05-10-2020, 11:53 PM
सुबह दोनों कपड़े पहन कर वापस चले गये। जावेद उन्हें होटल पर छोड़ आया। मैं उसी तरह बिस्तर पर बेसुध सी पड़ी हुई थी। सुबह ग्यारह बजे के आस पास मुझे थोड़ा होश आया तो जावेद को मैंने अपने पास बैठे हुए पाया। उसने सहारा देकर मुझे उठाया और मेरे सैंडल उतार कर मुझे बाथरूम तक पहुँचाया। मेरे पैर बुरी तरह काँप रहे थे। बाथरूम में शॉवर के नीचे मैं लगभग पंद्रह मिनट तक बैठी रही।
मैं एक लेडी डॉक्टर के पास भी हो आयी। लेडी डॉक्टर मेरी हालत देख कर समझी कि मेरे साथ कोई रेप जैसा हादसा हुआ है। मैंने भी उसे अपने कानफिडेंस में लेटे हुए कहा, “कल घर पर हसबैंड नहीं थे। चार आदमी जबरदस्ती घुस आये थे और उन्होंने मेरे साथ रात भर रेप किया।”
लेडी डॉक्टर ने पूछा कि मैंने सिक्युरिटी में एफ़-आई-आर दर्ज़ करवायी या नहीं तो मैंने उसको कहा, “मैं इस घटना का जिक्र करके बदनाम नहीं होना चाहती। मैंने अंधेरे में उनके चेहरे तो देखे नहीं थे तो फिर कैसे पहचानुँगी उन्हें..... इसलिये आप भी इसका जिक्र किसी से ना करें।”
डॉक्टर मेरी बातों से सहमत हो गयी मेरा मुआयना करके कुछ दवाइयाँ लिख दीं। मुझे पूरी तरह नॉर्मल होने में कईं दिन लग गये। मेरे मम्मों पर दाँतों के काले काले धब्बे तो महीने भर तक नज़र आते रहे। जावेद का काम हो गया था। उनके इलाईट कंपनी से वापस अच्छे संबंध हो गये। जावेद ने, जब तक मैं बिल्कुल ठीक नहीं हो गयी, तब तक मुझे पलकों पर बिठाये रखा। मुझे दो दिनों तक तो बिस्तर से ही उठने नहीं दिया। उसके मन में एक गिलटी फ़ीलिंग तो थी ही कि मेरी इस हालत की वजह वो और उनका बिज़नेस है।
कुछ ही दिनों में एक बहुत बड़ा कांट्रेक्ट हाथ लगा। उसके लिये जावेद को अमेरिका जाना पड़ा। वहाँ कस्टमर्स के साथ डीलिंग्स तय करनी थी और नये कस्टमर्स भी तलाश करने थे। उसे वहाँ करीब छः महीने लगने थे। मैंने इस दौरान उनके पेरेंट्स के साथ रहने की इच्छा ज़ाहिर कि। मैं अब मिस्टर ताहिर अज़ीज़ खान के बेटे की बीवी बन चुकी थी मगर अभी भी जब मैं उनके साथ अकेली होती तो मेरा मन मचलने लगता। मेरे जिस्म में एक सिहरन सी दौड़ने लगती। कहावत ही है कि लड़कियाँ अपनी पहली मोहब्बत कभी नहीं भूल पातीं।
मैं एक लेडी डॉक्टर के पास भी हो आयी। लेडी डॉक्टर मेरी हालत देख कर समझी कि मेरे साथ कोई रेप जैसा हादसा हुआ है। मैंने भी उसे अपने कानफिडेंस में लेटे हुए कहा, “कल घर पर हसबैंड नहीं थे। चार आदमी जबरदस्ती घुस आये थे और उन्होंने मेरे साथ रात भर रेप किया।”
लेडी डॉक्टर ने पूछा कि मैंने सिक्युरिटी में एफ़-आई-आर दर्ज़ करवायी या नहीं तो मैंने उसको कहा, “मैं इस घटना का जिक्र करके बदनाम नहीं होना चाहती। मैंने अंधेरे में उनके चेहरे तो देखे नहीं थे तो फिर कैसे पहचानुँगी उन्हें..... इसलिये आप भी इसका जिक्र किसी से ना करें।”
डॉक्टर मेरी बातों से सहमत हो गयी मेरा मुआयना करके कुछ दवाइयाँ लिख दीं। मुझे पूरी तरह नॉर्मल होने में कईं दिन लग गये। मेरे मम्मों पर दाँतों के काले काले धब्बे तो महीने भर तक नज़र आते रहे। जावेद का काम हो गया था। उनके इलाईट कंपनी से वापस अच्छे संबंध हो गये। जावेद ने, जब तक मैं बिल्कुल ठीक नहीं हो गयी, तब तक मुझे पलकों पर बिठाये रखा। मुझे दो दिनों तक तो बिस्तर से ही उठने नहीं दिया। उसके मन में एक गिलटी फ़ीलिंग तो थी ही कि मेरी इस हालत की वजह वो और उनका बिज़नेस है।
कुछ ही दिनों में एक बहुत बड़ा कांट्रेक्ट हाथ लगा। उसके लिये जावेद को अमेरिका जाना पड़ा। वहाँ कस्टमर्स के साथ डीलिंग्स तय करनी थी और नये कस्टमर्स भी तलाश करने थे। उसे वहाँ करीब छः महीने लगने थे। मैंने इस दौरान उनके पेरेंट्स के साथ रहने की इच्छा ज़ाहिर कि। मैं अब मिस्टर ताहिर अज़ीज़ खान के बेटे की बीवी बन चुकी थी मगर अभी भी जब मैं उनके साथ अकेली होती तो मेरा मन मचलने लगता। मेरे जिस्म में एक सिहरन सी दौड़ने लगती। कहावत ही है कि लड़कियाँ अपनी पहली मोहब्बत कभी नहीं भूल पातीं।