05-10-2020, 11:52 PM
रस्तोगी की पहले एक अँगुली मेरी गाँड के अंदर घुस कर काम रस से गीला करने लगी मगर जल्दी ही वो दो तीन अँगुलियाँ मेरी गाँड में ठूँसने लगा। मैं हर हमले पर अपनी कमर को उछाल देती मगर उस पर कोई असर नहीं होता। कुछ ही देर में मेरी गाँड को अच्छी तरह चूत के रस से गीला कर के रस्तोगी ने अपने लंड को वहाँ सटाया। स्वामी ने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों चूतड़ों को अलग करके रस्तोगी के लिये काम आसान कर दिया। मैंने पहले कभी गाँड चुदाई नहीं की थी, इसलिये घबराहट से मेरा दिल बैठने लगा।
रस्तोगी ने एक जोर के धक्के से अपने लंड को मेरी गाँड में घुसाने की कोशिश की मगर उसका लंड आधा इंच भी अंदर नहीं जा पाया। मैं दर्द से छटपटा उठी। रस्तोगी ने अब अपनी दो अँगुलियों से मेरी गाँड के छेद को फैला कर अपने लंड को उसमें ठूँसने की कोशिश की मगर इस बार भी उसका लंड रास्ता नहीं बना सका। इस नाकामयाबी से रस्तोगी झुँझला उठा। उसने लगभग चींखते हुए जावेद से कहा, “क्या टुकर-टुकर देख रहा है.... जा जल्दी से कोई क्रीम ले कर आ। लगता है तूने आज तक तेरी बीवी की ये सील नहीं तोड़ी। मैं तो इसकी गाँड सूखी ही मारना चाहता था पर साली बहुत टाईट है। मेरे लंड को पीस कर रख देगी।” रस्तोगी उत्तेजना में गंदी-गंदी बातें बड़बड़ा रहा था। जावेद ने पास के ड्रैसिंग टेबल से कोल्ड क्रीम की बोतल लाकर रस्तोगी को दी। रस्तोगी ने अपनी अँगुली से लगभग आधी शीशी क्रीम निकाल कर मेरे गाँड के छेद पर लगायी। फिर वो अपनी अँगुलियों से अंदर तक अच्छे से चीकना करने लगा। कुछ क्रीम उठा कर अपने लंड पर भी लगायी। इस बार जब उसने मेरी गाँड के छेद पर अपने लंड को रख कर धक्का दिया तो उसका लंड मेरी गाँड के छेद को फ़ाड़ता हुआ अंदर घुस गया। दर्द से मेरा जिस्म ऐंठने लगा। ऐसा लगा मानो कोई एक मोटी सलाख मेरी गाँड में डाल दी हो।
“आआआऽऽऽऽऊऊऊऊऽऽऽऽऽ ओहहऽऽऽऽ.. आआऽऽऽऽऽ.. ईईऽऽऽऽ ममऽऽऽमाँऽऽऽऽ”, मैं दर्द से छटपटा रही थी। दो तीन धक्के में ही उसका पूरा लंड मेरे पिछले छेद से अंदर घुस गया। जब तक उसका पूरा लंड मेरे शरीर में दाखिल नहीं हो गया तब तक स्वामी ने अपने धक्के बंद रखे और मेरे जिस्म को बुरी तरह अपने सीने पर जकड़ के रखा था। मुझे लगा कि मेरा शरीर सुन्न होता जा रहा है। लेकिन कुछ ही देर में वापस दर्द की तेज़ लहर ने पूरे जिस्म को जकड़ लिया। अब दोनों ने धक्के मारने शुरू कर दिये। हर धक्के के साथ मैं कसमसा उठती। दोनों के बड़े-बड़े लंड, ऐसा लग रहा था कि मेरे पेट की सारी अंतड़ियों को तोड़ कर रख देंगे। पंद्रह बीस मिनट तक दोनों के द्वारा मेरी ठुकायी चलती रही। फिर एक साथ दोनों ने मेरे दोनों छेदों को रस से भर दिया। रस्तोगी झड़ने के बाद मेरे जिस्म से हटा। मैं काफी देर तक स्वामी के जिस्म पर ही पसरी रही। उसका लंड नरम हो कर मेरी चूत से निकल चुका था। लेकिन मुझ में अब बिल्कुल भी ताकत नहीं बची थी। मुझे स्वामी ने अपने ऊपर से हटाया और अपनी बगल में लिटा लिया। मेरी आँखें बंद होती चली गयी। मैं थकान और नशे से नींद के आगोश में चली गयी। उसके बाद भी रात भर मेरे तीनों छेदों को आराम नहीं करने दिया गया। मुझे कईं बार कईं तरह से उन दोनों ने चोदा। मगर मैं नशे में चूर होकर बेसुध ही रही। एक दो बार दर्द से मेरी खुमारी जरूर टूटी लेकिन अगले ही पल वापस मैं नशे में बेसुध हो जाती। दोनों रात भर मेरे जिस्म को नोचते रहे। मेरे अंग-अंग को उन्होंने चोदा। मेरे मम्मों, बगलों और यहाँ तक कि मेरे पैरों और सैंडलों के बीच में भी अपने लौड़ों से रगड़ कर मुझे चोदा।
