08-11-2020, 01:22 AM
शाम को ड्रेस कोड के हिसाब से कमरे में आकर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और फिर बिना किसी अंडर गार्मेंट्स के एक माइक्रो स्कर्ट और टाईट टॉप पहन ली। फिर बहुत ही पतली और ऊँची हील के स्ट्रैपी सैंडल पहन कर मैंने आईने में अपने को देखा। मेरे निप्पल टॉप के ऊपर से उभरे हुए दिख रहे थे। मैंने पहले घूम कर और फिर झुक कर अपने को देखा और फिर आईने के पास जा कर अपने को अच्छे से निहारा। मेरे सुडौल जिस्म का एक-एक कटाव, एक-एक उभार साफ़ दिख रहा था। मैं पीछे घूम कर आईने के आगे झुकी तो मैंने देखा कि झुकने के कारण स्कर्ट उठ जाती थी और मेरी बगैर पैंटी की नंगी चूत और गाँड साफ़ दिख रही थी। मैंने ड्रेस को खींच कर नीचे करने की कोशिश की लेकिन वो बिल्कुल भी नीचे नहीं सरकी। मैं उसी ड्रेस में बाहर आयी और ताहिर अज़ीज़ खान जी के कमरे में घुस गयी। मेरे ससुर जी उस वक्त तैयार हो रहे थे। उन्होंने दोबारा शेविंग की थी और एक टी-शर्ट और जींस में इतने हंडसम लग रहे थे कि क्या बयान करूँ।
“हाय हैंडसम! आज लगता है साशा की शामत आयी है। बहुत चिपक रही थी आपसे!” मैंने उन्हें छेड़ते हुए कहा।
“साशा? अरे जिसकी बगल में तुम जैसी हसीना हो तो उसे सौ साशा भी नहीं बहला सकती”, कह कर उन्होंने मेरी तरफ़ देखा। मुझे ऊपर से नीचे तक कुछ देर तक निहारते ही रह गये। उनके होंठों से एक सीटी जैसी आवाज निकली, जैसी आवाज आवारा टाईप के मजनू निकाला करते हैं।
“मममम.. आज तो पैरिस जलकर राख हो जायेगा!” उन्होंने मुस्कुराते हुए मेरी तारीफ़ की।
“आप भी बस मेरी खिंचायी करते रहते हो!” मैं शरम से लाल हो गयी थी। उन्होंने अपने हाथ सामने की ओर फैला दिये तो मैं मुस्कुराते हुए उनके पास आ खड़ी हुई।
हम दोनों एक साथ हाल में एंटर हुये। वहाँ एक तरफ़ डाँस के लिये जगह छोड़ी हुई थी। बाकी जगह में टेबल कुर्सियाँ बिछी थीं। मैं सकुचाती हुई अपने ससुर जी की बाँहों में समाये हुए कमरे में घुसी। वहाँ का माहौल बहुत ही इरोटिक था। मद्धम रोशनी में चारों तरफ़ जोड़े बैठे हुए थे। सब अपने पार्टनर्स के साथ थे। सारे जोड़े सैक्स हरकतों में बिज़ी हो रहे थे। कोई किसिंग में बिज़ी था तो कोई अपने पार्टनर को सहला रहा था। किसी के हाथ पार्टनर्स के कपड़ों के नीचे घूम रहे थे तो कुछ अपने पार्टनर्स को नंगा भी कर चुके थे।
“हाय हैंडसम! आज लगता है साशा की शामत आयी है। बहुत चिपक रही थी आपसे!” मैंने उन्हें छेड़ते हुए कहा।
“साशा? अरे जिसकी बगल में तुम जैसी हसीना हो तो उसे सौ साशा भी नहीं बहला सकती”, कह कर उन्होंने मेरी तरफ़ देखा। मुझे ऊपर से नीचे तक कुछ देर तक निहारते ही रह गये। उनके होंठों से एक सीटी जैसी आवाज निकली, जैसी आवाज आवारा टाईप के मजनू निकाला करते हैं।
“मममम.. आज तो पैरिस जलकर राख हो जायेगा!” उन्होंने मुस्कुराते हुए मेरी तारीफ़ की।
“आप भी बस मेरी खिंचायी करते रहते हो!” मैं शरम से लाल हो गयी थी। उन्होंने अपने हाथ सामने की ओर फैला दिये तो मैं मुस्कुराते हुए उनके पास आ खड़ी हुई।
हम दोनों एक साथ हाल में एंटर हुये। वहाँ एक तरफ़ डाँस के लिये जगह छोड़ी हुई थी। बाकी जगह में टेबल कुर्सियाँ बिछी थीं। मैं सकुचाती हुई अपने ससुर जी की बाँहों में समाये हुए कमरे में घुसी। वहाँ का माहौल बहुत ही इरोटिक था। मद्धम रोशनी में चारों तरफ़ जोड़े बैठे हुए थे। सब अपने पार्टनर्स के साथ थे। सारे जोड़े सैक्स हरकतों में बिज़ी हो रहे थे। कोई किसिंग में बिज़ी था तो कोई अपने पार्टनर को सहला रहा था। किसी के हाथ पार्टनर्स के कपड़ों के नीचे घूम रहे थे तो कुछ अपने पार्टनर्स को नंगा भी कर चुके थे।