02-08-2020, 12:52 AM
प्रीती अब बिस्तर के किनारे पर झुकी बबीता की चूत चूस रही थी। इस तरह झुकने से उसकी गाँड हवा में और ऊपर को उठ गयी थी। पीछे से उसकी चूत में फँसा डिल्डो तो दिख ही रहा था साथ ही उसकी गाँड का छेद भी दिखायी दे रहा था। हम सब जानते थे कि अब प्रशाँत अपना लंड उसकी गाँड मे घुसायेगा, पर उसके मन में तो कुछ और ही था।
प्रशाँत मेरी तरफ़ मुस्कुरा के देख रहा था, “राज आज शाम को मेरी बीवी ने तुम्हें सिखा ही दिया होगा कि एक अच्छी गाँड को चुदाई के लिए कैसे तैयार किया जाता है। बाथरूम मे जाओ और क्रीम ले आओ और बताओ कि तुमने क्या सीखा।” फिर उसने मिनी की तरफ़ देखकर कहा, “तुम मेरे लंड को तैयार करोगी?”
बिना कुछ कहे मैं बाथरूम में जाकर वही क्रीम ले आया जो मैंने बबीता पे इस्तमाल की थी। मिनी मेरे पास आयी और मुझे थोड़ी क्रीम उसके हाथों पे देने को कहा। कैसी शर्त थी कि मैं अपने हाथों से अपनी बीवी की गाँड को किसी दूसरे मर्द के लंड के लिए तैयार करूँ। पर मैं शर्त हारना नहीं चाहता था इसलिए मैं क्रीम लिए प्रीती के पास आ गया।
मैंने खूब सारी क्रीम अपनी अँगुलियों में ली और उसे प्रीती की गाँड के चारों और मलने लगा। फिर मैंने अपनी एक अँगुली उसकी गाँड में डाल दी, “ओहहहहह मर गयीईई,” प्रीती के मुँह से हल्की सी चींख निकल गयी। प्रीती अब भी बबीता की चूत को चाटे जा रही थी।
मैंने थोड़ी और क्रीम अपनी अँगुली में ली और दो अँगुलियाँ उसकी गाँड में डाल दीं। अब मैं अपनी अँगुलियों को उसकी गाँड में चारों तरफ़ गोल गोल घुमा रहा था। प्रशाँत मेरे पास खड़ा मेरी सभी हर्कतों को देख रहा था और उसके पैरों में बैठी मिनी उसके लंड को क्रीम से चिकना कर रही थी।
अब मेरी अँगुलियाँ आसानी से प्रीती की गाँड में अंदर तक जा रही थीं। जब मैं अँगुलियाँ घुमाता तो उसकी चूत में फँसे डिल्डो का एहसास होता मुझे। मैं और अंदर तक क्रीम को मलने लगा। प्रीती को भी शायद मज़ा आने लगा था। उसने जोरों से बबीता की चूत चूसते हुए अपने टाँगें और फैला दीं जिससे मैं और आसानी से उसकी गाँड में अँगुली कर सकूँ।
मिनी भी अब तक अच्छी तरह से प्रशाँत के लंड को क्रीम से चिकना कर चुकी थी। प्रशाँत अपनी जगह से हिला और मुझे साईड में कर दिया। अब उसका लंड क्रीम से चिकना था। उसका तना हुआ लंड एक हथियार की तरह चमक रहा था। जैसे ही प्रशाँत ने अपना लंड प्रीती की गाँड पे रखा वो सिसक कर और जोरों से बबीता की चूत को चूसने लगी। वो उसकी चूत को ऐसे चूस रही थी कि जैसे वो इस कला में बरसों से माहिर हो।
मिनी और अविनाश भी पास में आकर खड़े हो गये। वो भी किसी कुँवारी गाँड की चुदाई देखना चाहते थे। मुझे अंदर से शरम आ रही थी कि अपनी बीवी की गाँड मैं सबसे पहले मारूँ, उसके बजाय मैंने ही अपनी बीवी की गाँड को दूसरे मर्द के लंड के लिए तैयार किया था।
प्रशाँत मेरी तरफ़ मुस्कुरा के देख रहा था, “राज आज शाम को मेरी बीवी ने तुम्हें सिखा ही दिया होगा कि एक अच्छी गाँड को चुदाई के लिए कैसे तैयार किया जाता है। बाथरूम मे जाओ और क्रीम ले आओ और बताओ कि तुमने क्या सीखा।” फिर उसने मिनी की तरफ़ देखकर कहा, “तुम मेरे लंड को तैयार करोगी?”
बिना कुछ कहे मैं बाथरूम में जाकर वही क्रीम ले आया जो मैंने बबीता पे इस्तमाल की थी। मिनी मेरे पास आयी और मुझे थोड़ी क्रीम उसके हाथों पे देने को कहा। कैसी शर्त थी कि मैं अपने हाथों से अपनी बीवी की गाँड को किसी दूसरे मर्द के लंड के लिए तैयार करूँ। पर मैं शर्त हारना नहीं चाहता था इसलिए मैं क्रीम लिए प्रीती के पास आ गया।
मैंने खूब सारी क्रीम अपनी अँगुलियों में ली और उसे प्रीती की गाँड के चारों और मलने लगा। फिर मैंने अपनी एक अँगुली उसकी गाँड में डाल दी, “ओहहहहह मर गयीईई,” प्रीती के मुँह से हल्की सी चींख निकल गयी। प्रीती अब भी बबीता की चूत को चाटे जा रही थी।
मैंने थोड़ी और क्रीम अपनी अँगुली में ली और दो अँगुलियाँ उसकी गाँड में डाल दीं। अब मैं अपनी अँगुलियों को उसकी गाँड में चारों तरफ़ गोल गोल घुमा रहा था। प्रशाँत मेरे पास खड़ा मेरी सभी हर्कतों को देख रहा था और उसके पैरों में बैठी मिनी उसके लंड को क्रीम से चिकना कर रही थी।
अब मेरी अँगुलियाँ आसानी से प्रीती की गाँड में अंदर तक जा रही थीं। जब मैं अँगुलियाँ घुमाता तो उसकी चूत में फँसे डिल्डो का एहसास होता मुझे। मैं और अंदर तक क्रीम को मलने लगा। प्रीती को भी शायद मज़ा आने लगा था। उसने जोरों से बबीता की चूत चूसते हुए अपने टाँगें और फैला दीं जिससे मैं और आसानी से उसकी गाँड में अँगुली कर सकूँ।
मिनी भी अब तक अच्छी तरह से प्रशाँत के लंड को क्रीम से चिकना कर चुकी थी। प्रशाँत अपनी जगह से हिला और मुझे साईड में कर दिया। अब उसका लंड क्रीम से चिकना था। उसका तना हुआ लंड एक हथियार की तरह चमक रहा था। जैसे ही प्रशाँत ने अपना लंड प्रीती की गाँड पे रखा वो सिसक कर और जोरों से बबीता की चूत को चूसने लगी। वो उसकी चूत को ऐसे चूस रही थी कि जैसे वो इस कला में बरसों से माहिर हो।
मिनी और अविनाश भी पास में आकर खड़े हो गये। वो भी किसी कुँवारी गाँड की चुदाई देखना चाहते थे। मुझे अंदर से शरम आ रही थी कि अपनी बीवी की गाँड मैं सबसे पहले मारूँ, उसके बजाय मैंने ही अपनी बीवी की गाँड को दूसरे मर्द के लंड के लिए तैयार किया था।