07-09-2020, 07:52 PM
मैं जानती थी वो क्या चाहता था जब उसने मेरे कंधे पकड़ के मुझे घुटनों के बल बिठा दिया था। मेरा नीचे का होंठ काँपने लगा था। मैंने अपने गीले बाल अपने चेहरे से हटाये और शरम से अपना सर हिलाया। मेरा दिमाग ना कह रहा था लेकिन मेरा दिल उसे देखने को बेताब था। जब मैं अपने घुटनों पे थी तब मैंने अपनी नज़रें उठा कर उसके चेहरे की तरफ देखा और खामोशी से मुझे जाने देने की फरियाद की। पर जब मैंने उसकी आँखों में देखा तब मुझे एहसास हो गया कि उसे जो चाहिए वो मिलने से पहले वो मुझे नहीं जाने देगा।
जब मैंने उसकी पैंट की ज़िप को खोलना शुरू किया तो मेरे हाथ काँपने लगे। उसका लंड इतना टाईट था कि उसकी पैंट की ज़िप तो पहले से ही आधी नीचे आ गयी थी। मैंने उसकी बाकी की ज़िप नीचे उतार दी और फटाक से उसका तन्नाया हुआ काला लंड मेरे सामने साँप की तरह फुफ्कारने लगा। उसका लंड वाकय में काफ़ी बड़ा था... तकरीबन नौ-साड़े नौ इन्च का होगा। उसका लंड काफ़ी मोटा भी था... शायद तीन इन्च होगा, और एकदम काला जैसे कि ग्रैफाइट से बना हुआ हो। किसी आम मर्द का तो शायद ऐसा नहीं होगा, कम से कम मैंने तो हकीकत में तब तक इतना लंबा और मोटा लंड नहीं देखा था ।
“तुम अब इस लंड से प्यार करना सीखोगी मेरी राँड... सीखोगी ना?” उसने मुझसे पूछा।
मैं घबरा गयी थी उसके लंड की लंबाई और मोटाई देख कर लेकिन फिर भी उसके लंड की कशीश मुझे अपनी ओर खींच रही थी। ज़ोरों की बारिश की वजह से मेरे कपड़े मेरे जिस्म से चिपक गये थे और मेरे मम्मों का शेप एकदम साफ़ नज़र आ रहा थ। ब्रा भी मेरी टाईट हुए निप्पलों को नहीं ढक पा रही थी। मैं बारिश की बूँदों को उसके लंड के ऊपर गिरते हुए देख रही थी। इतना ठंडा पानी गिरने पर भी उसका लंड एक मजबूत खंबे की तरह तना हुआ था। मुझे एसा लगा कि वक्त मानो ठहर गया हो और मेरे आजू-बाजू सब कुछ स्लो-मोशन में हो रहा हो। उसके लंड का मोटा सुपाड़ा मेरे चेहरे से सिर्फ़ तीन इन्च की दूरी पर था।
उसके लंड को अपने आप झटके खाते देखने की वजह से मैं तो जैसे बेखुद सी हो गयी थी। मेरी जीभ अचानक ही मेरे मुँह से बाहर आ गयी और मेरे नीचे वाले होंठ पे फिरने लगी। मैं काफी घबराई हुई और कनफ़्यूज़्ड थी। मेरा दिल कह रहा था कि मैं उसके मोटे लंड को चूस लूँ पर दिमाग कह रहा था कि मैं अपने इस हाल पे रोना शुरू करूँ।
अपने लंड को हाथ में हिलाते हुए वो बोला “ए राँड चल जल्दी मेरा लंड चूस... देख अगर तूने अच्छी तरह चूस के मुझे खुश कर दिया तो मैं तुझे तेरी कसी हुई चूत में अपना लंड डाले बिना ही छोड़ दूँगा। अगर तू यह चाहती है कि मेरा यह लंड तेरी कसी हुई चूत को फाड़ के भोंसड़ा ना बनाये तो अच्छी तरह से मेरा लंड चूस... वरना भगवान कसम मैं तेरी चूत को चोद-चोद के उसका ऐसा भोंसड़ा बना दूँगा कि तू एक महीने तक ठीक तरह से चल भी नहीं पायेगी”
मैं तो उसके एक-एक अल्फाज़ को सुन कर सन्न रह गयी। उसका लंड बेहद बड़ा और खतरनाक नज़र आ रहा था। मुझे तो यह भी पता नहीं था कि मैं उसके लंड का सुपाड़ा भी अपने मुँह में ले पाऊँगी भी कि नहीं। उसके लंड को देखते हुए मैं सोचने लगी कि मैं क्या करूँ या ना करूँ। एक दो पल के लिए उसने जो कहा मैं उसके बारे में सोचने के लिए ठहरी कि अचानक उसने थाड़ से मेरे गाल पे अपने पथरीले हाथ से फटकारा। मुझे तो जैसे दिन में तारे दिख गये हों, ऐसी हालत हो गयी।
“चूसना शुरू कर.... रंडी.. साली मादरचोद मेरे पास पूरी रात नहीं है!”
