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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
मैंने झट अपने शाम को पहने हुए कपड़ों को वापस पहना और दरवाजे को खोल दिया। उन्होंने मुझसे अलग होने से पहले उन्हीं कपड़ों में रहने को कहा था। अब दोनों निप्पल के ऊपर टॉप पर लगा धब्बा सूख गया था लेकिन धब्बा साफ़ दिख रहा था कि वहाँ कुछ लगाया गया था। ताहिर अज़ीज़ खान जी अंदर आये। उन्होंने शायद अपने कमरे में जाकर भी एक दो पेग लगाये थे। उनके चाल में हल्की लड़खड़ाहट थी। कमरे में आकर वो बिस्तर पर बैठ गये। 

आओ मेरे पास”, उन्होंने मुझे बुलाया। मैं धीरे-धीरे हाई-हील सैंडलों में मटकते हुए चल के उनके पास पहुँची। उन्होंने अपनी जेब में हाथ डाल कर एक खूबसूरत सा लॉकेट निकाल कर मुझे पहना दिया।
 
वॉव! कितना खूबसूरत है! मैंने खुश होकर कहा किसके लिये है ये?”
 
तुम्हें पसंद है?” मैंने हामी में सिर हिलाया। ये इस खूबसूरत गले के लिये ही है! कहकर उन्होंने मेरे गले को चूम लिया।
 
उम्म बहुत सुंदर है ये! मैंने लॉकेट को अपने हाथों से उठाकर निहारते हुए कहा।
 
मुझे भी तो पता चले कि तुम कितनी खुश हो। खुश हो भी या…” मैं झट से उनकी गोद में बैठ गयी और उनके गले में अपनी बाँहों का हार डाल कर उनके होंठों पर अपने होंठ सटा दिये। मैंने उनको एक डीप किस दिया। जब हम दोनों अलग हुए तो उन्होंने मुझे उठाया।
 
स्टीरियो पर कोई सैक्सी गाना लगाओ”, उन्होंने कहा तो मैंने स्टीरियो ऑन कर दिया। वोल्युम को तेज़ रखने के लिये कहने पर मैंने वोल्युम को काफी तेज़ कर दिया।
 
अब तुम नाचो! उन्होंने कहा। मैं चुपचाप खड़ी रही। मैं असमंजस में थी। समझ में नहीं रहा था कि मुझे क्या करना चाहिये।
 
तुम बहुत अच्छा नाचती हो! मैंने कईं बार देखा है तुम्हें नाचते हुए।
 
लेकिन यहाँ?”
 
क्यों यहाँ क्या प्रॉब्लम है? मैं देखना चाहता हूँ तुम्हारे जिस्म की थिरकन।
 
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 08-11-2020, 01:27 AM



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