07-09-2020, 07:57 PM
मैंने उसके चेहरे के सामने फिर देखा और मेरी नज़र उसके लंड की तरफ दौड़ गयी। मैं तो एकदम भौंचक्की रह गयी... उसका लंड तो गुब्बारे की तरह तन कर फूल रहा था और एक दो सेकंड के अंदर तो लोहे के बड़े डँडे की तरह टाईट हो गया।
“हाय अल्लाह! यह अभी खतम नहीं हुआ… भागो सबा” मैंने अपने दिल में कहा। अपनी सारी ताकत और हिम्मत समेटे हुए मैं खड़ी हुई और मैंने भागने के लिये कदम बढ़ाया। अचानक उसने मेरे सर के बालों को पकड़ के मुझे अपनी ओर खींचा।
“कहाँ जा रही है कुत्तिया सबा… अब तो तू मेरी राँड है... मेरे कहने से पहले तू यहाँ से नहीं जा सकती!” वो गुस्से से दहाड़ा।
अब उसने मेरी एकदम टाईट चूंचियों को मसलना शुरू कर दिया और देखते-देखते मेरा ब्लाऊज़ फाड़ दिया और मेरे जिस्म से खींच निकला। अब मैं सिर्फ़ ब्रा में थी जो मुश्किल से मेरी चूंचियों को अपने अंदर समाये हुई थी। मेरी चूचियों को महसूस करते ही वो तो पागल-सा हो गया और ऐसे मसलने लगा कि जैसे ज़िंदगी में ऐसी चूचियाँ देखी ही ना हों। वो पागलों की तरह मेरी चूचियों को मसल रहा था और बीच-बीच में वो मेरी निप्पलों को ज़ोर-ज़ोर से पिंच करता था और मेरे गले के इर्द-गिर्द दाँतों से काटता था। मेरे जिस्म पे अब सिर्फ़ एक साड़ी और पेटीकोट था वो भी कमर के नीचे। ऊपर तो सिर्फ़ ब्रा थी और साड़ी भी कैसी... पैंटी तो पहले ही उस कमीने ने फाड़ के निकाल फेंक दी थी। बारिश के ठंडे पानी में इतनी देर रहने के कारण मेरे सैंडलों के स्ट्रैप मेरे पैरों में काट रहे थे।
“कहाँ जा रही थी रंडी... तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था... सबा रानी... मैं तुझसे कितनी अच्छी तरह से पेश आ रहा था... इस तरह से किसी का शुक्रिया अदा किया जाता है... अब तेरी इस हरकत ने देख मुझे पागल बना दिया है!”
फिर उसने मेरे चेहरे को पकड़ के कार के हूड से पटका।
“आआआआआहहहहह” मैं दर्द से मर गयी और मेरी सारी ताकत हवा हो गयी। फिर उसने मुझे दबोचे हुए ही मेरी टाँगों के बीच में एक लात मार के मेरी टाँगों को फैला दिया और मेरी साड़ी खींच कर निकाल दी और पेटीकोट कि नाड़ा पकड़ के खींचा और पेटीकोट नीचे गिर गया। अब तो मैं सिर्फ़ ब्रा और हाई हील सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी उस बरसात में वहाँ खड़ी थी। अभी भी वो मेरी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलता जा रहा था और ब्रा के कप नीचे खिसका कर उसने चूचियों को आज़ाद कर दिया था। मेरी चूचियाँ एकदम लाल हो के टाईट हो गयी थी... जैसे की वो भी अपने मसले जाने का लुत्फ उठा रही हों। सारी ज़िंदगी में मेरी चूचियाँ किसी ने ऐसे जोर से नहीं मसली थीं। बारिश का ठंडा पानी अब मेरी खुली हुई गाँड पे गिर रहा था और मेरी गाँड का छेद शायद उसे साफ़ नज़र आ रहा था।
“एकदम टाईट गाँड है तेरी... सबा राँड! लगता है किसी ने आज तक तेरी गाँड ली नहीं… तुझे पता है ना सबा... इसी लिये तू साली ऐसी टाईट साड़ी और यह उँची एड़ी के सैंडल पहनती है?”
