02-08-2020, 12:58 AM
प्रीती प्रशाँत की छाती पर लेटी अपनी ज़िंदगी की सबसे भयंकर चुदाई का आनंद ले रही थी। उसका चेहरा इधर-उधर हो रहा था और साथ ही उसके मुँह से सिस्करियाँ फूट रही थी।
मैं अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था कि जब एक लंड चूत की जड़ों तक पहुँचता है और दूसरी तरफ़ दूसरा लंड गाँड की जड़ों तक पहुँचता है तो शरीर में दोनों लंड के संगम का आनंद कैसा रहता होगा। प्रीती इसी संगम का आनंद उठा रही थी, “मैं तुम दोनों के लंड को अपने में महसूस कर रही हूँ, अभी जोर से चोदो मुझे... हाँ और जोर से... रुको मत बस चोदते जाओ।”
प्रशाँत ने एक जोर की हुँकार भरी और अपने कुल्हे ऊपर को उठा दिए। अविनाश ने भी प्रीती के कुल्हों को पकड़ कर अपने लंड को अंदर तक पेल दिया। मैं समझ गया कि दोनों छूटने की कगार पर हैं। प्रीती का भी समय नज़दीक आता जा रहा था, “हँआआआआआआ और जोर से... ओओहहहहह ऊईईईईईईईईईईईई।”
मुझे खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था। मिनी इतनी जोर से मेरे लंड को चूस रही थी और साथ ही अपने दाँतों का भी इस्तमाल कर रही थी। पर मिनी की आँखें अपने पति के लंड पे जमी थीं जो मेरी बीवी की चूत में एक पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था।
और फिर वो हुआ जिसका सबको इंतज़ार था, प्रीती जोर से चींखी “ओहहहहहहहह हाँआआआआआआआआ ओहहहहहहहहह हाय आआआआआआआआआ,” और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसका शरीर इस तरह अकड़ रहा था कि क्या बताऊँ। इतने में प्रशाँत के लंड ने भी उसकी गाँड में अपना वीर्य उगल दिया।
अविनाश ने प्रीती की दोनों चूचियों को जोर से मसला और उसके लंड ने उसकी चूत में बौंछार कर दी। मैं कल्पना कर रहा था कि प्रीती की चूत और गाँड, वीर्य से भरी कैसी होगी कि तभी मेरा भी शरीर अकड़ा और मैंने अपना वीर्य मिनी के मुँह में उगल दिया।
मिनी ने मेरे लंड को अपने मुँह से निकाला और बेड पर से डिल्डो को उठा कर अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। कसम से ऐसी सामुहिक चुदाई की कल्पना नहीं की थी मैंने।
मुझे इस बात की खुशी थी कि हम शर्त जीत ना सके तो क्या पर हारे भी नहीं थे। अब देखते हैं कि छुट्टियों में क्या गुल खिलते हैं।
मैं अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था कि जब एक लंड चूत की जड़ों तक पहुँचता है और दूसरी तरफ़ दूसरा लंड गाँड की जड़ों तक पहुँचता है तो शरीर में दोनों लंड के संगम का आनंद कैसा रहता होगा। प्रीती इसी संगम का आनंद उठा रही थी, “मैं तुम दोनों के लंड को अपने में महसूस कर रही हूँ, अभी जोर से चोदो मुझे... हाँ और जोर से... रुको मत बस चोदते जाओ।”
प्रशाँत ने एक जोर की हुँकार भरी और अपने कुल्हे ऊपर को उठा दिए। अविनाश ने भी प्रीती के कुल्हों को पकड़ कर अपने लंड को अंदर तक पेल दिया। मैं समझ गया कि दोनों छूटने की कगार पर हैं। प्रीती का भी समय नज़दीक आता जा रहा था, “हँआआआआआआ और जोर से... ओओहहहहह ऊईईईईईईईईईईईई।”
मुझे खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था। मिनी इतनी जोर से मेरे लंड को चूस रही थी और साथ ही अपने दाँतों का भी इस्तमाल कर रही थी। पर मिनी की आँखें अपने पति के लंड पे जमी थीं जो मेरी बीवी की चूत में एक पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था।
और फिर वो हुआ जिसका सबको इंतज़ार था, प्रीती जोर से चींखी “ओहहहहहहहह हाँआआआआआआआआ ओहहहहहहहहह हाय आआआआआआआआआ,” और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसका शरीर इस तरह अकड़ रहा था कि क्या बताऊँ। इतने में प्रशाँत के लंड ने भी उसकी गाँड में अपना वीर्य उगल दिया।
अविनाश ने प्रीती की दोनों चूचियों को जोर से मसला और उसके लंड ने उसकी चूत में बौंछार कर दी। मैं कल्पना कर रहा था कि प्रीती की चूत और गाँड, वीर्य से भरी कैसी होगी कि तभी मेरा भी शरीर अकड़ा और मैंने अपना वीर्य मिनी के मुँह में उगल दिया।
मिनी ने मेरे लंड को अपने मुँह से निकाला और बेड पर से डिल्डो को उठा कर अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। कसम से ऐसी सामुहिक चुदाई की कल्पना नहीं की थी मैंने।
मुझे इस बात की खुशी थी कि हम शर्त जीत ना सके तो क्या पर हारे भी नहीं थे। अब देखते हैं कि छुट्टियों में क्या गुल खिलते हैं।
!!! समाप्त !!!