02-08-2020, 12:27 AM
“तो तुम्हें तुम्हारा नया खिलोना कैसा लगा। बबीता के पास भी वैसा ही खिलोना है, और उसे बहुत पसंद है। क्या तुम उसे ट्राई कर चुकी हो?” प्रशाँत ने उसके कुल्हों को भींचते हुए कहा।
“कुछ खास अच्छी तरह से नहीं।” प्रीती ने जवाब दिया। प्रशाँत ने उसे अपना नया डिल्डो लाने को कहा। प्रीती ने अपने बेडरूम से डिल्डो लाकर प्रशाँत को पकड़ा दिया।
प्रशाँत ने प्रीती को कमरे में रखी एक अराम कुर्सी पर बिठा दिया। प्रशाँत अब जोरों से उसे चूमने लगा। मैंने देखा कि उसका एक हाथ बबीता की टाँगों को सहलाते हुए अब उसकी जाँघों पर रेंग रहा था। फिर उसने उसकी दोनों टाँगों को थोड़ा फैला दिया जिससे उसकी चूत पूरी तरह खुल कर नज़र आने लगी।
मेरी बीवी कुर्सी पर और पसर गयी और अपने टाँगें और फैला दीं जिससे प्रशाँत को आसानी हो सके। प्रशाँत ने उसकी टाँगों को ऊपर उठा कर कुर्सी के हथे पे रख दिया। जैसे ही प्रशाँत ने अपना मुँह उसकी चूत का स्वाद लेने के लिए बढ़ाया, प्रीती उसकी और कामुक नज़रों से देखने लगी।
कुर्सी ठीक खिड़की के बगल में थी। इसलिए मुझे अंदर का नज़ारा साफ दिखायी पड़ रहा था कि, किस तरह प्रशाँत मेरी बीवी की चूत को चाट रहा था। प्रशाँत चूत चाटने में माहिर था और थोड़ी ही देर में प्रीती के मुँह से सिस्करी गूँजने लगी।
प्रशाँत ने अब अपनी दो अँगुलियाँ अपनी जीभ के साथ प्रीती की चूत मे डाल दी, और अंदर बाहर करने लगा। करीब पंद्रह मिनट तक उसकी चूत को चाटने के बाद प्रशाँत उठा और डिल्डो को ले आया और उसका बटन ऑन करके उसे चालू कर दिया।
मेरी बीवी कुर्सी पर पसरी हुई कामुक नज़रों से प्रशाँत को देख रही थी। वो जानती थी कि एक दूसरा मर्द अब उसकी चूत में एक खिलौने को डालने वाला है। प्रशाँत घुटनों के बल बैठ कर प्रीती की टाँगों के बीच आ गया और उसकी गीली हो चुकी चूत में डिल्डो को डालने लगा। उसने धीरे-धीरे डिल्डो अंदर घुसाया और अब वो प्लास्टिक का खिलौना प्रीती की चूत में पूरा घुस चुका था।
डिल्डो की हर्कत का असर मेरी बीवी के चेहरे पे साफ दिखायी दे रहा था, वो अपनी टाँगों को पूरा भींच कर डिल्डो का मज़ा लेने लगी। मेरा लंड भी ये सब देख एक बार फ़िर तन चुका था, जबकि बीस मिनट पहले ही मैं बबीता की गाँड में झड़ कर अलग हुआ था।
प्रशाँत अब खड़ा होकर अपनी पैंट के बटन खोलने लगा। उसने प्रीती के चेहरे के पास आकर अपना एक घुटना कुर्सी के हथे पे रख दिया। उसका लंड प्रीती के चेहरे पे झटके मार रहा था। प्रीती ने मुस्कुरा कर उसकी तरफ़ देखा और अपना मुँह खोल कर उसके लंड को अंदर ले लिया।
“प्रीती मैं चाहता हूँ कि तुम मेरा लंड ठीक उसी तरह चूसो जैसे तुमने पहली बार चूसा था। एक हाथ से मेरे लंड को चूसो और दूसरे हाथ से मेरी गोलाइयों को सहलाओ। सच में बहुत मज़ा आया था जब तुमने ऐसा किया था!” प्रीती वैसे ही उसके लंड को जोरों से चूस रही थी। दोनों की गहरी होती साँसें और बदन की हर्कत बता रही थी कि दोनों ही छूटने के करीब हैं।
