07-10-2020, 12:34 AM
थोड़ी देर बाद चाची बोली, “अरे सुनील, जरा तेल लगा कर जोर से जरा अच्छी तरह से मालिश कर।”
मैंने कहा, “चाची तेल से आपका ब्लाऊज़ खराब हो जायेगा, आप अपना ब्लाऊज़ खोल दो।”
मीना चाची बोली, “सुनील मैं तो लेटी हूँ, तू मेरे पीछे से ब्लाऊज के हुक खोल के साईड में कर दे।”
मैं जिस मीना चाची को नंगा देखने को तरसता था और जिसकी ब्रा सूँघता था, मैंने बड़े धीरे-धीरे से उनके ब्लाऊज के हुक खोले और अब चाची की नंगी पीठ पर सिर्फ़ काली ब्रा के स्ट्रैप दिख रहे थे। मैंने थोड़ा सा तेल अपने हाथों पर लेकर चाची की पीठ पर मलना चालू किया पर बार-बार चाची की काली ब्रा के स्ट्रैप दिक्कत दे रहे थे। मैंने मीना चाची को बोला कि “चाची आपकी पूरी ब्रा खराब हो रही है और मालिश करने में भी दिक्कत हो रही है।”
तब मीना चाची बोली कि “तू मेरे ब्रा के स्ट्रैप खोल दे।”
मीना चाची के मुँह से यह सुन कर मेरा लंड तो झटके लेने लगा। मैंने भी बड़े ही प्यार से ब्रा के हुक खोल दिये। पहली बार इतने पास से मैं मीना चाची की चिकनी सुंदर पीठ देख रहा था। मैं उस नंगी पीठ पर धीरे-धीरे तेल से मालिश करने लगा।
थोड़ी देर बाद मीना चाची बोली, “सुनील जरा मेरे नीचे भी मालिश कर दे।”
मैंने कहा, “चाची कहाँ करूँ?” तो मीना चाची बिना किसी शरम के बोलीं की “मेरे चुतड़ों की और किसकी।”
मैंने भी सोचा मौका अच्छा है और मैंने कहा, “पर उसके लिए तो आपका पेटीकोट उतारना पड़ेगा।”
तब चाची बोली, “जा कर अच्छे से पहले दरवाजा बंद कर आ।”
मैं जल्दी से जाके दरवाजा बंद कर के आया तो देखा मीना चाची पहले से ही अपना पेटीकोट उतार कर पिंक पैंटी और काली ब्रा को अपने हाथों से दबाय, पेट के बल उल्टी बिस्तर पर लेटी हुई थीं। मैंने तेल लेकर धीरे-धीरे चाची की मस्त टाँगों की और उन मस्ताने गदराये चूतड़ों की मालिश चालू कर दी। मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था की वो मीना चाची जिसका नाम लेकर मैं रात भर मुठ मारता था, एक दिन ब्रा और पैंटी में मेरे समने लेट कर मेरे हाथ से अपनी मालिश करवायेंगी।
मैंने कहा, “चाची तेल से आपका ब्लाऊज़ खराब हो जायेगा, आप अपना ब्लाऊज़ खोल दो।”
मीना चाची बोली, “सुनील मैं तो लेटी हूँ, तू मेरे पीछे से ब्लाऊज के हुक खोल के साईड में कर दे।”
मैं जिस मीना चाची को नंगा देखने को तरसता था और जिसकी ब्रा सूँघता था, मैंने बड़े धीरे-धीरे से उनके ब्लाऊज के हुक खोले और अब चाची की नंगी पीठ पर सिर्फ़ काली ब्रा के स्ट्रैप दिख रहे थे। मैंने थोड़ा सा तेल अपने हाथों पर लेकर चाची की पीठ पर मलना चालू किया पर बार-बार चाची की काली ब्रा के स्ट्रैप दिक्कत दे रहे थे। मैंने मीना चाची को बोला कि “चाची आपकी पूरी ब्रा खराब हो रही है और मालिश करने में भी दिक्कत हो रही है।”
तब मीना चाची बोली कि “तू मेरे ब्रा के स्ट्रैप खोल दे।”
मीना चाची के मुँह से यह सुन कर मेरा लंड तो झटके लेने लगा। मैंने भी बड़े ही प्यार से ब्रा के हुक खोल दिये। पहली बार इतने पास से मैं मीना चाची की चिकनी सुंदर पीठ देख रहा था। मैं उस नंगी पीठ पर धीरे-धीरे तेल से मालिश करने लगा।
थोड़ी देर बाद मीना चाची बोली, “सुनील जरा मेरे नीचे भी मालिश कर दे।”
मैंने कहा, “चाची कहाँ करूँ?” तो मीना चाची बिना किसी शरम के बोलीं की “मेरे चुतड़ों की और किसकी।”
मैंने भी सोचा मौका अच्छा है और मैंने कहा, “पर उसके लिए तो आपका पेटीकोट उतारना पड़ेगा।”
तब चाची बोली, “जा कर अच्छे से पहले दरवाजा बंद कर आ।”
मैं जल्दी से जाके दरवाजा बंद कर के आया तो देखा मीना चाची पहले से ही अपना पेटीकोट उतार कर पिंक पैंटी और काली ब्रा को अपने हाथों से दबाय, पेट के बल उल्टी बिस्तर पर लेटी हुई थीं। मैंने तेल लेकर धीरे-धीरे चाची की मस्त टाँगों की और उन मस्ताने गदराये चूतड़ों की मालिश चालू कर दी। मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था की वो मीना चाची जिसका नाम लेकर मैं रात भर मुठ मारता था, एक दिन ब्रा और पैंटी में मेरे समने लेट कर मेरे हाथ से अपनी मालिश करवायेंगी।