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Adultery तरक्की का सफ़र
भाग- ९

प्रीती अब बहुत खुश थी कि उसने महेश से अपना बदला ले लिया था। एक दिन उसने मुझसे कहा, राज! मुझे अब एम-डी से बदला लेना है, लेकिन कोई उपाय नहीं दिख रहा।

 

तुम रजनी को सीढ़ी क्यों नहीं बनाती?” मैंने सलाह देते हुए कहा, एम-डी उसे अपनी बेटियों से भी ज्यादा प्यार करता है।

 

हाँ!!! मैं भी यही सोच रही थी, प्रीती ने जवाब दिया।

 

लेकिन एक चीज़ ध्यान में रखना, वो पढ़ी लिखी और समझदार लड़की है, मीना और मेरी बहनों की तरह बेवकूफ़ नहीं।

 

क्या तुम उसे प्यार करते हो?” उसने पूछा।

 

बिल्कुल भी नहीं! पर हाँ मुझे उससे हमदर्दी जरूर है, वो मेरी पहली कुँवारी चूत थी। मैंने जवाब दिया।

 

ठीक है... मैं चाँस लेती हूँ! लगता है मैं उसे समझाने में और मनाने में कामयाब हो जाऊँगी, प्रीती ने कहा।

 

प्रीती के बुलाने पर एक दिन शाम को रजनी हमारे घर आयी। मैंने देखा कि वो बातें करने में झिझक रही थी ।

 

रजनी! इसके पहले कि मैं तुम्हें बताऊँ कि मैंने तुम्हें यहाँ क्यों बुलाया है और मैं तुमसे क्या चाहती हूँ, ये जान लो कि मुझे तुम्हारे और राज के बारे में सब मालूम है और मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा।

 

रजनी कुछ बोली नहीं और चुप रही।

 

लेकिन एक बात मुझे पहले बताओ, क्या राज के बाद तुमने किसी से चुदवाया है? प्रीती ने पूछा।

 

रजनी ने झिझकते हुए मेरी ओर देखा और मैंने गर्दन हिला कर उसे सहमती दे दी।

 

प्रीती, अगर तुम इतने खुले रूप में पूछ रही हो तो मैं बताती हूँ कि मैंने अपने कॉलेज के दो लड़कों से चुदवाया है पर राज जैसा कोई नहीं था।

 

मैं जानती हूँ! राज से चुदवाने में जो मज़ा आता है वो किसी से भी नहीं आता, प्रीती ने जवाब दिया।

 

अच्छा... अब मुझे बताओ तुमने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है? रजनी ने पूछा।
 
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RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 07-09-2020, 08:40 PM



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