“कुछ खास अच्छी तरह से नहीं।” प्रीती ने जवाब दिया। प्रशाँत ने उसे अपना नया डिल्डो लाने को कहा। प्रीती ने अपने बेडरूम से डिल्डो लाकर प्रशाँत को पकड़ा दिया।
प्रशाँत ने प्रीती को कमरे में रखी एक अराम कुर्सी पर बिठा दिया। प्रशाँत अब जोरों से उसे चूमने लगा। मैंने देखा कि उसका एक हाथ बबीता की टाँगों को सहलाते हुए अब उसकी जाँघों पर रेंग रहा था। फिर उसने उसकी दोनों टाँगों को थोड़ा फैला दिया जिससे उसकी चूत पूरी तरह खुल कर नज़र आने लगी।
मेरी बीवी कुर्सी पर और पसर गयी और अपने टाँगें और फैला दीं जिससे प्रशाँत को आसानी हो सके। प्रशाँत ने उसकी टाँगों को ऊपर उठा कर कुर्सी के हथे पे रख दिया। जैसे ही प्रशाँत ने अपना मुँह उसकी चूत का स्वाद लेने के लिए बढ़ाया, प्रीती उसकी और कामुक नज़रों से देखने लगी।
कुर्सी ठीक खिड़की के बगल में थी। इसलिए मुझे अंदर का नज़ारा साफ दिखायी पड़ रहा था कि, किस तरह प्रशाँत मेरी बीवी की चूत को चाट रहा था। प्रशाँत चूत चाटने में माहिर था और थोड़ी ही देर में प्रीती के मुँह से सिस्करी गूँजने लगी।
प्रशाँत ने अब अपनी दो अँगुलियाँ अपनी जीभ के साथ प्रीती की चूत मे डाल दी, और अंदर बाहर करने लगा। करीब पंद्रह मिनट तक उसकी चूत को चाटने के बाद प्रशाँत उठा और डिल्डो को ले आया और उसका बटन ऑन करके उसे चालू कर दिया।
मेरी बीवी कुर्सी पर पसरी हुई कामुक नज़रों से प्रशाँत को देख रही थी। वो जानती थी कि एक दूसरा मर्द अब उसकी चूत में एक खिलौने को डालने वाला है। प्रशाँत घुटनों के बल बैठ कर प्रीती की टाँगों के बीच आ गया और उसकी गीली हो चुकी चूत में डिल्डो को डालने लगा। उसने धीरे-धीरे डिल्डो अंदर घुसाया और अब वो प्लास्टिक का खिलौना प्रीती की चूत में पूरा घुस चुका था।
डिल्डो की हर्कत का असर मेरी बीवी के चेहरे पे साफ दिखायी दे रहा था, वो अपनी टाँगों को पूरा भींच कर डिल्डो का मज़ा लेने लगी। मेरा लंड भी ये सब देख एक बार फ़िर तन चुका था, जबकि बीस मिनट पहले ही मैं बबीता की गाँड में झड़ कर अलग हुआ था।
प्रशाँत अब खड़ा होकर अपनी पैंट के बटन खोलने लगा। उसने प्रीती के चेहरे के पास आकर अपना एक घुटना कुर्सी के हथे पे रख दिया। उसका लंड प्रीती के चेहरे पे झटके मार रहा था। प्रीती ने मुस्कुरा कर उसकी तरफ़ देखा और अपना मुँह खोल कर उसके लंड को अंदर ले लिया।
“प्रीती मैं चाहता हूँ कि तुम मेरा लंड ठीक उसी तरह चूसो जैसे तुमने पहली बार चूसा था। एक हाथ से मेरे लंड को चूसो और दूसरे हाथ से मेरी गोलाइयों को सहलाओ। सच में बहुत मज़ा आया था जब तुमने ऐसा किया था!” प्रीती वैसे ही उसके लंड को जोरों से चूस रही थी। दोनों की गहरी होती साँसें और बदन की हर्कत बता रही थी कि दोनों ही छूटने के करीब हैं।