07-09-2020, 07:55 PM
मैंने काफी कोशिश की कि उसका लंड मेरे मुँह से बाहर निकल जाये लेकिन उसकी बे-इंतहा ताकत के सामने मैं नाकामयाब रही और वो झटके देता गया और उसका रस मेरे हलक से नीचे उतर गया। उसने अपना पूरा रस झड़ने तक अपना लंड मेरे हलक में घुसेड़े रखा ताकि उसका जरा भी रस बाहर ना गिरे। खुद मुतमाइन होके उसने थोड़ा ढील छोड़ा और अपना लंड मेरे हलक से बाहर निकाला। उसके बाद जाके मैं कुछ साँस ले पायी।
“ले साली पी... पी साली मेरा रस... पी राँड मुझे पता है तुम साली सभी औरतों को बहुत माज़ा आता है लंड चूसने में... ले मेरा लंड चूस के उसका रस पी... पी साली मादरचोद!” उसका रस अभी भी उसके लंड से बाहर निकल रहा था। धीरे से उसने अपना ढीला हुआ लंड मेरे मुँह से निकाला। अल्लाह कसम, उसका ढीला हुआ लंड भी मेरे शौहर के तने हुए लंड से बड़ा था। जब उसने अपना लंड निकाला तब मैंने चैन की साँस ली। उसके रस ने मेरे सारे चेहरे को ढक दिया था और ठंडा पानी मेरे चेहरे से उस रस को धो रहा था। मैं थक के सिकुड़ कर जमीन पे बैठ गयी।
“क्या बात है तुझे मेरा लंड चूसना अच्छा नहीं लगा?”
मैं उसे गुस्सा नहीं करना चाहती थी। इसलिए मैंने सिर्फ़ उसकी और देख के अपना सर हिलाया। मैंने क्यों उसे “हाँ” कहा? मुझे नहीं पता कि यह सच था कि नहीं? मेरे हलक में बहुत दर्द हो रहा था और उसके रस का ज़ायका अब भी मेरी ज़ुबान पे था। बारिश अभी भी उसी तेज़ी से बरस रही थी। बारिश की बूँदें अब काफी बड़ी हो गयी थी। मैंने उसकी और देखा तो वो मुस्कुरा रहा था। मुझे उसके सफ़ेद दाँतों के सिवा कुछ नज़र नहीं आ रहा था। मैं तो जैसे कोई हॉरर-मूवी देख रही हूँ ऐसा हाल था।
“प्लीज़... क्या मैं अब जा सकती हूँ...” मैंने काँपते हुए कहा, “प्लीज़ मुझे जाने दो। तुमने जो कहा मैंने वो कर दिया है... प्लीज़ अब मुझे जाने दो...!”
वो मेरे सामने देख कर हँस पड़ा। मैं खुद को काफी बे-इज्जत महसूस करने लगी। मुझे ज्यादा शरमिंदगी तो इस बात से हुई कि मेरे जिस्म ने उसके हर एक मूव को रिसपॉन्ड किया था। ऐसा क्यों हुआ? मेरी चूत अभी भी सातवें आसमान के समँदर में झोले खा रही थी और मेरे मम्मे अभी तक टाईट थे और निप्पल तो जैसे नोकिले काँटों की जैसे थे।
“क्या नाम है तेरा...?” उसने पूछा।
मैंने सहमी हुई आवाज़ में कहा “सबा!”
फिर वो बोला “सबा... बड़ा प्यारा नाम है..और तू तो उससे भी ज्यादा प्यारी है तुझे लगता है मैं तुझे यूँ ही छोड़ दूँगा?”
“लेकिन तुमने कहा था अगर मैं तुम्हारा लंड चूस दूँगी तो तुम मुझे जाने दोगे!” मैं जल्दी-जल्दी बोल गयी।
“ले साली पी... पी साली मेरा रस... पी राँड मुझे पता है तुम साली सभी औरतों को बहुत माज़ा आता है लंड चूसने में... ले मेरा लंड चूस के उसका रस पी... पी साली मादरचोद!” उसका रस अभी भी उसके लंड से बाहर निकल रहा था। धीरे से उसने अपना ढीला हुआ लंड मेरे मुँह से निकाला। अल्लाह कसम, उसका ढीला हुआ लंड भी मेरे शौहर के तने हुए लंड से बड़ा था। जब उसने अपना लंड निकाला तब मैंने चैन की साँस ली। उसके रस ने मेरे सारे चेहरे को ढक दिया था और ठंडा पानी मेरे चेहरे से उस रस को धो रहा था। मैं थक के सिकुड़ कर जमीन पे बैठ गयी।
“क्या बात है तुझे मेरा लंड चूसना अच्छा नहीं लगा?”
मैं उसे गुस्सा नहीं करना चाहती थी। इसलिए मैंने सिर्फ़ उसकी और देख के अपना सर हिलाया। मैंने क्यों उसे “हाँ” कहा? मुझे नहीं पता कि यह सच था कि नहीं? मेरे हलक में बहुत दर्द हो रहा था और उसके रस का ज़ायका अब भी मेरी ज़ुबान पे था। बारिश अभी भी उसी तेज़ी से बरस रही थी। बारिश की बूँदें अब काफी बड़ी हो गयी थी। मैंने उसकी और देखा तो वो मुस्कुरा रहा था। मुझे उसके सफ़ेद दाँतों के सिवा कुछ नज़र नहीं आ रहा था। मैं तो जैसे कोई हॉरर-मूवी देख रही हूँ ऐसा हाल था।
“प्लीज़... क्या मैं अब जा सकती हूँ...” मैंने काँपते हुए कहा, “प्लीज़ मुझे जाने दो। तुमने जो कहा मैंने वो कर दिया है... प्लीज़ अब मुझे जाने दो...!”
वो मेरे सामने देख कर हँस पड़ा। मैं खुद को काफी बे-इज्जत महसूस करने लगी। मुझे ज्यादा शरमिंदगी तो इस बात से हुई कि मेरे जिस्म ने उसके हर एक मूव को रिसपॉन्ड किया था। ऐसा क्यों हुआ? मेरी चूत अभी भी सातवें आसमान के समँदर में झोले खा रही थी और मेरे मम्मे अभी तक टाईट थे और निप्पल तो जैसे नोकिले काँटों की जैसे थे।
“क्या नाम है तेरा...?” उसने पूछा।
मैंने सहमी हुई आवाज़ में कहा “सबा!”
फिर वो बोला “सबा... बड़ा प्यारा नाम है..और तू तो उससे भी ज्यादा प्यारी है तुझे लगता है मैं तुझे यूँ ही छोड़ दूँगा?”
“लेकिन तुमने कहा था अगर मैं तुम्हारा लंड चूस दूँगी तो तुम मुझे जाने दोगे!” मैं जल्दी-जल्दी बोल गयी।