08-11-2020, 01:26 AM
उनके मुँह से ये बात सुनकर मुझे बहुत राहत मिली कि उनको नहीं पता चल पाया कि उसी दौरान मैं भी पास के ही किसी केबिन में हैमिल्टन के साथ चुदाई में लीन थी। हम दोनों के अलग-अलग रूम थे। मैंने अपने कमरे के सामने पहुँच कर उन्हें गुड नाईट कहा और कमरे की तरफ़ बढ़ने लगी।
“कहाँ जा रही हो। आज मेरे कमरे में ही सो जाओ ना”, ससुर जी ने कहा। उनका इरादा साफ़ था। आज बर्फ़ पिघल रही थी लेकिन मुझे भी अपना डेस्प्रेशन नहीं दिखाना था। इसलिये मैंने उनकी तरफ़ देख कर अपनी नजरें झुका लीं और कदम अपने कमरे की तरफ़ बढ़ाये।
“अच्छा ठीक है तुम अपने कमरे में चलो। मैं अभी आता हूँ..... कपड़े चेंज मत करना!” उन्होंने मुझसे कहा।
“क्यों क्या हुआ?” मैंने पूछा।
“नहीं कुछ नहीं! तुम इन कपड़ों में बहुत खूबसूरत लग रही हो.... तुम्हें इन कपड़ों में कुछ देर तक देखना चाहता हूँ!”
“क्यों इतनी देर देख कर भी मन नहीं भरा क्या?” मैंने उनकी तरफ़ मुस्कुरा कर देखा। “अब्बू जान... अपने मन को कंट्रोल में रखिये। अब मैं आपके बेटे की बीवी हूँ”, कहते हुए मैं हंसती हुई कमरे में चली गयी। अंदर आकर मैंने अपने टॉप और स्कर्ट को उतार दिया और बाथरूम में जा कर चेहरा धोया। जिस्म पर सिर्फ तौलिया लपेटे बाथरूम से बाहर आकर मैंने ड्रैसिंग टेबल के सामने खड़े होकर अपने टॉवल को हटा दिया। मेरा नंगा जिस्म रोशनी में चमक उठा। मैं सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने हुए खड़ी हुई अपने नंगे जिस्म को निहार रही थी। निकाह के बाद कितने लोगों से मैं चुदाई कर चुकी थी। इस जिस्म में कुछ ऐसी ही कशिश थी कि हर कोई खिंचा चला आता था। मैंने उसी हालत में खड़े होकर डियोड्रेंट लगाया और हल्का मेक-अप किया। अपने बालों में कंघी कर ही रही थी कि डोर बेल बजी।
“कौन है?”
“मैं हूँ... दरवाजा खोलो”, बाहर से ससुर जी की आवाज आयी।
“कहाँ जा रही हो। आज मेरे कमरे में ही सो जाओ ना”, ससुर जी ने कहा। उनका इरादा साफ़ था। आज बर्फ़ पिघल रही थी लेकिन मुझे भी अपना डेस्प्रेशन नहीं दिखाना था। इसलिये मैंने उनकी तरफ़ देख कर अपनी नजरें झुका लीं और कदम अपने कमरे की तरफ़ बढ़ाये।
“अच्छा ठीक है तुम अपने कमरे में चलो। मैं अभी आता हूँ..... कपड़े चेंज मत करना!” उन्होंने मुझसे कहा।
“क्यों क्या हुआ?” मैंने पूछा।
“नहीं कुछ नहीं! तुम इन कपड़ों में बहुत खूबसूरत लग रही हो.... तुम्हें इन कपड़ों में कुछ देर तक देखना चाहता हूँ!”
“क्यों इतनी देर देख कर भी मन नहीं भरा क्या?” मैंने उनकी तरफ़ मुस्कुरा कर देखा। “अब्बू जान... अपने मन को कंट्रोल में रखिये। अब मैं आपके बेटे की बीवी हूँ”, कहते हुए मैं हंसती हुई कमरे में चली गयी। अंदर आकर मैंने अपने टॉप और स्कर्ट को उतार दिया और बाथरूम में जा कर चेहरा धोया। जिस्म पर सिर्फ तौलिया लपेटे बाथरूम से बाहर आकर मैंने ड्रैसिंग टेबल के सामने खड़े होकर अपने टॉवल को हटा दिया। मेरा नंगा जिस्म रोशनी में चमक उठा। मैं सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने हुए खड़ी हुई अपने नंगे जिस्म को निहार रही थी। निकाह के बाद कितने लोगों से मैं चुदाई कर चुकी थी। इस जिस्म में कुछ ऐसी ही कशिश थी कि हर कोई खिंचा चला आता था। मैंने उसी हालत में खड़े होकर डियोड्रेंट लगाया और हल्का मेक-अप किया। अपने बालों में कंघी कर ही रही थी कि डोर बेल बजी।
“कौन है?”
“मैं हूँ... दरवाजा खोलो”, बाहर से ससुर जी की आवाज आयी।