02-08-2020, 12:05 AM
“एम-डी के बारे में क्या पता लगा?” मैंने पूछा।
“वहाँ भी कुछ खास हाथ नहीं लगा। मिसेज योगिता और मिसेज मिली, अच्छी सहेलियाँ हैं, और हाँ तुमने सच कहा था! उनकी बेटियाँ छोटी हैं। हाँ! रजनी और मैं अच्छे दोस्त बन गये हैं। मैंने हार नहीं मानी है, एक दिन भगवान हमारी मदद जरूर करेगा।”
करीब तीन महीने बाद मुझे पिताजी की चिट्ठी मिली कि अंजू और मंजू की शादी पक्की हो गयी। करीब के गाँव के जमीनदार के लड़कों के साथ। हम दोनों को शादी में बुलाया था।
मैं और प्रीती हमारे घर शादी अटेंड करने पहुँचे। देखा अंजू और मंजू बहुत खुश थीं। शादी के दिन जब हम अकेले में मिले तो प्रीती ने उनसे पूछा, “तुम दोनों को कोई शिकायत तो नहीं है?”
अंजू ने मंजू की तरफ देख कर कहा, “सिर्फ़ एक!”
“और वो क्या है?” प्रीती ने पूछा।
“हम इतने दिन वहाँ रहे पर भैया को हम इतने सुंदर नहीं दिखे कि वो हमें चोद सके”, अंजू ने कहा।
“अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, तुम भी यहीं हो और तुम्हारे भैया भी! जाओ और चुदवा लो उनसे, मैं बुरा नहीं मानुँगी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“प्रीती! अपनी सीमा में रहो”, मैंने अपनी बहनों को बाँहों में भरते हुए कहा, “ऐसी बात नहीं है पगली, जब तुम दोनों का नंगा बदन देखा तो मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था, अगर तुम दोनों मेरी बहनें ना होती तो उसी समय तुम दोनों को चोद देता।”
“मैं भी इस चीज़ को मानती हूँ, रिश्तों की कदर करनी चाहिये”, प्रीती बीच में बोली, “अब तुम दोनों को अपनी सुहागरात का इंतज़ार होगा?”
“हाँ भाभी, तीन महीने हो गये चुदवाये, अँगुली से अपनी चूत चोद-चोद कर देखो हमारी अँगुली भी घिस कर एक इंच छोटी हो गयी है”, मंजू ने अपनी अँगुली दिखाते हुए कहा।
“मैं तो यही प्रार्थना करती हूँ कि सब अच्छी तरह से हो जाये, हमारे पतियों को ये ना पता चले कि हमारी चूत कुँवारी नहीं है”, अंजू थोड़ा सिरियस होते हुए बोली।
“घबराओ मत! सब ठीक होगा”, प्रीती ने उन्हें सांतवना दी।
शादी के बाद हम लोग वापस लौट आये। प्रीती बराबर एम-डी और महेश के घर जाती रही। हमारी चुदाई वैसे ही चल रही थी। मैं ऑफिस में लड़कियों को चोदता और प्रीती को घर पर। प्रीती भी घर पर मुझसे चुदवाती और क्लब में दूसरों से। वो चाहे एम-डी और महेश से कितनी भी गुस्सा हो पर मुझे लगने लगा था कि प्रीती को यह शबाब-शराब से भरपूर ऐय्याश लाइफ स्टाईल रास आ गया था। उसकी चुदाई की आग पहले से बहुत बढ़ गयी थी।
“वहाँ भी कुछ खास हाथ नहीं लगा। मिसेज योगिता और मिसेज मिली, अच्छी सहेलियाँ हैं, और हाँ तुमने सच कहा था! उनकी बेटियाँ छोटी हैं। हाँ! रजनी और मैं अच्छे दोस्त बन गये हैं। मैंने हार नहीं मानी है, एक दिन भगवान हमारी मदद जरूर करेगा।”
करीब तीन महीने बाद मुझे पिताजी की चिट्ठी मिली कि अंजू और मंजू की शादी पक्की हो गयी। करीब के गाँव के जमीनदार के लड़कों के साथ। हम दोनों को शादी में बुलाया था।
मैं और प्रीती हमारे घर शादी अटेंड करने पहुँचे। देखा अंजू और मंजू बहुत खुश थीं। शादी के दिन जब हम अकेले में मिले तो प्रीती ने उनसे पूछा, “तुम दोनों को कोई शिकायत तो नहीं है?”
अंजू ने मंजू की तरफ देख कर कहा, “सिर्फ़ एक!”
“और वो क्या है?” प्रीती ने पूछा।
“हम इतने दिन वहाँ रहे पर भैया को हम इतने सुंदर नहीं दिखे कि वो हमें चोद सके”, अंजू ने कहा।
“अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, तुम भी यहीं हो और तुम्हारे भैया भी! जाओ और चुदवा लो उनसे, मैं बुरा नहीं मानुँगी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“प्रीती! अपनी सीमा में रहो”, मैंने अपनी बहनों को बाँहों में भरते हुए कहा, “ऐसी बात नहीं है पगली, जब तुम दोनों का नंगा बदन देखा तो मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था, अगर तुम दोनों मेरी बहनें ना होती तो उसी समय तुम दोनों को चोद देता।”
“मैं भी इस चीज़ को मानती हूँ, रिश्तों की कदर करनी चाहिये”, प्रीती बीच में बोली, “अब तुम दोनों को अपनी सुहागरात का इंतज़ार होगा?”
“हाँ भाभी, तीन महीने हो गये चुदवाये, अँगुली से अपनी चूत चोद-चोद कर देखो हमारी अँगुली भी घिस कर एक इंच छोटी हो गयी है”, मंजू ने अपनी अँगुली दिखाते हुए कहा।
“मैं तो यही प्रार्थना करती हूँ कि सब अच्छी तरह से हो जाये, हमारे पतियों को ये ना पता चले कि हमारी चूत कुँवारी नहीं है”, अंजू थोड़ा सिरियस होते हुए बोली।
“घबराओ मत! सब ठीक होगा”, प्रीती ने उन्हें सांतवना दी।
शादी के बाद हम लोग वापस लौट आये। प्रीती बराबर एम-डी और महेश के घर जाती रही। हमारी चुदाई वैसे ही चल रही थी। मैं ऑफिस में लड़कियों को चोदता और प्रीती को घर पर। प्रीती भी घर पर मुझसे चुदवाती और क्लब में दूसरों से। वो चाहे एम-डी और महेश से कितनी भी गुस्सा हो पर मुझे लगने लगा था कि प्रीती को यह शबाब-शराब से भरपूर ऐय्याश लाइफ स्टाईल रास आ गया था। उसकी चुदाई की आग पहले से बहुत बढ़ गयी थी।