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Adultery तरक्की का सफ़र
भाग- ११

एक दिन ऑफिस में शाम को जब काम खतम हो गया तो मीना मेरे पास आयी और बोली, सर! मेरे भाई का कॉलेज में एडमिशन हो गया है...... इससे घर के खर्चे बढ़ गये हैं, इसलिये मैं अपसे एक रिक्वेस्ट करने आयी हूँ।

 

अगर तुम तनख्वाह बढ़ाने की बात लेकर आयी है तो मैं पहले से ही ना कर रहा हूँ।

 

नहीं सर! तनख्वाह की बात नहीं है, अगर आप मेरी माँ को नौकरी दे सकें तो मेहरबानी होगी, मैंने सुना है एच.आर डिपार्टमेंट में जगह खाली है, मेरी मम्मी वहाँ कुछ साल काम कर चुकी है।

 

मैं इस बारे में सोचुँगा, मैंने हँसते हुए कहा, तुम्हारी मम्मी काम के बारे में तो जानती है लेकिन क्या वो कंपनी कि दूसरी पॉलिसी के बारे में जानती है?”

 

तो क्या आप मेरी मम्मी को भी चोदेंगे?” मीना ने चौंकते हुए पूछा।

 

तुम्हें पता है कि कंपनी की पॉलिसी क्या है और कंपनी का डी.एम.डी होने के नाते मैं पॉलिसी नहीं बदल सकता, मैंने जवाब दिया, लेकिन तुम अभी अपनी मम्मी से कुछ ना कहना...... मुझे पहले एम-डी से बात कर लेने दो।

 

मैंने एम-डी को फोन लगाया और बताया।

 

उसे रखना है तो रख लो! काफी मेहनती औरत है और चोदने के लिये भी अच्छी है। तुम्हें उसे चोदने में मज़ा आयेगा। मैंने कई बार उसे चोदा है और दोबारा भी चोदना चाहुँगा, पर मीना को क्या कहोगे?” एम-डी ने कहा। 



सर! मैं मीना को बता चुका हूँ कि अगर वो यहाँ पर कम करेगी तो मुझे उसे चोदना पड़ेगा।

 

ठीक है! तुम उसे कल बुला लो, एम-डी ने फोन रखते हुए कहा।

 
शाम को जब मैं घर पहुँचा तो प्रीती घर पर नहीं थी। जैसा कि हफ़्ते में दो तीन बार होता था.... प्रीती जरूर किसी क्लब में गुलछर्रे उड़ा रही थी। देर रात वो नशे में धुत्त लड़खड़ाती हुई कार से उतरी तो मैंने कुछ बात करना मुनासिब नहीं समझा। सुबह जब वो उठी तो मैंने कहा, प्रीती! तुम्हारे लिये एक खबर है।
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RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 11-10-2020, 01:16 AM



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