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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
तो?” 

आज मैं आपके बेटे की बीवी हूँ।
 
लेकिन पहले तू मेरी सेक्रेटरी है। यहाँ पर तू मेरी सेक्रेटरी बन कर आयी है मेरे बेटे की बहू नहीं! और सेक्रेटरी का काम होता है अपने एंपलायर को खुश रखना। देखा नहीं यहाँ मौजूद दूसरी सेक्रेटरियों को!
 
क्या हो गया है आज आपको?” मैंने थूक निगलते हुए कहा।
 
मोहब्बत! तुझे आज जी भर कर मोहब्बत करना चाहता हूँ। आज ससुर जी के मुँह से इस तरह की बातें सुनकर अजीब सा लग रहा था। ताहिर अज़ीज़ खान जी हमेशा से ही एक सोबर और मर्यादित आदमी रहे हैं। मैंने जब निकाह से पहले इतनी कोशिश की थी उन्हें सिड्यूस करने की, तब भी नहीं हिले थे अपने असूलों से। अगर वो चाहते तो मेरी सील तोड़ने का क्रेडिट मैं उन्हीं को देती। मैं तो चाहती ही थी उनकी मिस्ट्रेस बनना। मगर उनके ऊँचे ख्यालातों ने मेरी एक नहीं चलने दी थी। लेकिन वो ऊँचे असूलों का पुतला आज कैसे सैक्स के दलदल में गोते खा रहा है। थोड़ी बहुत चुहल बाजी, थोड़ा लिपटना, थोड़ा मसलना ये सब तो मैं भी पसंद करती थी क्योंकि उन्हें मैं हमेशा ही मन से चाहती थी। मगर उनके साथ सैक्स? मैं असमंजस में फ़ँस गयी थी। शराब का नशा तो मुझे भी था पर इतना भी नहीं था। समझ में नहीं रहा था कि आज वो कैसे अपना अहौदा, अपनी मर्यादा, हम दोनों के बीच का रिश्ता, सब भूल कर इस तरह की बातें कर रहे हैं।
 
अब्बू आपने आज बहुत पी रखी है! आप आज अपने कंट्रोल में नहीं हो! आप यहीं रेस्ट करो.... मैं दूसरे कमरे में जाती हूँ। मैंने दरवाजे की तरफ़ अपने कदम बढ़ाये ही थे कि उनकी कड़कती आवाज से मेरे कदम वहीं रुक गये। खबरदार अगर एक भी कदम आगे बढ़ाया तो! जैसा कहता हूँ वैसा कर.... नहीं तो आज मैं तेरा रेप करने से भी नहीं चूकुँगा।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 08-11-2020, 01:29 AM



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