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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
हाँऽऽ मेरे ताहिर! इस लुत्फ का मुझे जन्मों से इंतज़ार था। तुम इतने नासमझ क्यों हो! मेरे दिल को समझने में इतनी देर क्यों कर दी!
 
उन्होंने वापस मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। उनके दोनों हाथ अब मेरे दोनों बूब्स पर थे। दोनों हाथ मेरी छातियों को जोर-जोर से मसल रहे थे और वो मेरे निप्पलों को अँगुलियों से मसल रहे थे। मेरी चूत बुरी तरह से गीली हो रही थी इसलिये उनके लंड को दाखिल होने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई। उनका लंड पूरी तरह मेरी चूत में समा गया था। फिर उन्होंने धीरे-धीरे अपने लंड को पूरी तरह से बाहर खींच कर वापस एक धक्के में अंदर कर दिया। अब उन्होंने मेरी टाँगें अपने कंधों से उतार दीं और मेरे ऊपर लेट गये और मुझे अपनी बाँहों में भर कर मेरे होंठों को चूमने लगे। सिर्फ उनकी कमर ऊपर-नीचे हो रही थी। मेरी टाँगें दोनों ओर फ़ैली हुई थीं। कुछ ही देर में मैं उत्तेजित होकर उनके हर धक्के का अपनी कमर को उनकी तरफ़ उठा कर और उछाल कर वेलकम करने लगी। मैं भी नीचे की ओर से पूरे जोश में धक्के लगा रही थी। एयर कंडिशनर की ठंडक में भी हम दोनों पसीने-पसीने हो रहे थे। कमरे में सिर्फ एयर कंडिशनर की हमिंग के अलावा हमारी ऊऊऽऽहहऽऽ ओ‍ओऽऽहहऽऽ की आवाज गूँज रही थी। साथ में हर धक्के पर फ़च फ़च की आवाज आती थी। हमारे होंठ एक दूसरे से सिले हुए थे। हमारी जीभ एक दूसरे के मुँह में घूम रही थी। मैंने अपने पाँव उठा कर उनकी कमर को चारों ओर से जकड़ लिया। काफी देर तक इसी तरह चोदने के बाद वो उठे और मुझे बिस्तर के किनारे खींच कर आधी-लेटी हालत में लिटा कर मेरी टाँगों के बीच खड़े होकर मुझे चोदने लगे। उनके हर धक्के के साथ पूरा बिस्तर हिलने लगता था। मेरी चूत से दो बार पानी की बौंछार हो चुकी थी। कुछ देर तक और चोदने के बाद उन्होंने अपने लंड को पूरी जड़ तक मेरी चूत के अंदर डाल कर मेरे दोनों मम्मों को अपनी मुठ्ठी में भर कर इतनी बुरी तरह मसला कि मेरी तो जान ही निकल गयी। ले! ले मेरा बीज..... मेरा वीर्य अपने पेट में भर ले। ले-ले मेरे बच्चे को अपने पेट में। अब नौ महीने बाद मुझसे शिकायत नहीं करना। उन्होंने मेरे होंठों के पास बड़बड़ाते हुए मेरी चूत में अपना वीर्य डाल दिया। मैंने उनके नितंबों में अपने नाखून गड़ा कर अपनी चूत को जितना हो सकता ऊपर उठा दिया और मेरा भी रस उनके लंड को भिगोते हुए निकल पड़ा। दोनों खल्लास होकर एक दूसरे की बगल में लेट गये। हम कुछ देर तक यूँ ही लंबी-लंबी साँसें लेते रहे। फिर उन्होंने करवट लेकर अपना एक पैर मेरे जिस्म के ऊपर चढ़ा दिया और मेरे मम्मों से खेलते हुए बोले, ओ‍ओऽऽफफऽऽ शहनाज़ तुम भी गजब की चीज़ हो। मुझे पूरी तरह थका दिया मुझे।
 
अच्छा?”
 
इसी तरह अगर अक्सर चलता रहा तो बहुत जल्दी ही मुझे दवाई लेनी पड़ेगी.... ताकत की।
 
मजाक मत करो! अगर दवाई की किसी को जरूरत है तो मुझे, जिससे कहीं प्रेगमेंट ना हो जाऊँ।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 18-12-2021, 01:16 AM



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