08-11-2020, 01:30 AM
“अब्बू क्या हो गया आज आपको! हम दोनों का रिश्ता बदनाम हो जायेगा। अगर किसी को पता चल गया तो लोग क्या कहेंगे।”
“तू उसकी चिंता मत कर! किसी को पता ही नहीं चलेगा। यहाँ अपने वतन से दूर हमें जानने वाला है ही कौन। और तू रिश्तों की दुहाई मत दे। एक आदमी और एक औरत में बस एक ही रिश्ता हो सकता है और वो है हवस का रिश्ता। जब तक यहाँ रहेंगे..... हम दोनों साथ रहेंगे। अपने घर जा कर तू भले ही वापस मुझसे पर्दा कर लेना।”
“ऐसा कैसे हो सकता है? हम दोनों के बीच एक बार जिस्म का रिश्ता हो जाने के बाद आप क्या सोचते हैं कि कभी वापस नॉर्मल हो सकेगा?”
“तू जब तक यहाँ है, भूल जा कि तो मेरे बेटे की बीवी है। भूल जा कि मैं तेरा ससुर हूँ। तू बस मेरी सेक्रेटरी है। अगर तेरा निकाह मेरे बेटे से नहीं हुआ होता तो हम यहाँ क्या करते?”
“फिर तो बात दूसरी ही होती!” मैंने कहा।
“तू समझ कि अब भी वही बात है। तू केवल मेरी सेक्रेटरी है। देखा नहीं.... सारी सेक्रेटरिज़ अपने बॉस के साथ कैसे खुल्लम खुल्ला सैक्स कर रही थीं।”
लेकिन मैं अभी भी झिझक नहीं छोड़ पा रही थी। ताहिर अज़ीज़ खान जी उठे और कमरे में बने मिनी बार से व्हिस्की की एक बोतल लेकर उन्होंने एक ग्लास में डाली और मेरे होंठों से लगा दी। “ये ले... तेरी झिझक इससे कम होगी और नशे में तुझे मज़ा भी ज्यादा आयेगा।” मेरी धड़कनें तेज़ चल रही थीं और इस हालात में मुझे इसकी सख्त जरूरत थी। मैंने दो घूँट में ही वो तगड़ा पैग खाली कर दिया। वो कमरे में कुर्सी-टेबल खिसका कर जगह बनाने लगे। इतने में मैंने वो बोतल ही उठा ली और दो-तीन घूँट व्हिस्की के सिप किये। मैं चाहती थी कि मुझे इतना नशा हो जाये कि मैं खुलकर बिना किसी झिझक के उनका साथ दे सकूँ। ससुर जी ने फिर मुझे खींच कर बीच में खड़ा कर दिया। अंदर कुछ नहीं पहना होने के कारण मेरे बूब्स बुरी तरह इधर-उधर हिल रहे थे। फिर वो मेरे हाथों को अपने हाथ में थाम कर थिरकने लगे। मैं भी एक हाथ में बोतल पकड़े धीरे-धीरे उनका साथ देती हुई डाँस करने लगी।
“तू उसकी चिंता मत कर! किसी को पता ही नहीं चलेगा। यहाँ अपने वतन से दूर हमें जानने वाला है ही कौन। और तू रिश्तों की दुहाई मत दे। एक आदमी और एक औरत में बस एक ही रिश्ता हो सकता है और वो है हवस का रिश्ता। जब तक यहाँ रहेंगे..... हम दोनों साथ रहेंगे। अपने घर जा कर तू भले ही वापस मुझसे पर्दा कर लेना।”
“ऐसा कैसे हो सकता है? हम दोनों के बीच एक बार जिस्म का रिश्ता हो जाने के बाद आप क्या सोचते हैं कि कभी वापस नॉर्मल हो सकेगा?”
“तू जब तक यहाँ है, भूल जा कि तो मेरे बेटे की बीवी है। भूल जा कि मैं तेरा ससुर हूँ। तू बस मेरी सेक्रेटरी है। अगर तेरा निकाह मेरे बेटे से नहीं हुआ होता तो हम यहाँ क्या करते?”
“फिर तो बात दूसरी ही होती!” मैंने कहा।
“तू समझ कि अब भी वही बात है। तू केवल मेरी सेक्रेटरी है। देखा नहीं.... सारी सेक्रेटरिज़ अपने बॉस के साथ कैसे खुल्लम खुल्ला सैक्स कर रही थीं।”
लेकिन मैं अभी भी झिझक नहीं छोड़ पा रही थी। ताहिर अज़ीज़ खान जी उठे और कमरे में बने मिनी बार से व्हिस्की की एक बोतल लेकर उन्होंने एक ग्लास में डाली और मेरे होंठों से लगा दी। “ये ले... तेरी झिझक इससे कम होगी और नशे में तुझे मज़ा भी ज्यादा आयेगा।” मेरी धड़कनें तेज़ चल रही थीं और इस हालात में मुझे इसकी सख्त जरूरत थी। मैंने दो घूँट में ही वो तगड़ा पैग खाली कर दिया। वो कमरे में कुर्सी-टेबल खिसका कर जगह बनाने लगे। इतने में मैंने वो बोतल ही उठा ली और दो-तीन घूँट व्हिस्की के सिप किये। मैं चाहती थी कि मुझे इतना नशा हो जाये कि मैं खुलकर बिना किसी झिझक के उनका साथ दे सकूँ। ससुर जी ने फिर मुझे खींच कर बीच में खड़ा कर दिया। अंदर कुछ नहीं पहना होने के कारण मेरे बूब्स बुरी तरह इधर-उधर हिल रहे थे। फिर वो मेरे हाथों को अपने हाथ में थाम कर थिरकने लगे। मैं भी एक हाथ में बोतल पकड़े धीरे-धीरे उनका साथ देती हुई डाँस करने लगी।