Thread Rating:
  • 13 Vote(s) - 2.62 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
बरसात की एक रात 
लेखिका: सबा रिज़वी
 
काफी देर हो चुकी थी उस रात को ऑफिस से रवाना होते हुए। मैंने जल्दी-जल्दी अपनी साड़ी ठीक की और ऑफिस का दरवाज़ा बंद कर के चली। मेरी कार पार्किंग में दूर अँधेरे कोने में अकेली खड़ी हुई थी। बहुत ज़ोरों से बारिश हो रही थी और बादल भी जम कर गरज रहे थे। मैं पूरी तरह भीग चुकी थी और ठंडे पानी से मेरे ब्लाऊज़ के अंदर मेरे निप्पल एकदम टाईट हो गयी थी। मेरा ब्लाऊज़ मेरे रसीले मम्मों को ढाँकने की नाकामयाब कोशिश कर रहा था। मेरे एक-तिहाई मम्मे ब्लाऊज़ के लो-कट होने की वजह से और साड़ी के भीग जाने से एकदम साफ़ नज़र आ रहे रहे थे। मैंने साढ़े चार इन्च ऊँची हील के सैण्डल पहने हुए थे और पानी मे फिसलने के डर से धीरे-धीरे चलने की कोशिश कर रही थी। हवा भी काफ़ी तेज़ थी और इस वजह से मेरा पल्लू इधर-उधर हो रहा था जिसकी वजह से मेरी नाभी साफ़ देखी जा सकती थी। मैं आमतौर पे साड़ी नाभी के तीन-चार ऊँगली नीचे पहनती हूँ। पूरी तरह भीग जाने की वजह से, मैं हक़ीकत में नंगी नज़र आ रही थी क्योंकि मेरी साड़ी मेरे पूरे जिस्म से चिपक चुकी थी। ऊपर से मेरी साड़ी और पेटीकोट कुछ हद तक झलकदार थे।
 
मैं जितनी जल्दी-जल्दी हो सका, अपनी कार के करीब पहुँची। मुझे मेरे आसपास क्या हो रहा था उसका बिल्कुल एहसास ही नहीं था। मैंने देखा कि मेरी वो अकेली ही कार पार्किंग लॉट के इस हिस्से में थी और वहाँ घना अँधेरा छाया हुआ था। बारिश एकदम ज़ोरों से बरस रही थी। मैं कॉर्नर पे मुड़ी और अपनी कार के करीब आ के अपनी पर्स में से चाबी निकालने लगी। अचानक किसी ने मुझे एक जोर का धक्का लगाया और मैं अपनी कार के सामने जा टकराई।
 
हिलना मत कुत्तिया!
 
मुझे महसूस हुआ कि किसी ताकतवर मर्द का जिस्म मुझे मेरी कार की तरफ़ पुश कर रहा था। उसका पुश करने का ज़ोर इतना ताकतवर था कि उसने मेरे फेफड़ों से सारी हवा निकाल दी थी जिसकी वजह से मैं चिल्ला भी ना सकी। मैं एक दम घबरा गयी। बारिश इतनी तेज़ हो रही थी कि आसपास का ज़रा भी नज़र नहीं आ रहा था और जहाँ मेरी कार खड़ी हुई थी वहाँ मुझे कोई देख नहीं सकता था। वो आदमी मुझे हर जगह छूने लगा। उसके हाथ बेहद मजबूत थे... जैसे लोहे के बने हों। उसने मेरा पल्लू खींच के निकाल दिया और मेरे मम्मों को जोर-जोर से दबाने लगा और मेरे पहले से टाईट हो चुके निप्पलों को मसलने लगा।
 
वो गुर्राया। उसकी इस आवाज़ ने जैसे मुझे बेहोशी में से उठाया हो और मैंने भागने की नाकाम कोशिश की। फिर उसने मेरे एक मम्मे को छोड़ के मेरे गीले हो चुके बालों से मुझे खींचा।
 
आआहहहहह...। मैं जोर से चिल्लाई और मैंने उसके सामने लड़ना बंद कर दिया।
 
अगर तू ज़िंदा रहना चाहती है तो... ठीक तरह से पेश आ! समझी कुत्तिया... अभी मैं तुझे अपनी तरफ़ धीरे से मोड़ रहा हूँ... अगर ज़रा भी होशियारी दिखायी तो....!!
[+] 4 users Like rohitkapoor's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: हिंदी की कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 07-09-2020, 07:48 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)