07-09-2020, 08:37 PM
“प्लीज़ सोने दो! अभी बहुत सुबह है”, कहकर मैं करवट बदल कर सो गया।
“राज सुनो! मीना का फोन आया था, महेश रात से घर नहीं पहुँचा है, वो बहुत घबरायी हुई थी।” प्रीती मुझे फिर उठाते हुए बोली।
मैं भी घबराकर उठा, “ये कैसे हो सकता है, मैंने खुद उसे गाड़ी में बिठाया था।”
एक घंटे के बाद हमें खबर मिली कि महेश की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गयी है।
दूसरे दिन ऑफिस में हम सभी ने मिलकर महेश की मौत का शोक मनाया। सभी को इस बात का दुख था।
एम-डी ने मुझे अपने केबिन में बुलाकर कहा, “राज! तुम जानते हो कि महेश अब नहीं है, सो मैं चाहता हूँ कि आज से उसकी जगह तुम ले लो।”
“थैंक यू सर”, मैंने कहा।
“और हाँ राज! मैंने मीना को भी नौकरी दे दी है। कल से वो तुम्हें रिपोर्ट करेगी। राज! मैं चाहता हूँ कि तुम उसका खयाल रखो और उसे बड़े कामों के लिये तैयार करो। आखिर वो हमारे पुराने दोस्त की बेटी है। पर इसका मतलब ये नहीं है कि हम उसकी टाइट चूत का मज़ा नहीं लेंगे”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।
“हाँ सर! पर आप उसकी कसी-कसी गाँड मत भूलियेगा”, मैंने भी हँसते हुए जवाब दिया।
रात को घर पहुँच कर मैंने प्रीती को सब बताया। मेरी तरक्की की बात सुन वो बहुत खुश हो गयी और हमने स्कॉच की नयी बोतल खोल कर सेलीब्रेट किया। फिर प्रीती मुझे बाँहों में पकड़ कर चूमने लगी। मैं भी उसे चूमने लगा और अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी। मेरे दोनों हाथ उसके शरीर को सहला रहे थे।
मैंने धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिये। उसके मम्मों को देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया और मैं उसके निप्पल को मुँह में ले कर चूसने लगा।
प्रीती ने भी मेरे कपड़े उतार दिये और अपने हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगी। मैंने उसे गोद में उठाया और बिस्तर पे लिटा कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
“ऊऊऊऊहहहहह राज!!!” उसने मुझे बाँहों में भींचते हुए कहा, “तुम्हें क्या पता तुम्हारे मोटे और लंबे लंड के बिना मैंने आज पूरा दिन कैसे गुज़ारा है।” कहकर वो भी कमर उछालने लग गयी। थोड़ी ही देर में हम दोनों झड़ गये।
दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो मीना को मेरा इंतज़ार करते हुए पाया, “आओ मीना! मैं तुम्हें तुम्हारा काम समझा दूँ”, मीना मेरे पीछे मेरे केबिन में आ गयी।
“राज सुनो! मीना का फोन आया था, महेश रात से घर नहीं पहुँचा है, वो बहुत घबरायी हुई थी।” प्रीती मुझे फिर उठाते हुए बोली।
मैं भी घबराकर उठा, “ये कैसे हो सकता है, मैंने खुद उसे गाड़ी में बिठाया था।”
एक घंटे के बाद हमें खबर मिली कि महेश की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गयी है।
दूसरे दिन ऑफिस में हम सभी ने मिलकर महेश की मौत का शोक मनाया। सभी को इस बात का दुख था।
एम-डी ने मुझे अपने केबिन में बुलाकर कहा, “राज! तुम जानते हो कि महेश अब नहीं है, सो मैं चाहता हूँ कि आज से उसकी जगह तुम ले लो।”
“थैंक यू सर”, मैंने कहा।
“और हाँ राज! मैंने मीना को भी नौकरी दे दी है। कल से वो तुम्हें रिपोर्ट करेगी। राज! मैं चाहता हूँ कि तुम उसका खयाल रखो और उसे बड़े कामों के लिये तैयार करो। आखिर वो हमारे पुराने दोस्त की बेटी है। पर इसका मतलब ये नहीं है कि हम उसकी टाइट चूत का मज़ा नहीं लेंगे”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।
“हाँ सर! पर आप उसकी कसी-कसी गाँड मत भूलियेगा”, मैंने भी हँसते हुए जवाब दिया।
रात को घर पहुँच कर मैंने प्रीती को सब बताया। मेरी तरक्की की बात सुन वो बहुत खुश हो गयी और हमने स्कॉच की नयी बोतल खोल कर सेलीब्रेट किया। फिर प्रीती मुझे बाँहों में पकड़ कर चूमने लगी। मैं भी उसे चूमने लगा और अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी। मेरे दोनों हाथ उसके शरीर को सहला रहे थे।
मैंने धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिये। उसके मम्मों को देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया और मैं उसके निप्पल को मुँह में ले कर चूसने लगा।
प्रीती ने भी मेरे कपड़े उतार दिये और अपने हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगी। मैंने उसे गोद में उठाया और बिस्तर पे लिटा कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
“ऊऊऊऊहहहहह राज!!!” उसने मुझे बाँहों में भींचते हुए कहा, “तुम्हें क्या पता तुम्हारे मोटे और लंबे लंड के बिना मैंने आज पूरा दिन कैसे गुज़ारा है।” कहकर वो भी कमर उछालने लग गयी। थोड़ी ही देर में हम दोनों झड़ गये।
दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो मीना को मेरा इंतज़ार करते हुए पाया, “आओ मीना! मैं तुम्हें तुम्हारा काम समझा दूँ”, मीना मेरे पीछे मेरे केबिन में आ गयी।