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Adultery तरक्की का सफ़र
सिमरन ने एक पकोड़ा मुँह में रखा और बोली कि “दीदी ये तो बहुत ही टेस्टी हैं.... अपने लिया कि नहीं?” 


मैंने भी एक पकोड़ा टेस्ट किया और उसे और लेने को कहा कि “और खा कर देखो।” 


यही मैंने साक्षी के साथ किया। दोनों बड़े चाव से पकोड़े खा रही थीं। तुम्हें फोन किया क्यों कि मुझे विश्वास था कि उनकी चूत में खुजली जरूर मचेगी। 


इतनी देर में जय और विजय आ गये, मैं उन्हें अपने बेडरूम में ले आयी, वो दोनों बौखला गये थे और बोले कि “भाभी ये सब क्या है?” 


मैंने कहा कि “इसके पहले कि मैं तुम्हारे प्रश्न का जवाब दूँ.... तुम दोनों मेरे एक प्रश्न का जवाब दो, क्या तुम दोनों सिमरन और साक्षी को चोदना चाहोगे?” 


मेरा सवाल सुनकर दोनों चौंक गये और बोले कि “भाभी ये आप क्या कह रही हैं, वो दोनों आपकी भाभीयाँ हैं।” मैंने कहा कि “वो दोनों मेरी क्या हैं, ये मुझे सोचने दो, तुम जवाब दो कि क्या चोदना चाहोगे?” 


“हाँ भाभी! ऐसा मौका फिर कब मिलेगा।” जय ने अपने लंड को पैंट के ऊपर से सहलाते हुए जवाब दिया। 


अंजू शरारती मुस्कान के साथ बोली, “म...म...म मेरे जय का लंड नयी चूत का नाम सुनते ही खड़ा हो जाता है!” 


फिर विजय ने पूछा कि “भाभी! क्या वो तैयार हो जायेंगी?” और जय ने कहा कि “भाभी लेकिन राम और श्याम को पता चलेगा तो वो क्या सोचेंगे।”


“राम और श्याम की चिंता मत करो.... वो सब मुझ पर छोड़ दो और रही सिमरन और साक्षी कि बात तो वो तुमसे भीख मांगेंगी कि आओ मेरी चूत में अपना लंड डाल दो। सिर्फ़ उतना करो जितना मैं कहती हूँ। 


मेरी बात सुनकर जय ने कहा कि “ठीक है.... आप क्या चाहती हैं हमसे?”  


“कुछ नहीं! इंतज़ार करो जब तक वो खुद चल कर तुम्हारे पास चुदवाने के लिये नहीं आती हैं और हाँ! उन्हें तब तक मत चोदना जब तक वो गाँड मरवाने के लिये तैयार ना हो जायें..... ये दोनों बातें बहुत जरूरी हैं। 


जय ने अपना लंड जोर से दबाया और बोला कि, “यार! ये तो बहुत ही अच्छी बात है, चूत के साथ गाँड भी मारने को मिलेगी और वो भी दोनों की।  


मैं ये कहकर रूम के बाहर आ गयी कि “यहीं इंतज़ार करो और ज़न्नत के मज़े लेने के सपने देखो।
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RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 10-12-2020, 02:33 AM



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