Thread Rating:
  • 5 Vote(s) - 2.4 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery तरक्की का सफ़र
मैंने देखा कि दोनों अपनी चूत साड़ी के ऊपर से खुजा रही थी। सर! क्यों ना हम वो काम डिसकस कर लें जो आपने ऑफिस में बताया था, मैंने एम-डी से कहा। 

हाँ! तुम सही कहते हो, चलो सब स्टडी में चलते हैं, एम-डी अपनी सीट से उठते हुए बोला। 
 
जब तक दोनों औरतें स्टडी में दाखिल होतीं, दोनों जोर-जोर से अपनी चूत खुजला रही थी।
 
क्या हुआ तुम दोनों को? चूत में कुछ ज्यादा ही खुजली मच रही लगती है?” एम-डी जोर से हंसता हुआ बोला।
 
योगिता! मुझे विश्वास है ये सब इसी का किया हुआ है, जरूर इसने अपनी वो दवाई किसी चीज़ में मिला दी है, मिली बोली।
 
जरूर दवाई पकोड़ों में मिलायी होगी, इसका मतलब राज और प्रीती भी मिले हुए हैं, योगिता बोली।
 
अब इन बातों को छोड़ो! मेरी चूत में तो आग लगी हुई है, मिली ने बे-शरमी से अपनी सड़ी उठा कर चूत में अँगुली करते हुए कहा, योगिता! तुम राजू को लो..... मैं देखती हूँ राज क्या कर सकता है।
 
दोनों मिल कर हमारे कपड़े फाड़ने लगीं। इतनी जल्दी क्या है मेरी रानी?” एम-डी ने उन्हें चिढ़ाते हुए कहा।
 
साले हरामी... तूने ही मेरी चूत में इतनी आग लगा दी है और तुझे ही अपने लंड के पानी से इसे बुझाना होगा, मिली जोर से चिल्लाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर मुझे सोफ़े पर खींच के ले गयी।
 
आआआहहहहह!!! मिली सिसकी जैसे ही मेरे लंड ने उसकी चूत में प्रवेश किया। कुछ सैकेंड में एम-डी भी मेरी बगल में आकर योगिता को जोर से चोद रहा था। हम दोनों की रफ़्तार काफी तेज थी और थाप से थाप भी मिल रही थी।
 
हाँआँआआआआआआ राज!!!!!!! और जोर से चोदो, मिली मेरी थाप से थाप मिला रही थी और कामुक आवाजें निकाल रही थी।
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 05-10-2020, 11:22 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)