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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
मैंने वापस कमरे में जाकर पहली बिकिनी उठायी और उसे अपने जिस्म पर पहन कर देखा। बिकिनी सिर्फ ब्रा और पैंटी की तरह टू पीस थी। बाकी सारा जिस्म नंगा था। हर बिकिनी के रंग के साथ मेल खाते सैंडल भी थे। मैं वो बिकिनी और उसके साथ के हाई-हील सैंडल पहन कर चलती हुई ताहिर अज़ीज़ खान जी के पास आयी। मेरे लगभग नंगे जिस्म को देख कर ताहिर खान जी की जीभ होंठों पर फिरने लगी।

मुझे तो अपने बेटे की किस्मत पर जलन हो रही है। ऐसी खूबसूरत हूर तो बस किसमत वालों को ही नसीब होती है”, उन्होंने मेरी तारीफ़ की। मैंने उनके सामने आकर उसी तरह झुक कर अपने मम्मों को उनकी आँखों के सामने किया और फिर एक हल्के झटके से मम्मों को हिलाया और घूम कर अपने नितंबों पर चिपकी पैंटी के भरपूर जलवे दिखाये। फिर मैं अंदर चली गयी।
 
एक के बाद एक बिकिनी ट्राई करने लगी। हर बिकिनी पहले वाली बिकिनी से ज्यादा छोटी थी। आखिरी बिकिनी तो बस निप्पल को ढकने के लिये दो इंच घेर के दो गोल आकर के कपड़े के टुकड़े थे। दोनों एक दूसरे से पतली डोर से बंधे थे। उन्हें निप्पल के ऊपर सेट करके मैंने डोर अपने पीछे बाँध ली। पैंटी के नाम पर एक छोटा सा एक ही रंग का तिकोना कपड़ा चूत को ढकने के लिये इलास्टिक से बंधा हुआ था। मैंने आइने में देखा। मैं पूरी तरह नंगी नज़र रही थी। हाइ हील सैंडलों में मेरी नंगी गाँड ऊपर की और ऊघड़ रही थी।
 
मैं वो पहन कर जब चलते हुए उनके सामने पहुँची तो उनके हाथ का ग्लास फ़िसल कर कार्पेट पर गिर पड़ा। मैं उनकी हालत देख कर हँस पड़ी। लेकिन तुरंत ही शरम से मेरा चेहरा लाल हो गया।
 
मैंने अब तक कईं गैर मर्दों के साथ में सब कुछ किया था मगर फिरोज़ भाई जान के साथ ही सैक्स को इंजॉय किया था। उनकी तरह इनके साथ भी मैं इंजॉय कर रही थी। मैं इस बार उनके कुछ ज्यादा ही पास पहुँच गयी। उनके सामने जाकर मैं अपना एक पैर सोफे पर उनकी टाँगों के बीच में रख कर मैं झुकी तो मेरे बड़े-बड़े बूब्स उनकी आँखों के सामने नाचने लगे। मेरे दोनों मम्मे उनसे बस एक हाथ की दूरी पर थे। वो अपने हाथों को उठा कर उन्हें छू सकते थे। मेरे सैंडल की आगे की टिप उनके शॉर्ट्स के ऊपर से उनके लंड को छू रही थी। मैंने अपने जिस्म को एक झटका दिया जिससे मेरे मम्मे बुरी तरह उछल उठे। फिर मैं पीछे मुड़कर अपने कमरे में जाने को हुई तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी गोद में खींचा। मैं लहरा कर उनकी गोद में गिर गयी। उनके होंठ मेरे होंठों से चिपक गये। उनके हाथ मेरी गोलाइयों को मसलने लगे। एक हाथ मेरे नंगे जिस्म पर फिरता हुआ नीचे टाँगों के जोड़ तक पहुँचा। उन्होंने मेरी चूत के ऊपर अपना हाथ रख कर पैंटी के ऊपर से ही उस जगह को मुठ्ठी में भर कर मसला। अब उनके हाथ मेरी ब्रा को मेरे जिस्म से अलग करना चाहते थे।
 
वो कुछ और करते कि उनका मोबाइल बज उठा। उनके ऑफिस के किसी आदमी का फोन था। वो किसी ऑफिशल काम के बारे में बात कर रहा था। मैं मौका देख कर उन कपड़ों को समेट कर वहाँ से भाग गयी। मैंने अपने कपड़े उतार कर वापस सलवार कमीज़ पहनी और सारे कपड़ों को समेट कर बॉक्स में रख दिया। मैं पूरी तरह तैयार होकर दस मिनट बाद बाहर आयी। तब तक ताहिर अज़ीज़ खान जी जा चुके थे। मैं टेबल से ड्रिंक्स का सारा सामान उठाने को झुकी तो मुझे सोफ़े पर एक गीला, गोल धब्बा नज़र आया। वो धब्बा उनके वीर्य से बना था। मैं सब समझ कर मुस्कुरा उठी।
 
मैंने अपने लिये एक डबल नीट पैग बनाया और उसे पीने के बाद मैं अपने कमरे में जाकर सो गयी। आज मेरे ससुर जी की रात खराब होनी थी और मैं आने वाले दिनों के बारे सोचती हुई सो गयी जब हफ़्ते भर के लिये पैरिस जैसी रंगीन जगह में हम दोनों को एक साथ रहना था।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 06-10-2020, 12:10 AM



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