया था और उसका कसमसाना भी। मैंने सोनिया के होंठों के ऊपर से अपने होंठ हटा लिये और बोला, “क्यों मेरी प्यारी दीदी! अब बताओ कैसा महसूस हुआ जब मैंने अपना मस्त लौड़ा आपकी चूत में डाल कर कली से फूल बना दिया और अब कैसा लग रहा है दर्द खतम होने पर।”
सोनिया बोली, “क्या डार्लिंग तुमने तो मेरी जान ही निकल दी। जब तुमने अपना लंड मेरी चूत में पेला था उस समय तो मुझे ऐसा लगा था कि शायद आज तुम मुझे मेरी चूत से लेकर दो हिस्सों में फ़ाड़ के रख दोगे। बहुत दर्द हुआ था सुनील पर तुमने इतने प्यार से मुझे सम्भाला और बाद में जो प्यार से मेरी चूत बजा रहे हो तो ऐसा लग रहा है कि मैं ज़न्नत में हूँ। मेरे बदन से ऐसी मस्ती छूट रही है कि क्या बताऊँ। सुनील अब बहुत मज़ा आ रहा है। अब तुम जी भर के मुझे चोदो।”
मैंने सोनिया की दोनों जाँघें चौड़ी कर दीं और अपने हाथों से उसकी दोनों सैंडल की हील पकड़ लीं और खुद घूटने के बल बैठ कर अपनी गाँड के दनादन धक्के मारने लगा। सोनिया को अब भी तकलीफ हो रही थी पर वो भी अब चुदाई में पूरा साथ दे रही थी। पहली चुदाई के कारण वो और ज्यादा मस्ती सहन नहीं कर पायी और सितकारी भरती हुए अपनी चूत का पानी मेरे लंड पर गिराने लगी और बड़बड़ा रही थी, “आह आँह सुनील मज़ा आ गया। मुझे क्या मालूम था इतनी तकलीफ के बाद इतना सुख मिलेगा। इस सुख के लिये तो मैं अपनी चूत बार-बार तुमसे फड़वाऊँगी।”