Thread Rating:
  • 7 Vote(s) - 3.14 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery तरक्की का सफ़र
हम सब दरवाजे से कान लगाये सुन रहे थे, जहाँ से सिसकरियों की और कामुक बातों की आवाज़ें आ रही थीं। चुदाई इतनी जोर से चल रही थी कि बिस्तर भी चरमरा उठ था। थोड़ी देर बाद एक दम खामोशी छा गयी। लगता था कि उनका दूसरा दौर भी समाप्त हो चुका है। सिर्फ़ उनकी उखड़ी साँसों की आवाज़ सुनाई दे रही थी। 

“जय! अपना लंड खड़ा करो.... मुझे और चुदवाना है?” साक्षी बोली। 

“एक काम करो! मेरे लंड को मुँह में लेकर जोर से चूसो..... जिससे ये जल्दी खड़ा हो जायेगा”, जय ने कहा। 

“मैंने आज तक लंड नहीं चूसा है और ना ही चूसूँगी”, साक्षी ने झूठ कहा। 

“लंड नहीं चूसोगी तो चुदाई भी नहीं होगी”, जय ने कहा, “देखो सिमरन कैसे लंड को चूस रही है और वो खड़ा भी हो गया है।” 

“उसे चूसने दो! मैं लंड खड़ा होने का इंतज़ार कर लूँगी”, साक्षी ने कहा। 

थोड़ी देर बाद साक्षी गिड़गिड़ाते हुए बोली, “जय प्लीज़! चोदो ना मुझसे नहीं रहा जाता।” 

“चुदवाना है तो तुम्हें पता है क्या करना पड़ेगा?” जय ने कहा। 

“तुम बड़े वो हो!” कहकर साक्षी, जय के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। 

“संभल कर! कहीं मेरे लंड पर दाँत ना गड़ा देना।” 

साक्षी अब जोर-जोर से लंड को चूस कर खड़ा करने की कोशिश कर रही थी। “ममम... देखो! खड़ा हो रहा है ना? और जोर से चूसो!” जय ने अपना लंड उसके मुँह में और अंदर तक घुसा दिया। 

“मममम.... देखो ना! खड़ा हो गया है..... अब चोद दो ना!” साक्षी बोली। 

“ठीक है! अब घोड़ी बन जाओ, अब मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा”, जय ने कहा। 

“नहीं! पहले चूत की चुदाई करो...... फिर गाँड मारना”, साक्षी बोली। 

“गाँड नहीं तो चूत भी नहीं!” जय ने कहा। 

“तुम बड़े मतलबी हो”, साक्षी घोड़ी बनते हुए बोली। 

“विजय! क्या तुम सिमरन की गाँड मारने को तैयार हो?” 

“हाँ! पहले इसे लौड़ा तो चूस लेने दो”, विजय बोला। 

“लौड़ा बाद में चूसाते रहना, अब हम साथ-साथ इनकी गाँड का उदघाटन करते हैं”, जय ने कहा। 
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 10-12-2020, 02:38 AM



Users browsing this thread: 8 Guest(s)