Thread Rating:
  • 7 Vote(s) - 3.14 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery तरक्की का सफ़र
भाग- १५

 
प्रीती की बात सुनकर मुझे उस पर नाज़ हो गया। ठीक है जो ज़िंदगी में गुजरा वो कुछ अजीबो गरीब था लेकिन वो सही में मुझसे प्यार करती थी।
 
रवि भी नाश्ते के लिये हमारे साथ हो गया, क्यों राज! आबिदा और सलमा के साथ कैसा रहा?”
 
रवि! तुम्हारे सुझाव के लिये शुक्रिया, मैं हँसते हुए बोला,सही में इतना आनंद मुझे कभी नहीं आया, उन दोनों का जवाब नहीं।
 
दिन इसी तरह गुज़ार गया। चुदाई की छूट थी, जिसकी मरज़ी में जो आता उसे रूम में ले जाकर उसकी जम कर चुदाई करता। हम सब शाम को ड्रिंक्स पीने बैठे ही थे कि दरवाजे पर घंटी बजी। आप सब रुकिये, मैं देखती हूँ, आबिदा ने उठते हुए कहा।
 
मैडम! आर्यन बाबा आये हैं! आबिदा ने दरवाजा खोलते हुए कहा।
 
ये इस समय यहाँ क्या कर रहा है, रूही अपनी सीट से उठती हुई बोली।
 
हाय मम्मी, इतने मैं एक सत्रह-अट्ठारह साल का गबरू लड़का हॉल में दाखिल हुआ।
 
तुम यहाँ क्या कर रहे हो?” रूही ने उसे बाँहों में भरते हुए कहा, तुम्हें तो बोर्डिंग में होना चाहिये था।
 
मम्मी! कॉलेज की छुट्टियाँ जल्दी शुरू हो गयी, इसी लिये मैं यहाँ आ गया, आर्यन ने जवाब दिया।
 
अच्छा हुआ तुम आ गये, अपने मेहमानों से मिलो! रूही ने उसका माथा चूमते हुए कहा।
 
आप सब इससे मिलें, ये मेरा बेटा आर्यन है, रूही ने बारी-बारी हमारा परिचय कराया।
 
रवि को देख कर वो उनसे हाथ मिलाते हुए बोला, अरे रवि अंकल! आप कब आये और कैसे हैं?”
 
रवि ने उससे हाथ मिलाते हुए कहा, आर्यन तुमसे मिलकर खुशी हुई, आओ बैठो यहाँ। और बताओ कैसी गुजर रही है कॉलेज में। तुम सही में सुंदर और जवान हो गये हो, कॉलेज की लड़कियाँ तुम पर मरती होंगी।
 
नहीं अंकल! ऐसे नसीब कहाँ हैं हमारे।
 
इसका मतलब तुमने आज तक किसी लड़की की चूत नहीं चोदी है?” रवि ने कहा।
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 18-12-2021, 01:32 AM



Users browsing this thread: 11 Guest(s)