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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
उसका लंड मेरी कसी हुई चूत को फाड़ रहा है... वही सीन सोच के मैं डर गयी और साथ-साथ उत्तेजित भी हो गयी। पर आखिर में जीत डर की ही हुई। मैंने फ़ैसला कर लिया कि कुछ भी हो, मैं अपने जिस्म को और मुश्किल में नहीं डालुँगी और उसका लंड चूस दूँगी। मैंने जल्दी से उसके लंड को निचले सीरे से पकड़ा। वो बारिश की वजह से एकदम गीला हो चुका था लेकिन जैसा मैंने पहले बताया कि बारिश के ठंडे पानी का उसके लंड पर कोई असर नहीं था। वो चट्टान की तरह तना हुआ और फौलाद की तरह गरम था। मैंने धीरे-धीरे अपनी जीभ बाहर निकाल के उसके लंड के सुपाड़े के ऊपर फ़िराना शुरू किया। 

मम्म्म्म्म... वाह वाह मेरी राँड वाह... डाल ले इसे अपने मुँह में... डाल साली राँड डाल
 
मैंने जितना हो सके अपना मुँह उतना फ़ैला के उसके लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में डाल दिया और धीरे-धीरे स्ट्रोक करना शुरू कर दिया। उसके लंड के सुपाड़े ने मेरा पूरा मुँह भर दिया था। उसने अपना सर थोड़ा पीछे की तरफ़ झुकाया और मेरे गीले बालों में अपनी उँगलियाँ फिराने लगा।
 
वाह...वाह मेरी रंडी.... बहुत खूब... चूस इसे... चूस मेरा लंड आहहहह... तू तो बहुत चुदासी लगती है... आहहह... बहुतों के लंड लिए लगते हैं तूने... उम्म्म्म वो गुर्राया।
 
उसकी हवस अब मेरे जिस्म में उतर कर दौड़ने लगी थी। उसका लंड चूसने की चाहत ने मेरी हवस को छेड़ दिया था। मेरे जिस्म में उसकी ताक़त सैलाब बन के दौड़ने लगी। इस मोड़ पे मुझे उसका लंड चूसने की बेहद आरज़ू होने लगी थी और मैं उसका लंड बहुत बेसब्री से चूसना चाहती थी। पता नहीं कि मैं जल्दी निपटा के उससे छुटकारा पाना चाहती थी या यह मेरी हवस थी जो मुझे ऐसा करने पर मजबूर कर रही थी। मैं फिर से कनफ़्यूज़ हो गयी और खुद की नज़रों में फिर से गिर गयी।
 
धीरे से मैंने उसके लंड को अपने मुँह में और अंदर घुसेड़ लिया और उसके कुल्हों को अपनी तरफ़ खींचा। अभी भी एक मुठ्ठी जितना लंड मेरे हाथों में था और तब मुझे महसूस हुआ कि उसके लंड का सुपाड़ा मेरे गले तक आ गया है। थोड़ा सहारा लेने के लिए मैं कार तक पीछे हटी। उसने अब मेरे सर को दोनों हाथों से पकड़ लिया। अब वो अपना बड़ा सा लंड मेरे मुँह के अंदर-बाहर करके मेरे मुँह को चोदने लगा। अब वो अपने हर एक धक्के के साथ अपना पूरा लंड मेरे हलक के नीचे तक पहुँचाने की कोशिश कर रहा था। उसके दोनों हाथों ने मेरे चेहरे को कस के पकड़ रखा था।
 
आहहह... आहहहह रंडी... ले और ले... और ले... पूरा ले ले मेरा लंड मुँह में... खोल थोड़ा और खोल अपना मुँह साली राँड!”
 
वो अब जोर-जोर से मेरे मुँह को चोद रहा था। उसके झटकों में तूफ़ानी तेजी थी। हर एक दफा वो अपना लंड मेरे हलक तक ले जाता था और रूक जाता था और मैं बौखला जाती थी। कईं बार साँस लेना भी मुश्किल हो जाता था। फिर वो धीरे से अपना लंड वापस खींचता और घुसेड़ देता। मैंने उसके लंड को जो कि मानो ऑक्सीज़न कि नली हो, उस तरह से पकड़ के रखा था ताकि उससे मुझे ज्यादा घुटन ना हो। मैंने उसके लंड को अपनी ज़ुबान और होठों से उक्सा दिया था और अपने होठों और ज़ुबान को एक लंड चूसने में माहिर औरत की तरह से इस्तमाल किया । अचानक उसने मेरे दोनों हाथ कस के पकड़ के उन्हें हवा में उठा लिया और एक जोर का झटका अपने लंड को दिया। मेरा सर कार के दरवाज़े से टकराया और उसका लंड सड़ाक से मेरे हलक में जा टकराया।
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RE: हिंदी की कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 07-09-2020, 07:53 PM



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