रस्तोगी ने एक जोर के धक्के से अपने लंड को मेरी गाँड में घुसाने की कोशिश की मगर उसका लंड आधा इंच भी अंदर नहीं जा पाया। मैं दर्द से छटपटा उठी। रस्तोगी ने अब अपनी दो अँगुलियों से मेरी गाँड के छेद को फैला कर अपने लंड को उसमें ठूँसने की कोशिश की मगर इस बार भी उसका लंड रास्ता नहीं बना सका। इस नाकामयाबी से रस्तोगी झुँझला उठा। उसने लगभग चींखते हुए जावेद से कहा, “क्या टुकर-टुकर देख रहा है.... जा जल्दी से कोई क्रीम ले कर आ। लगता है तूने आज तक तेरी बीवी की ये सील नहीं तोड़ी। मैं तो इसकी गाँड सूखी ही मारना चाहता था पर साली बहुत टाईट है। मेरे लंड को पीस कर रख देगी।” रस्तोगी उत्तेजना में गंदी-गंदी बातें बड़बड़ा रहा था। जावेद ने पास के ड्रैसिंग टेबल से कोल्ड क्रीम की बोतल लाकर रस्तोगी को दी। रस्तोगी ने अपनी अँगुली से लगभग आधी शीशी क्रीम निकाल कर मेरे गाँड के छेद पर लगायी। फिर वो अपनी अँगुलियों से अंदर तक अच्छे से चीकना करने लगा। कुछ क्रीम उठा कर अपने लंड पर भी लगायी। इस बार जब उसने मेरी गाँड के छेद पर अपने लंड को रख कर धक्का दिया तो उसका लंड मेरी गाँड के छेद को फ़ाड़ता हुआ अंदर घुस गया। दर्द से मेरा जिस्म ऐंठने लगा। ऐसा लगा मानो कोई एक मोटी सलाख मेरी गाँड में डाल दी हो।
“आआआऽऽऽऽऊऊऊऊऽऽऽऽऽ ओहहऽऽऽऽ.. आआऽऽऽऽऽ.. ईईऽऽऽऽ ममऽऽऽमाँऽऽऽऽ”, मैं दर्द से छटपटा रही थी। दो तीन धक्के में ही उसका पूरा लंड मेरे पिछले छेद से अंदर घुस गया। जब तक उसका पूरा लंड मेरे शरीर में दाखिल नहीं हो गया तब तक स्वामी ने अपने धक्के बंद रखे और मेरे जिस्म को बुरी तरह अपने सीने पर जकड़ के रखा था। मुझे लगा कि मेरा शरीर सुन्न होता जा रहा है। लेकिन कुछ ही देर में वापस दर्द की तेज़ लहर ने पूरे जिस्म को जकड़ लिया। अब दोनों ने धक्के मारने शुरू कर दिये। हर धक्के के साथ मैं कसमसा उठती। दोनों के बड़े-बड़े लंड, ऐसा लग रहा था कि मेरे पेट की सारी अंतड़ियों को तोड़ कर रख देंगे। पंद्रह बीस मिनट तक दोनों के द्वारा मेरी ठुकायी चलती रही। फिर एक साथ दोनों ने मेरे दोनों छेदों को रस से भर दिया। रस्तोगी झड़ने के बाद मेरे जिस्म से हटा। मैं काफी देर तक स्वामी के जिस्म पर ही पसरी रही। उसका लंड नरम हो कर मेरी चूत से निकल चुका था। लेकिन मुझ में अब बिल्कुल भी ताकत नहीं बची थी। मुझे स्वामी ने अपने ऊपर से हटाया और अपनी बगल में लिटा लिया। मेरी आँखें बंद होती चली गयी। मैं थकान और नशे से नींद के आगोश में चली गयी। उसके बाद भी रात भर मेरे तीनों छेदों को आराम नहीं करने दिया गया। मुझे कईं बार कईं तरह से उन दोनों ने चोदा। मगर मैं नशे में चूर होकर बेसुध ही रही। एक दो बार दर्द से मेरी खुमारी जरूर टूटी लेकिन अगले ही पल वापस मैं नशे में बेसुध हो जाती। दोनों रात भर मेरे जिस्म को नोचते रहे। मेरे अंग-अंग को उन्होंने चोदा। मेरे मम्मों, बगलों और यहाँ तक कि मेरे पैरों और सैंडलों के बीच में भी अपने लौड़ों से रगड़ कर मुझे चोदा।