02-08-2020, 12:07 AM
मेरे ध्क्कों की रफ़्तार बढ़ते देख उसने अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर पे जकड़ लीं और अपने कुल्हे उछाल कर थाप से थाप मिलाने लगी। उसके मुँह सिसकरियाँ निकल रही थी।
“हाँआंआंआं राज!!! और जोर से!!!!!, हाँआँआँ ऐसे ही करते जाओ, हाँ और अंदर तक घुसा दो..... ओहहहहह..... आआआआआआहहहहहह..... मैं तो अपनी मंज़िल के करीब हूँ। मेरा छुटाआआ!!!” कहकर वो निढाल पड़ गयी।
मेरा नहीं छूटा था, इसलिये मैं और तेजी से उसे चोदने लगा। “लगता है तुम्हारा नहीं छुटा”, उसने भी मेरा साथ देते हुए कहा।
“नहीं, पर जल्द ही छूटने वाला है”, और मैं जोर-जोर से अपने लंड को अंदर डालने लगा।
वो फिर मेरा साथ देने लगी, “राज, रुको मत! हाँआँ चोदते जाओ... हाँआंआं लगता है मेरा फिर छूटने वाला है....” उसकी साँसें उखड़ रही थी।
“ओहहहहहहह राज मेरा छूटाआआआ....” वो जोर से चिल्लायी और उसी वक्त मैंने भी अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में भरे चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे। इससे मेरे लंड में फिर गर्मी आ गयी और वो खड़ा हो उसकी चूत पर झटके मारने लगा।
वो मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ कर बोली, “राज अब मेरी गाँड मारो।” मुझे भी गाँड मारने का शौक था, इसलिये उसके कहते ही मैं उसके पीछे आकर अपने थूक से उसकी गाँड को गीली करने लगा। “राज ये मत करो!!! आज मेरी गाँड में ऐसे ही अपना लौड़ा घुसा दो”, वो बोली।
“पागल हो गयी हो? तुम्हें बहुत दर्द होगा!”
“होने दो राज! महेश भी हमेशा मेरी गाँड ऐसे ही मारता आया है। और अब अगर मेरा ऑयडिया काम कर गया तो मैं समझूँगी कि जैसे मैंने महेश की कोरी गाँड मारी है। इसलिये मैं बोलती हूँ वैसा करो”, उसने कहा।
मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने जोर से अपना लंड उसकी गाँड में डाल दिया।
“ऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईई माँआंआंआं.... मर गयीईईईई”, उसके मुँह से चींख निकली। मैं उसकी गाँड मारने लगा और साथ ही उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल कर उसे चोदने लगा। थोड़ी देर में ही हम दोनों का काम हो गया और दोनों एक दूसरे को बाँहों में ले कर सो गये।
सुबह मैंने उसे फिर पूछा, “प्रीती! अब बताओ तुम्हारा प्लैन क्या है?”
“राज प्लैन सिंपल है, बस तुम्हारी मदद चाहिये। तुम्हारी मदद के बिना ये पूरा नहीं हो सकता”, प्रीती खुश होती हुई बोली।
“प्रीती! मैं तुम्हें पहले ही बोल चुका हूँ, तुम्हें मुझसे पूरी मदद मिलेगी जिससे तुम एम-डी और महेश से अपना बदला ले सको, अब बताओ।”
“ठीक है! सुनो मेरा प्लैन क्या है....”
“हाँआंआंआं राज!!! और जोर से!!!!!, हाँआँआँ ऐसे ही करते जाओ, हाँ और अंदर तक घुसा दो..... ओहहहहह..... आआआआआआहहहहहह..... मैं तो अपनी मंज़िल के करीब हूँ। मेरा छुटाआआ!!!” कहकर वो निढाल पड़ गयी।
मेरा नहीं छूटा था, इसलिये मैं और तेजी से उसे चोदने लगा। “लगता है तुम्हारा नहीं छुटा”, उसने भी मेरा साथ देते हुए कहा।
“नहीं, पर जल्द ही छूटने वाला है”, और मैं जोर-जोर से अपने लंड को अंदर डालने लगा।
वो फिर मेरा साथ देने लगी, “राज, रुको मत! हाँआँ चोदते जाओ... हाँआंआं लगता है मेरा फिर छूटने वाला है....” उसकी साँसें उखड़ रही थी।
“ओहहहहहहह राज मेरा छूटाआआआ....” वो जोर से चिल्लायी और उसी वक्त मैंने भी अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में भरे चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे। इससे मेरे लंड में फिर गर्मी आ गयी और वो खड़ा हो उसकी चूत पर झटके मारने लगा।
वो मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ कर बोली, “राज अब मेरी गाँड मारो।” मुझे भी गाँड मारने का शौक था, इसलिये उसके कहते ही मैं उसके पीछे आकर अपने थूक से उसकी गाँड को गीली करने लगा। “राज ये मत करो!!! आज मेरी गाँड में ऐसे ही अपना लौड़ा घुसा दो”, वो बोली।
“पागल हो गयी हो? तुम्हें बहुत दर्द होगा!”
“होने दो राज! महेश भी हमेशा मेरी गाँड ऐसे ही मारता आया है। और अब अगर मेरा ऑयडिया काम कर गया तो मैं समझूँगी कि जैसे मैंने महेश की कोरी गाँड मारी है। इसलिये मैं बोलती हूँ वैसा करो”, उसने कहा।
मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने जोर से अपना लंड उसकी गाँड में डाल दिया।
“ऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईई माँआंआंआं.... मर गयीईईईई”, उसके मुँह से चींख निकली। मैं उसकी गाँड मारने लगा और साथ ही उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल कर उसे चोदने लगा। थोड़ी देर में ही हम दोनों का काम हो गया और दोनों एक दूसरे को बाँहों में ले कर सो गये।
सुबह मैंने उसे फिर पूछा, “प्रीती! अब बताओ तुम्हारा प्लैन क्या है?”
“राज प्लैन सिंपल है, बस तुम्हारी मदद चाहिये। तुम्हारी मदद के बिना ये पूरा नहीं हो सकता”, प्रीती खुश होती हुई बोली।
“प्रीती! मैं तुम्हें पहले ही बोल चुका हूँ, तुम्हें मुझसे पूरी मदद मिलेगी जिससे तुम एम-डी और महेश से अपना बदला ले सको, अब बताओ।”
“ठीक है! सुनो मेरा प्लैन क्या है....”
॥॥। क्रमशः॥॥