“हाय अल्लाह! यह अभी खतम नहीं हुआ… भागो सबा” मैंने अपने दिल में कहा। अपनी सारी ताकत और हिम्मत समेटे हुए मैं खड़ी हुई और मैंने भागने के लिये कदम बढ़ाया। अचानक उसने मेरे सर के बालों को पकड़ के मुझे अपनी ओर खींचा।
“कहाँ जा रही है कुत्तिया सबा… अब तो तू मेरी राँड है... मेरे कहने से पहले तू यहाँ से नहीं जा सकती!” वो गुस्से से दहाड़ा।
अब उसने मेरी एकदम टाईट चूंचियों को मसलना शुरू कर दिया और देखते-देखते मेरा ब्लाऊज़ फाड़ दिया और मेरे जिस्म से खींच निकला। अब मैं सिर्फ़ ब्रा में थी जो मुश्किल से मेरी चूंचियों को अपने अंदर समाये हुई थी। मेरी चूचियों को महसूस करते ही वो तो पागल-सा हो गया और ऐसे मसलने लगा कि जैसे ज़िंदगी में ऐसी चूचियाँ देखी ही ना हों। वो पागलों की तरह मेरी चूचियों को मसल रहा था और बीच-बीच में वो मेरी निप्पलों को ज़ोर-ज़ोर से पिंच करता था और मेरे गले के इर्द-गिर्द दाँतों से काटता था। मेरे जिस्म पे अब सिर्फ़ एक साड़ी और पेटीकोट था वो भी कमर के नीचे। ऊपर तो सिर्फ़ ब्रा थी और साड़ी भी कैसी... पैंटी तो पहले ही उस कमीने ने फाड़ के निकाल फेंक दी थी। बारिश के ठंडे पानी में इतनी देर रहने के कारण मेरे सैंडलों के स्ट्रैप मेरे पैरों में काट रहे थे।
“कहाँ जा रही थी रंडी... तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था... सबा रानी... मैं तुझसे कितनी अच्छी तरह से पेश आ रहा था... इस तरह से किसी का शुक्रिया अदा किया जाता है... अब तेरी इस हरकत ने देख मुझे पागल बना दिया है!”
फिर उसने मेरे चेहरे को पकड़ के कार के हूड से पटका।
“आआआआआहहहहह” मैं दर्द से मर गयी और मेरी सारी ताकत हवा हो गयी। फिर उसने मुझे दबोचे हुए ही मेरी टाँगों के बीच में एक लात मार के मेरी टाँगों को फैला दिया और मेरी साड़ी खींच कर निकाल दी और पेटीकोट कि नाड़ा पकड़ के खींचा और पेटीकोट नीचे गिर गया। अब तो मैं सिर्फ़ ब्रा और हाई हील सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी उस बरसात में वहाँ खड़ी थी। अभी भी वो मेरी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलता जा रहा था और ब्रा के कप नीचे खिसका कर उसने चूचियों को आज़ाद कर दिया था। मेरी चूचियाँ एकदम लाल हो के टाईट हो गयी थी... जैसे की वो भी अपने मसले जाने का लुत्फ उठा रही हों। सारी ज़िंदगी में मेरी चूचियाँ किसी ने ऐसे जोर से नहीं मसली थीं। बारिश का ठंडा पानी अब मेरी खुली हुई गाँड पे गिर रहा था और मेरी गाँड का छेद शायद उसे साफ़ नज़र आ रहा था।
“एकदम टाईट गाँड है तेरी... सबा राँड! लगता है किसी ने आज तक तेरी गाँड ली नहीं… तुझे पता है ना सबा... इसी लिये तू साली ऐसी टाईट साड़ी और यह उँची एड़ी के सैंडल पहनती है?”