07-10-2020, 12:31 AM
मुझसे रहा नहीं गया। मैंने सोचा यह मौका है जब मैं मीना चाची को पूरा नंगा और चुदते हुए देख सकुँगा और मैं सीधा बालकोनी की ओर गया क्योंकि मुझे मालूम था वहाँ की खिड़की पर पर्दा नहीं है और वहाँ से मुझे सब दिखाई देगा। मैं चुपचाप दबे पैरों से बालकोनी में गया और अंदर का सीन देख कर तो मुझे जैसे मन की इच्छा मिल गयी। मीना चाची अपनी दोनों टांगों को फैला कर लेटी हुई थीं और एक हाथ से सिगरेट पी रही थीं और चाचा उनकी चूत में भीड़ा हुआ था।
मीना चाची नशे में थी और कह रही थी, “मादरचोद कभी तो मेरी चूत को ठंडा करा कर, बस भोंसड़ी वाले अपना लंड डाल कर अपने आप को ठंडा कर लेता है। आज मादरचोद अगर तूने मेरी चूत को ठंडा नहीं किया तो मैं बज़ार में रंडी बन कर चुदवाऊँगी।”
चाचा भी अपनी और से पूरी ताकत लगा रहा था और कह रहा था कि “साली रंडी कितना चोदता हूँ तुझे… पर तेरी चूत की प्यास ही खत्म नहीं होती और तेरा बदन इतना मस्त है की चार पाँच शॉट में ही मेरा लंड झड़ जाता है” और इतना बोलते-बोलते ही चाचा अपना लंड मीना चाची की चूत में झाड़ कर लुड़क गये।
मीना चाची बोलती रहीं कि “पता नहीं कब मेरी चूत की प्यास ठंडी होगी, ये गाँडू तो मुझे ठंडा ही नहीं कर पाता है।”
चाचा और चाची को इस तरह गंदी भाषा में गालियाँ देते हुए बातें करते सुनकर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था। मेरी बड़ी इच्छा करी कि मैं अंदर जाऊँ और मीना चाची को पकड़ कर खूब चोदूँ।
मैं अपना लंड हाथ में पकड़ कर वापस अपने कमरे की और चल दिया। रास्ते में सोनिया का कमरा पड़ता था। चाची की चुदाई देखने के बाद मेरा लंड फड़फड़ा रहा था। पता नहीं मैं किस ख्याल में सोनिया के कमरे में घुस गया। मुझे जब ध्यान आया तो मैंने अपने आप को सोनिया के बिस्तर के पास खड़ा पाया। सोनिया इस समय अपनी नाईटी में आराम से सो रही थी जो उसके चुतड़ों को सिर्फ़ आधा ढके हुई थी। मेरे सामने अभी भी मीना चाची की चुदाई का सीन चल रहा था और इसी गर्मी में मैंने देखा कि सोनिया की मस्त चिकनी-चिकनी टाँगें और फुले हुए चूतड़ जो उसने पैंटी में छुपाये हुए थे। मुझ से रहा नहीं गया और मैं बिस्तर के साइड में हो कर उसकी चिकनी टाँगों को अपने होठों से चूमने लगा, और धीरे-धीरे उसकी गाँड की दरार में अपने होंठ और नाक रख दी। जिस चूतड़ की खुशबू मैं पैंटी में सूँघता और चाटता था वही चूतड़ आज मैं असली में सूँघ रहा था और अपने होंठों से किस कर रहा था। इतने में सोनिया कुछ कुनमुनाई और मैं डर के मारे चुप चाप कमरे से निकल गया।
मीना चाची नशे में थी और कह रही थी, “मादरचोद कभी तो मेरी चूत को ठंडा करा कर, बस भोंसड़ी वाले अपना लंड डाल कर अपने आप को ठंडा कर लेता है। आज मादरचोद अगर तूने मेरी चूत को ठंडा नहीं किया तो मैं बज़ार में रंडी बन कर चुदवाऊँगी।”
चाचा भी अपनी और से पूरी ताकत लगा रहा था और कह रहा था कि “साली रंडी कितना चोदता हूँ तुझे… पर तेरी चूत की प्यास ही खत्म नहीं होती और तेरा बदन इतना मस्त है की चार पाँच शॉट में ही मेरा लंड झड़ जाता है” और इतना बोलते-बोलते ही चाचा अपना लंड मीना चाची की चूत में झाड़ कर लुड़क गये।
मीना चाची बोलती रहीं कि “पता नहीं कब मेरी चूत की प्यास ठंडी होगी, ये गाँडू तो मुझे ठंडा ही नहीं कर पाता है।”
चाचा और चाची को इस तरह गंदी भाषा में गालियाँ देते हुए बातें करते सुनकर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था। मेरी बड़ी इच्छा करी कि मैं अंदर जाऊँ और मीना चाची को पकड़ कर खूब चोदूँ।
मैं अपना लंड हाथ में पकड़ कर वापस अपने कमरे की और चल दिया। रास्ते में सोनिया का कमरा पड़ता था। चाची की चुदाई देखने के बाद मेरा लंड फड़फड़ा रहा था। पता नहीं मैं किस ख्याल में सोनिया के कमरे में घुस गया। मुझे जब ध्यान आया तो मैंने अपने आप को सोनिया के बिस्तर के पास खड़ा पाया। सोनिया इस समय अपनी नाईटी में आराम से सो रही थी जो उसके चुतड़ों को सिर्फ़ आधा ढके हुई थी। मेरे सामने अभी भी मीना चाची की चुदाई का सीन चल रहा था और इसी गर्मी में मैंने देखा कि सोनिया की मस्त चिकनी-चिकनी टाँगें और फुले हुए चूतड़ जो उसने पैंटी में छुपाये हुए थे। मुझ से रहा नहीं गया और मैं बिस्तर के साइड में हो कर उसकी चिकनी टाँगों को अपने होठों से चूमने लगा, और धीरे-धीरे उसकी गाँड की दरार में अपने होंठ और नाक रख दी। जिस चूतड़ की खुशबू मैं पैंटी में सूँघता और चाटता था वही चूतड़ आज मैं असली में सूँघ रहा था और अपने होंठों से किस कर रहा था। इतने में सोनिया कुछ कुनमुनाई और मैं डर के मारे चुप चाप कमरे से निकल गया।