05-10-2020, 11:54 PM
ताहिर अज़ीज़ खान जी के ऑफिस में मेरी जगह अब उन्होंने एक ४५ साल की औरत, ज़ीनत को रख लिया था। नाम के बिल्कुल उलटी थी वो -- मोटी और कली सी। वो अब अब्बू की सेक्रेटरी थी। मैंने एक बार अब्बू को छेड़ते हुए कहा था, “क्या पूरी दुनिया में कोई ढंग की सेक्रेटरी आपको नहीं मिली?” तो उन्होंने हँस कर मेरी ओर देखते हुए एक आँख दबा कर कहा, “यही सही है। तुम्हारी जगह कोई दूसरी ले भी नहीं सकती और बाय द वे.... मेरा और कोई कुँवारा बेटा भी तो नहीं बचा ना।”
अभी दो महिने ही हुए थे कि मैंने ताहिर अज़ीज़ खान जी को कुछ परेशान देखा।
“क्या बात है अब्बू... आप कुछ परेशान हैं?” मैंने पूछा।
“शहनाज़! तुम कल से हफ़्ते भर के लिये ऑफिस आने लगो”, उन्होंने मेरी ओर देखते हुए पूछा, “तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं होगी ना अपने पुराने काम को संभालने में?”
“नहीं! लेकिन क्यों?” मैंने पूछा।
“अरे वो नयी सेक्रेटरी अकल के मामले में बिल्कुल खाली है। दस दिन बाद पैरिस में एक सैमिनार है हफ़्ते भर का। मुझे अपने सारे पेपर्स और नोट्स तैयार करने हैं जो कि तुम्हारे अलावा और कोई नहीं कर सकता। तुम जितनी जल्दी अपने काम में एक्सपर्ट हो गयी थीं, वैसी कोई दूसरी मिलना मुश्किल है।”
“लेकिन अब्बू… मैं वापस उस पोस्ट पर रेग्युलर काम नहीं कर सकती क्योंकि जावेद के आने पर मैं वापस मथुरा चली जाऊँगी।”
“कोई बात नहीं। तुम तो केवल मेरे सैमिनार के पेपर्स तैयार कर दो और मेरी सेक्रेटरी बन कर पैरिस में सैमिनार अटेंड कर लो। देखो इंकार मत करना। तुम्हें मेरे साथ सैमिनार अटेंड करना ही पड़ेगा। ज़ीनत के बस का नहीं है ये सब। इन सब सैमिनार में सेक्रेटरी स्मार्ट और सैक्सी होना बहुत जरूरी होता है, जो कि ज़ीनत है नहीं। यहाँ के छोटे-मोटे कामों के लिये ज़ीनत रहेगी।”
अभी दो महिने ही हुए थे कि मैंने ताहिर अज़ीज़ खान जी को कुछ परेशान देखा।
“क्या बात है अब्बू... आप कुछ परेशान हैं?” मैंने पूछा।
“शहनाज़! तुम कल से हफ़्ते भर के लिये ऑफिस आने लगो”, उन्होंने मेरी ओर देखते हुए पूछा, “तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं होगी ना अपने पुराने काम को संभालने में?”
“नहीं! लेकिन क्यों?” मैंने पूछा।
“अरे वो नयी सेक्रेटरी अकल के मामले में बिल्कुल खाली है। दस दिन बाद पैरिस में एक सैमिनार है हफ़्ते भर का। मुझे अपने सारे पेपर्स और नोट्स तैयार करने हैं जो कि तुम्हारे अलावा और कोई नहीं कर सकता। तुम जितनी जल्दी अपने काम में एक्सपर्ट हो गयी थीं, वैसी कोई दूसरी मिलना मुश्किल है।”
“लेकिन अब्बू… मैं वापस उस पोस्ट पर रेग्युलर काम नहीं कर सकती क्योंकि जावेद के आने पर मैं वापस मथुरा चली जाऊँगी।”
“कोई बात नहीं। तुम तो केवल मेरे सैमिनार के पेपर्स तैयार कर दो और मेरी सेक्रेटरी बन कर पैरिस में सैमिनार अटेंड कर लो। देखो इंकार मत करना। तुम्हें मेरे साथ सैमिनार अटेंड करना ही पड़ेगा। ज़ीनत के बस का नहीं है ये सब। इन सब सैमिनार में सेक्रेटरी स्मार्ट और सैक्सी होना बहुत जरूरी होता है, जो कि ज़ीनत है नहीं। यहाँ के छोटे-मोटे कामों के लिये ज़ीनत रहेगी।”