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Adultery तरक्की का सफ़र
एम-डी ने सच कहा था, अनिता की चूत सही में चुदक्कड़ थी, वो एक अनोखे अंदाज़ में अपनी चूत की नसों से लंड को जकड़ लेती थी। मुझे अपने लंड के पानी में उबाल आता दिखा और मुझसे रुका नहीं जा रहा था। मैंने एक एक्सप्रेस ट्रेन की तरह अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी। 

अनिता ने भी महसूस किया और बोल पड़ी, ओहहहह राज सर! रुकिये मत..... चोदते जाइये!!!!! डाल दो अपना पानी मेरी चूत में.... मैं भी झड़ने वाली हूँ। मैं ज्यादा देर रुक नहीं पाया और अपने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी। 
 
ओहहहहह कितना अच्छा लग रहा है, वो सिसकी जैसे ही मेरी पहली पिचकारी छूटी, मेराआआआआ भी छूट रहा है...... हाँआँआँआँ, अपना बदन ढीला छोड़ कर वो अपनी साँसें संभालने लगी।
 
वहाँ बगल में मीना अपने कुल्हे उछाल कर एम-डी का साथ दे रही थी, ओहहहह..... सर!!! मेरा छूटाआआ!!!! और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। एम-डी ने भी दो चार धक्के लगा कर अपने वीर्य की बरसात उसकी चूत में कर दी। हम चारों अब ढीले पड़े अपनी साँसें काबू में कर रहे थे।
 
मम्मी मुझे माफ़ कर दो, मुझे आपको पहले बता देना चाहिये था, मीना ने अनिता से माफी माँगते हुए कहा।
 
मुझे समझ में नहीं आया कि वो अपनी चुदाई की माफ़ी माँग रही थी या अपनी माँ की चुदाई पर। कोई बात नहीं मीना!!! जो होना था सो हो गया, अनिता ने मीना को बाँहों में भरते हुए कहा।
 
ओह मम्मा!!!! मुझे उम्मीद है आपको यहाँ काम करके मज़ा आयेगा, मीना बोली।
 
जरूर मज़ा आयेगा!!!! जब राज जैसा लंड मिल जाये चुदवाने के लिये तो किस औरत को मज़ा नहीं आयेगा, अनिता ने बेशर्मी से कहा।
 
चलो बहुत हो गया, एम-डी ने कहा, अब यहाँ आओ और हमारा लौड़ा चाट कर साफ़ करो।
 
दोनों रेंग कर हमारे घुटनों के बीच आ कर अपनी जीभ से हमारा लौड़ा चाटने लगीं और फिर मुँह में ले उसे जोरों से चूसने लगी।
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RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 11-10-2020, 01:26 AM



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