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Adultery तरक्की का सफ़र
एक दिन मैं ऑफिस से घर लौटा तो देखा प्रीती एक खत फढ़ रही थी, और जोर-जोर से हँस रही थी। 

किसका खत है?” मैंने पूछा। 
 
लो तुम ही पढ़ के देख लो, प्रीती ने मेरे हाथ में खत पकड़ा दिया।
 
मैंने खत लेके पढ़ा.............................
 
हमारी प्यारी भाभी,
 
सॉरी हम दोनों आप को खत नहीं लिख पाये।
 
हम दोनों बहुत मज़े में हैं। हमारे पति बहुत ही अच्छे इनसान है। हर रात को हमारी जमकर चुदाई करते हैं। मैं शुरू से बताती हूँ।
 
हाँ हमारी सुहागरात की रात से! हमारे पतियों ने पहले किसी लड़की को चोदा नहीं था, इसलिये जल्दबाज़ी में उन्हें हमारे कुँवारे ना होने का पता नहीं चला। फिर भी हम उन्हें कहते रहे, जरा धीरे-धीरे करो, दर्द हो रहा है।
 
कुछ महीनों तक ऐसे ही चलता रहा। फिर हमें चुदाई में इतना मज़ा नहीं आता था, क्योंकि हमारे पति बहुत ही सीधे हैं। ना तो वो हमारी चूत चाटते हैं, ना ही हमे अपना लौड़ा चूसने देते हैं। गाँड मारने की बात तो जाने दो।
 
फिर हम दोनों ने मिलकर इसका उपाय निकाला। हम दोनों ने एक दूसरे के पति को पटाया और उनसे चुदवा लिया। फिर एक बार हमने नाटक करके एक दूसरे को दूसरे के पति के साथ पकड़ लिया। हमारे पति इतने सीधे हैं कि हमसे माफी माँगने लगे। हमने उन्हें माफ़ किया पर एक शर्त पर कि वो हमें साथ-साथ चोदेंगे।
 
अब हम चारों साथ में ही सोते हैं, जैसे राम और श्याम के साथ सोते थे। हमने उन्हें चूत चाटना भी सिखा दिया है और हम उनका लंड भी मज़े से चूसते हैं। हम चारों का आपके पास आने को बहुत मन कर रहा है।
 
और आपका क्या हल है? भैया को हमारा प्यार देना।
 
बाय-बाय!
 
आपकी रंडी ननदें, अंजू और मंजू।
 
थैंक गॉड! ये दोनों अपने जीवन में सैटल हो गयी, मैंने खत पढ़कर कहा।
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RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 02-08-2020, 12:06 AM



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