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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
मममऽऽऽ शहनाज़ मीऽऽऽऽ ऊँमऽऽऽऽ। तुम बहुत सैक्सी हो। अब अफ़सोस हो रहा है कि तुम्हें इतने दिनों तक मैंने छुआ क्यों नहीं ओफफ‍ओहहऽऽऽ तुम तो मुझ पागल कर डालोगी। आआआऽऽऽहहहहऽऽऽ हाँऽऽऽ ऐसे हीऽऽऽ वो अपने लंड को मेरी चूत के ऊपर रगड़ रहे थे। कुछ देर तक हमारे एक दूसरे के जिस्म को रगड़ने के बाद उन्होंने मुझे बिस्तर के पास ले जाकर मेरे एक पैर को उठा कर बिस्तर के ऊपर रख दिया। अब घुटनों के बल बैठने की उनकी बारी थी। वो मेरी टाँगों के पास बैठ कर बिस्तर पर रखे मेरे पैर और उसके सैंडल की पट्टियों पर अपनी जीभ फिराने लगे। मुझे ऊँची हील वाले सैक्सी सैंडल पहनना बहुत अच्छा लगता है, इसलिये मैं हरदम सैंडल पहने रहती हूँ। ज्यादातर मरदों की तरह शायद उन्हें भी हाई-हील सैंडल निहायत पसंद थे, इसलिये ताहिर अज़ीज़ खान जी अपने जीभ मेरे पंजों, पैरों और सैंडलों पर फिराने लगे। फिर उनकी जीभ मेरी टाँगों और जाँघों से होती हुई मेरी टाँगों के जोड़ पर घूमने लगी। उनकी जीभ मेरे घुटने पर से धीरे-धीरे आगे बढ़ती हुई मेरी टाँगों के जोड़ तक पहुँची। उन्होंने अपनी जीभ से मेरी चिकनी चूत को ऊपर से चाटना शुरू किया। वो अपने हाथों से मेरी चूत की फाँकों को अलग करके मेरी चूत के भीतर अपनी जीभ डालना चाहते थे।

नहीं! ऐसे नहीं! कहकर मैंने उनके हाथों को अपने जिस्म से हटा दिया और मैंने खुद एक हाथ की अँगुलियों से अपनी चूत को खोल कर दूसरे हाथ से उनके सिर को थाम कर अपनी चूत से सटा दिया। लो अब चाटो इसे!

उनकी जीभ किसी छोटे लंड की तरह मेरी चूत के अंदर बाहर होने लगी। शराब के नशे में मैं बहुत उत्तेजित हो गयी थी। मैं उनके बालों को अपनी मुठ्ठी में पकड़ कर उन्हें खींच रही थी, मानो उन्हें उखाड़ ही देना चाहती थी। दूसरे हाथों की अँगुलियों से मैंने अपनी चूत को फैला रखा था और साथ-साथ एक अँगुली से अपनी क्लीटोरिस को सहला रही थी। मैंने सामने आईने में देखा तो हम दोनों की हालत को देख कर अपने ऊपर कंट्रोल नहीं कर पायी और मेरे जिस्म से लावा बह निकला। मैंने सख्ती से दूसरे हाथों की मुठ्ठी में उनके बालों को पकड़े हुए उनके सिर को अपनी चूत में दाब रखा था। उनकी जीभ मेरी चूत से बहती हुई रस धारा को अपने अंदर समा लेने में मसरूफ हो गयी। काफी देर तक इसी तरह चूसवाते हुए जब मेरी बर्दाश्त से बाहर हो गया तो मैंने उनके सिर को अपनी चूत से खींच कर अलग किया। उनके सिर के कईं बाल टूट कर मेरी मुठ्ठी में आ गये थे। उनके होंठ और ठुड्डी मेरे रस से चमक रहे थे।

ऊऊहहऽऽ ताआऽऽहिर! अब मैंने वासना और शराब के नशे में अपने खिताब में चेंज लाते हुए उन्हें ऊपर अपनी ओर खींचा। वो खड़े हो कर मुझ से लिपट गये और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मेरे होंठों को अपने मुँह में खींच लिया और उन्हें बुरी तरह चूसने लगे। मैं नहीं जानती थी कि उधर भी इतनी ज्यादा आग लगी हुई है। उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मुँह में अजीब सा टेस्ट समा गया। मैंने ज़िंदगी में पहली बार अपनी चूत के रस का स्वाद चखा। मैंने उनके चेहरे पर लगे अपने रस को चाट कर साफ़ किया।

उन्होंने थिरकते हुए बिस्तर के साईड में रखी फ्रेंच वाईन की बोतल उठा ली। उसके कॉर्क को खोल कर उन्होंने उसमें से एक घूँट लगाया। फिर मैंने भी एक घूँट लगाया और फिर उन्होंने मुझे अपने सामने खड़ा कर दिया। फिर उस बोत्तल से मेरे एक मम्मे पर धीरे-धीरे वाईन डालने लगे। उन्होंने अपने होंठ मेरे निप्पल के ऊपर रख दिये। रेड वाईन मेरे बूब्स से फ़िसलती हुई मेरे निप्पल के ऊपर से होती हुई उनके मुँह में जा रही थी। बहुत ही एग्ज़ोटिक सीन था वो। फिर वो उस बोतल को ऊपर करके मेरे सिर पर वाईन उढ़ेलने लगे। साथ-साथ मेरे चेहरे से, मेरे कानों से और मेरे बालों से टपकती हुई वाईन को पीते जा रहे थे। मैं वाईन में नहा रही थी और उनकी जीभ मेरे पूरे जिस्म पर दौड़ रही थी। मैं उनकी हरकतों से पागल हुई जा रही थी। इस तरह से मुझे आज तक किसी ने प्यार नहीं क्या था। इतना तो साफ़ दिख रहा था कि मेरे ससुर जी सैक्स के मामले में तो सबसे अनोखे खिलाड़ी थे। जब बोतल आधी से ज्यादा खाली हो गयी तो उन्होंने बोतल मुझे पकड़ा दी और मेरे पूरे जिस्म को चाटने लगे। मैं बोतल से घूँट पीने लगी और वो मेरा जिस्म चाटने लगे। मेरा पूरा जिस्म वाईन और उनकी लार से चिपचिपा हो गया था। उन्होंने एक झटके में मुझे अपनी बाँहों में उठा लिया और अपनी बाँहों में उठाये हुए बाथरूम में ले गये। इस उम्र में भी इतनी ताकत थी कि मुझको उठाकर बाथरूम ले जाते वक्त एक बार भी उनकी साँस नहीं फ़ूली। बाथरूम में बाथ-टब में दोनों घुस गये और एक दूसरे को मसल-मसल कर नहलाने लगे। नहाते वक्त भी मेरे पैरों में सैंडल मौजूद थे। नहाने के साथ-साथ हम एक दूसरे को छेड़ते जा रहे थे। सैक्स के इतने रूप मैंने सिर्फ तसव्वुर में ही सोचे थे। आज ससुर जी ने मेरे पूरे वजूद पर अपना हक जमा दिया। वहीं पर बाथ-टब में बैठे-बैठे उन्होंने मुझे टब का सहारा लेकर घुटने के बल झुकाया और पीछे की तरफ़ से मेरी चूत और मेरी गाँड के छेद पर अपनी जीभ फिराने लगे।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 18-12-2021, 01:12 AM



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