जब मैंने उसकी पैंट की ज़िप को खोलना शुरू किया तो मेरे हाथ काँपने लगे। उसका लंड इतना टाईट था कि उसकी पैंट की ज़िप तो पहले से ही आधी नीचे आ गयी थी। मैंने उसकी बाकी की ज़िप नीचे उतार दी और फटाक से उसका तन्नाया हुआ काला लंड मेरे सामने साँप की तरह फुफ्कारने लगा। उसका लंड वाकय में काफ़ी बड़ा था... तकरीबन नौ-साड़े नौ इन्च का होगा। उसका लंड काफ़ी मोटा भी था... शायद तीन इन्च होगा, और एकदम काला जैसे कि ग्रैफाइट से बना हुआ हो। किसी आम मर्द का तो शायद ऐसा नहीं होगा, कम से कम मैंने तो हकीकत में तब तक इतना लंबा और मोटा लंड नहीं देखा था ।
“तुम अब इस लंड से प्यार करना सीखोगी मेरी राँड... सीखोगी ना?” उसने मुझसे पूछा।
मैं घबरा गयी थी उसके लंड की लंबाई और मोटाई देख कर लेकिन फिर भी उसके लंड की कशीश मुझे अपनी ओर खींच रही थी। ज़ोरों की बारिश की वजह से मेरे कपड़े मेरे जिस्म से चिपक गये थे और मेरे मम्मों का शेप एकदम साफ़ नज़र आ रहा थ। ब्रा भी मेरी टाईट हुए निप्पलों को नहीं ढक पा रही थी। मैं बारिश की बूँदों को उसके लंड के ऊपर गिरते हुए देख रही थी। इतना ठंडा पानी गिरने पर भी उसका लंड एक मजबूत खंबे की तरह तना हुआ था। मुझे एसा लगा कि वक्त मानो ठहर गया हो और मेरे आजू-बाजू सब कुछ स्लो-मोशन में हो रहा हो। उसके लंड का मोटा सुपाड़ा मेरे चेहरे से सिर्फ़ तीन इन्च की दूरी पर था।
उसके लंड को अपने आप झटके खाते देखने की वजह से मैं तो जैसे बेखुद सी हो गयी थी। मेरी जीभ अचानक ही मेरे मुँह से बाहर आ गयी और मेरे नीचे वाले होंठ पे फिरने लगी। मैं काफी घबराई हुई और कनफ़्यूज़्ड थी। मेरा दिल कह रहा था कि मैं उसके मोटे लंड को चूस लूँ पर दिमाग कह रहा था कि मैं अपने इस हाल पे रोना शुरू करूँ।
अपने लंड को हाथ में हिलाते हुए वो बोला “ए राँड चल जल्दी मेरा लंड चूस... देख अगर तूने अच्छी तरह चूस के मुझे खुश कर दिया तो मैं तुझे तेरी कसी हुई चूत में अपना लंड डाले बिना ही छोड़ दूँगा। अगर तू यह चाहती है कि मेरा यह लंड तेरी कसी हुई चूत को फाड़ के भोंसड़ा ना बनाये तो अच्छी तरह से मेरा लंड चूस... वरना भगवान कसम मैं तेरी चूत को चोद-चोद के उसका ऐसा भोंसड़ा बना दूँगा कि तू एक महीने तक ठीक तरह से चल भी नहीं पायेगी”
मैं तो उसके एक-एक अल्फाज़ को सुन कर सन्न रह गयी। उसका लंड बेहद बड़ा और खतरनाक नज़र आ रहा था। मुझे तो यह भी पता नहीं था कि मैं उसके लंड का सुपाड़ा भी अपने मुँह में ले पाऊँगी भी कि नहीं। उसके लंड को देखते हुए मैं सोचने लगी कि मैं क्या करूँ या ना करूँ। एक दो पल के लिए उसने जो कहा मैं उसके बारे में सोचने के लिए ठहरी कि अचानक उसने थाड़ से मेरे गाल पे अपने पथरीले हाथ से फटकारा। मुझे तो जैसे दिन में तारे दिख गये हों, ऐसी हालत हो गयी।
“चूसना शुरू कर.... रंडी.. साली मादरचोद मेरे पास पूरी रात नहीं है!”