02-08-2020, 12:49 AM
मिनी ने मुझे घुमा कर इस अंदाज़ में खड़ा कर दिया कि मैं उसके पति के सामने खड़ा था। अब वो मेरा लंड अपने मुँह मे ले जोरों से चूस रही थी। दोनों औरतें अपनी चूत में डिल्डो फ़ँसाय किसी दूसरे मर्द का लंड चूस रही थीं। आज की शाम प्रीती के लिए अविनाश दूसरा मर्द था जिसक लंड वो चूस रही थी और मेरे लिए मिनी दूसरी औरत। एक की मैंने गाँड मारी थी और दूसरी अब मेरा लंड चूस रही थी।
मैंने देखा कि वो औरत मेरे लंड को चूस रही थी जिससे मैं चंद घंटे पहले ही मिला था, और मेरी बीवी उसके पति के लंड को चूस रही थी। दोनों औरतें एक दूसरे के पति के लंड को चूसे जा रही थी। धीरे-धीरे उनके चूसने की रफ़्तार बढ़ने लगी और इतने में अविनाश के मुँह से एक सिस्करी निकली, “हाँ..... ऐसे ही चूसो... चूसती जाओ...।”
मिनी ने अपने पति की सिस्करियाँ सुनीं तो अपने मुँह से मेरे लंड को निकाल कर अपने पति को देखने लगी। जैसे-जैसे प्रीती की चूसने की रफ़्तार बढ़ रही थी वैसे ही अविनाश के शरीर की अकड़न बढ़ रही थी। उसका शरीर अकड़ा और उसके लंड ने अपने वीर्य की बौंछार प्रीती के मुँह में कर दी। मैंने देखा कि बिना एक बूँद भी बाहर गिराये प्रीती उसके सारे पानी को पी गयी।
प्रीती की हरकत देख मिनी भी जोश में भर गयी और मेरे लंड को जोर से चूसने लगी। मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था। मैंने मिनी के सर को पकड़ा और पूरी तरह अपने लौड़े पे दबा दिया। मेरा लंड उसके गले तक घुस गया और तभी लंड ने जोरों की पिचकारी उसके मुँह में छोड़ दी।
हम चारों को अपनी साँसें संभालने में थोड़ा वक्त लगा। हम चारों ने कपड़े पहने और वापस पार्टी में आ गये जो करीब-करीब समाप्त होने के कगार पर थी। हम दोनों मर्दों के चेहरे पे तृप्ति के भाव थे पर दोनों औरतें अभी भी प्यासी थीं। एक तो उनकी चूत ने पानी नहीं छोड़ा था और दूसरा उनके मुँह में हम दोनों के लंड का पानी था। वो बार-बार अपनी जीभ से होंठों पे हमारे लंड के पानी को पोंछ रही थीं। वो दोनों जाकर प्रशाँत के पास खड़ी हो गयी जो पार्टी में आयी किसी महिला से बातों में व्यस्त था।
हम दोनों भी प्रशाँत के पास पहुँच गये। शायद दोनों औरतों की तड़प उससे देखी नहीं गयी। वो भी जानता थी कि प्रीती और मिनी पिछले तीन घंटे से डिल्डो अपनी चूत में लिए घूम रही हैं और अब उनकी चूत भी पानी छोड़ना चाहती होगी। “चलो सब मेहमानों को अलविदा कहते हैं और हम अपनी खुद की पार्टी शुरू करते हैं”, प्रशाँत ने कहा, “मेरा विश्वास करो प्रीती... आज की रात बहुत ही स्पेशल होगी। जो मज़ा तुम्हें आज मिलेगा उस मज़े की कभी तुमने कल्पना भी नहीं की होगी!”
