05-10-2020, 11:56 PM
“हाई हील्स तो ठीक है लेकिन…?” मैंने थूक का घूँट निगल कर कहा, “मेरे पास तो इस तरह के सैक्सी ड्रेसेज़ हैं नहीं और आपके सामने मैं कैसे उन ड्रेसेज़ को पहन कर रहुँगी? ”
“क्यों क्या प्रॉब्लम है?”
“मैं आपकी बहू हूँ”, मैंने कहा।
“लेकिन वहाँ तुम मेरी सेक्रेटरी बन कर चलोगी!” ताहिर अज़ीज़ खान जी ने कहा।
“ठीक है सेक्रेटरी तो रहुँगी लेकिन इस रिश्ते को भी तो नहीं भुलाया जा सकता ना”, मैंने कहा।
“वहाँ देखने वाला ही कौन होगा। वहाँ हम दोनों को पहचानेगा ही कौन। वहाँ तुम केवल मेरी सेक्रेटरी होगी। एक सैक्सी और…”, मुझे ऊपर से नीचे तक देखते हुए आगे बोले, “हॉट! तुम वहाँ हर वक्त मेरी पर्सनल नीड्स का ख्याल रखोगी जैसा कि कोई अच्छी सेक्रेटरी रखती है… ना कि जैसा कोई बहू अपने ससुर का रखती है।”
उनकी इस बात की गंभीरता को भाँप कर मैंने अपना सिर झुका लिया।
“तुम परेशान मत हो.... सारा अरेंजमेंट कंपनी करेगी! तुम कल मेरे साथ चल कर टेलर के पास अपना नाप दे आना। बाकी किस तरह के ड्रेस सिलवाने हैं और कितने सिलवाने हैं.... सब मेरा हेडेक है।”
अगले दिन मैं उनके साथ जाकर एक फेमस टेलर के पास अपना नाप दे आयी। जाने के दो दिन पहले ताहिर अज़ीज़ खान जी ने दो आदमियों के साथ एक बॉक्स भर कर कपड़े भिजवा दिये।
मैंने देखा कि उनमें हर तरह के कपड़े थे और हर ड्रेस के साथ मेल खाते हाई हील के सैंडल भी थे। कपड़े काफी कीमती थे। मैंने उन कपड़ों और सैंडलों पर एक नज़र डाल कर अपने बेडरूम में रख दिये। मैं नहीं चाहती थी कि मेरी सास को वो एक्सपोज़िंग कपड़े दिखें। पता नहीं उसके बारे में वो कुछ भी सोच सकती थीं।
“क्यों क्या प्रॉब्लम है?”
“मैं आपकी बहू हूँ”, मैंने कहा।
“लेकिन वहाँ तुम मेरी सेक्रेटरी बन कर चलोगी!” ताहिर अज़ीज़ खान जी ने कहा।
“ठीक है सेक्रेटरी तो रहुँगी लेकिन इस रिश्ते को भी तो नहीं भुलाया जा सकता ना”, मैंने कहा।
“वहाँ देखने वाला ही कौन होगा। वहाँ हम दोनों को पहचानेगा ही कौन। वहाँ तुम केवल मेरी सेक्रेटरी होगी। एक सैक्सी और…”, मुझे ऊपर से नीचे तक देखते हुए आगे बोले, “हॉट! तुम वहाँ हर वक्त मेरी पर्सनल नीड्स का ख्याल रखोगी जैसा कि कोई अच्छी सेक्रेटरी रखती है… ना कि जैसा कोई बहू अपने ससुर का रखती है।”
उनकी इस बात की गंभीरता को भाँप कर मैंने अपना सिर झुका लिया।
“तुम परेशान मत हो.... सारा अरेंजमेंट कंपनी करेगी! तुम कल मेरे साथ चल कर टेलर के पास अपना नाप दे आना। बाकी किस तरह के ड्रेस सिलवाने हैं और कितने सिलवाने हैं.... सब मेरा हेडेक है।”
अगले दिन मैं उनके साथ जाकर एक फेमस टेलर के पास अपना नाप दे आयी। जाने के दो दिन पहले ताहिर अज़ीज़ खान जी ने दो आदमियों के साथ एक बॉक्स भर कर कपड़े भिजवा दिये।
मैंने देखा कि उनमें हर तरह के कपड़े थे और हर ड्रेस के साथ मेल खाते हाई हील के सैंडल भी थे। कपड़े काफी कीमती थे। मैंने उन कपड़ों और सैंडलों पर एक नज़र डाल कर अपने बेडरूम में रख दिये। मैं नहीं चाहती थी कि मेरी सास को वो एक्सपोज़िंग कपड़े दिखें। पता नहीं उसके बारे में वो कुछ भी सोच सकती थीं।