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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
मैंने अपने लंड को बड़े धीरे से उसकी गाँड में घुसाया तो मुझे लगा कि उसकी गाँड के दीवारें और खुल रही हैं और मेरे लंड के लिए जगह बन रही है। मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं उसकी गाँड मे लंड नहीं डाल रहा हूँ बल्कि उसकी गाँड मेरे लंड को निगल रही है। थोड़ी ही देर में मेरा पूरा लंड उसकी गाँड मे समाया हुआ था।

अब मैं अपने लंड को उसकी गाँड में धीरे-धीरे अंदर बाहर कर रहा था। मैं अपने लंड को बाहर खींचता और जब सिर्फ़ सुपाड़ा अंदर रहता तो एक ही धक्के में अपना लंड उसकी गाँड मे पेल देता। 
 
बबीता भी अपने चूत्तड़ों को पीछे की और धकेल कर मज़ा ले रही थी,हाँआआआ राज डाल दो अपने लंड को मेरी गाँड में.... फाड़ दो इसे... लगाओ जोर के धक्के...।
 
मुझे भी जोश आता जा रहा था। मैंने बबीता के कंधों को पकड़ कर उसे अपने से और चिपटा लिया। अब मेरा लंड और भी गहराइयों तक उसकी गाँड में जा रहा था। मैं जैसे ही अपना लंड और घुसाता, वो अपने को और मेरी बदन से चिपका लेती। मैं इसी अवस्था में अपने लंड को उसकी गाँड के अंदर बाहर कर रहा था कि मैंने उसके हाथों को अपने आँडकोश पे महसूस किया। वो धीरे-धीरे मेरे गोलों को सहला रही थी। उसके हाथों की गर्मी मुझमें और उत्तेजना भर रही थी।
 
मेरा लंड अब तेजी से उसकी गाँड के अंदर बाहर हो रहा था। मुझे मालूम था कि मेरा छूटने का समय नज़दीक आता जा रहा है। पर शायद उसका पानी नहीं छूटने वाला था, वो अपना हाथ मेरे अँडों पे से हटा कर अपनी चूत को रगड़ने लगी। मैं और जोर से धक्के मार रहा था।
 
जब उसका छूटने का समय नज़दीक आया तो वो अपनी दो अँगुलियाँ अपनी चूत मे डाल कर अंदर बाहर करने लगी और चींखने लगी, हाँ मारो मेरी गाँड को... और जोर से... राज छोड़ दो अपना पूरा पानी मेरी गाँड में...।
 
मैं जोर से उसकी गाँड मे अपना लंड पेले जा रहा था। बहुत ही दिलकश नज़ारा था। जब मेरा लंड उसकी गाँड से निकलता तो उसका छेद सिकुड़ जाता और जब मैं अंदर पेलता तो और खुल जाता। मैं जोर के धक्के लगा रहा था।
 
मैंने महसूस किया कि उसका शरीर अकड़ रहा था और उसकी गाँड ने मेरे लंड को अपनी गिरफ़्त मे ले लिया था। मैं समझ गया कि उसका पानी छूट रहा है। मैंने जोर का धक्का लगाया और मेरे लंड ने भी अपने वीर्य की पिचकारी उसकी गाँड मे छोड़ दी। जैसे  ही मेरा लंड वीर्य उगलता, मैं अपने लंड को और जड़ तक उसकी गाँड में समा देता।
 
मुझे आज पहली बार एहसास हुआ कि गाँड मारने में कितना मज़ा आता है। मैं बबीता की गाँड में अभी भी अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था। उसकी गाँड क्रीम और मेरे वीर्य से इतनी गीली हो चुकी थी कि मुझे अपना लंड जड़ तक घुसाने में कोई तकलीफ़ नहीं हो रही थी।
 
पर हमें नीचे पार्टी में भी शामिल होना था, इसलिए मैंने अपना लंड धीरे-धीरे उसकी गाँड से निकालना शुरू किया। जब मेरा लंड उसकी गाँड से बाहर निकल आया तो बबीता ने घूम कर मुझे चूम लिया,मैं जानती हूँ तुमने आज पहली बार किसी की गाँड मारी है और तुम्हें खूब मज़ा आया है। मुझे भी मज़ा आया है, आज के बद तुम जब चाहो मेरी गाँड मार सकते हो।
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RE: हिंदी की कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 02-08-2020, 12:24 AM



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