मैं सोच रहा था पता नहीं प्रशाँत के दिमाग में अभी और क्या है। प्रीती हाल में सभी मेहमानों का ख्याल रखने लगी। थोड़ी ही देर में सब मेहमान एक के बाद एक, जाने लगे।
प्रीती जैसे ही किसी काम से नीचे को झुकती तो उसकी गाँड थोड़ा सा ऊपर को उठ जाती। प्रशाँत उसे ही घूर रहा था, “राज अब मैं तुम्हारी बीवी की गाँड मारूँगा जैसे तुमने मेरी बीवी की मारी थी।”
मैं यह सुन कर दंग रह गया। प्रशाँत मेरी बीवी की कुँवारी गाँड मारेगा जैसे मैंने उसकी बीवी की मारी थी। फर्क सिर्फ़ इतना था कि उसकी बीवी की गाँड कुँवारी नहीं थी, वो इतनी खुली थी कि गाँड मरवाने में उसे कोई तकलीफ़ नहीं हुई थी। पर क्या प्रीती सह पायेगी? यह सोच कर ही मेरे बदन में एक सर्द लहर दौड़ गयी।
मैंने देखा कि वो औरत मेरे लंड को चूस रही थी जिससे मैं चंद घंटे पहले ही मिला था, और मेरी बीवी उसके पति के लंड को चूस रही थी। दोनों औरतें एक दूसरे के पति के लंड को चूसे जा रही थी। धीरे-धीरे उनके चूसने की रफ़्तार बढ़ने लगी और इतने में अविनाश के मुँह से एक सिस्करी निकली, “हाँ..... ऐसे ही चूसो... चूसती जाओ...।”
मिनी ने अपने पति की सिस्करियाँ सुनीं तो अपने मुँह से मेरे लंड को निकाल कर अपने पति को देखने लगी। जैसे-जैसे प्रीती की चूसने की रफ़्तार बढ़ रही थी वैसे ही अविनाश के शरीर की अकड़न बढ़ रही थी। उसका शरीर अकड़ा और उसके लंड ने अपने वीर्य की बौंछार प्रीती के मुँह में कर दी। मैंने देखा कि बिना एक बूँद भी बाहर गिराये प्रीती उसके सारे पानी को पी गयी।
प्रीती की हरकत देख मिनी भी जोश में भर गयी और मेरे लंड को जोर से चूसने लगी। मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था। मैंने मिनी के सर को पकड़ा और पूरी तरह अपने लौड़े पे दबा दिया। मेरा लंड उसके गले तक घुस गया और तभी लंड ने जोरों की पिचकारी उसके मुँह में छोड़ दी।
हम चारों को अपनी साँसें संभालने में थोड़ा वक्त लगा। हम चारों ने कपड़े पहने और वापस पार्टी में आ गये जो करीब-करीब समाप्त होने के कगार पर थी। हम दोनों मर्दों के चेहरे पे तृप्ति के भाव थे पर दोनों औरतें अभी भी प्यासी थीं। एक तो उनकी चूत ने पानी नहीं छोड़ा था और दूसरा उनके मुँह में हम दोनों के लंड का पानी था। वो बार-बार अपनी जीभ से होंठों पे हमारे लंड के पानी को पोंछ रही थीं। वो दोनों जाकर प्रशाँत के पास खड़ी हो गयी जो पार्टी में आयी किसी महिला से बातों में व्यस्त था।
हम दोनों भी प्रशाँत के पास पहुँच गये। शायद दोनों औरतों की तड़प उससे देखी नहीं गयी। वो भी जानता थी कि प्रीती और मिनी पिछले तीन घंटे से डिल्डो अपनी चूत में लिए घूम रही हैं और अब उनकी चूत भी पानी छोड़ना चाहती होगी। “चलो सब मेहमानों को अलविदा कहते हैं और हम अपनी खुद की पार्टी शुरू करते हैं”, प्रशाँत ने कहा, “मेरा विश्वास करो प्रीती... आज की रात बहुत ही स्पेशल होगी। जो मज़ा तुम्हें आज मिलेगा उस मज़े की कभी तुमने कल्पना भी नहीं की होगी!”
मैं सोच रहा था पता नहीं प्रशाँत के दिमाग में अभी और क्या है। प्रीती हाल में सभी मेहमानों का ख्याल रखने लगी। थोड़ी ही देर में सब मेहमान एक के बाद एक, जाने लगे।
प्रीती जैसे ही किसी काम से नीचे को झुकती तो उसकी गाँड थोड़ा सा ऊपर को उठ जाती। प्रशाँत उसे ही घूर रहा था, “राज अब मैं तुम्हारी बीवी की गाँड मारूँगा जैसे तुमने मेरी बीवी की मारी थी।”
मैं यह सुन कर दंग रह गया। प्रशाँत मेरी बीवी की कुँवारी गाँड मारेगा जैसे मैंने उसकी बीवी की मारी थी। फर्क सिर्फ़ इतना था कि उसकी बीवी की गाँड कुँवारी नहीं थी, वो इतनी खुली थी कि गाँड मरवाने में उसे कोई तकलीफ़ नहीं हुई थी। पर क्या प्रीती सह पायेगी? यह सोच कर ही मेरे बदन में एक सर्द लहर दौड़ गयी।