01-08-2020, 11:42 PM
स्वामी अपने पूरे लंड को मेरी चूत में डाल कर कुछ देर तक उसी तरह खड़ा रहा। मेरी चूत के अंदर मानो आग लगी हुई थी। मेरी चूत की दीवारें चरमरा रही थीं। रस्तोगी उस वक्त मेरे निप्पल और मेरे मम्मों को अपने हाथों से और दाँतों से बुरी तरह नोच रहा था और काट रहा था। इससे मेरा ध्यान बंटने लगा और कुछ देर में मैं अपने नीचे उठ रही दर्द की लहर को भूल कर रस्तोगी से अपने मम्मों को छुड़ाने लगी। कुछ देर बाद स्वामी का लंड सरसराता हुआ बाहर की ओर निकलता महसूस हुआ । उसने अपने लंड को टिप तक बाहर निकाला और फिर पूरे जोश के साथ अंदर डाल दिया। अब वो मेरी चूत में जोर-जोर से धक्के मारने लगा। उसको हरकत में आते देख रस्तोगी का लंड वापस खड़ा होने लगा। वो घूम कर मेरे दोनों कंधों के पास टाँगें रख कर अपने लंड को मेरे होंठों पर रगड़ने लगा। मैंने उसको लाचार समझ कर अपने मुँह को खोल कर उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया। वो मेरी छातियों के ऊपर बैठ गया। मुझे ऐसा लगा मानो मेरे सीने की सारी हवा निकल गयी हो। वो अपने लंड को मेरे मुँह में देकर झुकते हुए अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख कर मेरे मुँह में अपने लंड से धक्के मारने लगा। इस पोज़िशन में स्वामी मुझे दिखायी नहीं दे रहा था मगर उसके जबरदस्त धक्के मेरे पूरे जिस्म को बुरी तरह झकझोर रहे थे।
कुछ देर बाद मुझे रस्तोगी का लंड फूलते हुए महसूस हुआ। उसने एक झटके से अपने पूरे लंड को बाहर की ओर खींचा और उसे पूरा बाहर निकाल लिया। उसकी ये हरकत मुझे बहुत बुरी लगी। किसी को इतना चोदने के बाद भी उसके पेट में अपना रस नहीं उढ़ेलो तो लगता है मानो सामने वाला दगाबाज़ हो। मैंने उसके वीर्य को पाने के लिये अपना मुँह पूरा खोल दिया। उसने अपने लंड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ा और वीर्य की एक तेज़ धार हवा में उछलती हुई मेरी ओर बढ़ी। उसने ढेर सारा वीर्य मेरे चेहरे पर, मेरे बालों में और मेरे खुले हुए मुँह में डाल दिया। मैंने तड़प कर अपने मुँह को उसके लंड के ऊपर लगाया और उसके बचे हुए वीर्य को अपने मुँह में भरने लगी।
“मेरे वीर्य को पीना नहीं। इसे मुँह में ही रख जब तक स्वामी का वीर्य तेरी चूत में नहीं छूट जाता!” रस्तोगी ने मुझसे कहा। स्वामी के धक्कों की स्पीड काफी बढ़ गयी। मैंने रस्तोगी का वीर्य अपने मुँह में भर रखा था जिससे मेरा मुँह फूल गया था। मुँह के कोरों से वीर्य छलक कर बाहर आ रहा था। बहुत सारा वीर्य डाला था उसने मेरे मुँह में। रस्तोगी मेरे ऊपर से हट गया। मेरे मम्मों पर अपने हाथ रखते हुए स्वामी मेरी चूत में धक्के मारने लगा। कुछ देर बाद वो नीचे झुक कर अपना सारा बोझ मेरे जिस्म पर डालते हुए मेरे मम्मों को अपने दाँतों से बुरी तरह काटने लगा। उसके जिस्म से वीर्य की तेज़ धार मेरी चूत में बहने लगी। स्वामी से चुदते हुए मैं भी दो बार अन्जाम तक पहुँची। पूरा वीर्य मेरी चूत में डाल कर वो उठा। मैं अपनी टाँगें फैलाये वहीं टेबल पर पड़ी पड़ी लंबी-लंबी साँसें ले रही थी। कुछ देर तक इसी तरह पड़े रहने के बाद रस्तोगी ने मुझे सहारा देकर उठाया।
कुछ देर बाद मुझे रस्तोगी का लंड फूलते हुए महसूस हुआ। उसने एक झटके से अपने पूरे लंड को बाहर की ओर खींचा और उसे पूरा बाहर निकाल लिया। उसकी ये हरकत मुझे बहुत बुरी लगी। किसी को इतना चोदने के बाद भी उसके पेट में अपना रस नहीं उढ़ेलो तो लगता है मानो सामने वाला दगाबाज़ हो। मैंने उसके वीर्य को पाने के लिये अपना मुँह पूरा खोल दिया। उसने अपने लंड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ा और वीर्य की एक तेज़ धार हवा में उछलती हुई मेरी ओर बढ़ी। उसने ढेर सारा वीर्य मेरे चेहरे पर, मेरे बालों में और मेरे खुले हुए मुँह में डाल दिया। मैंने तड़प कर अपने मुँह को उसके लंड के ऊपर लगाया और उसके बचे हुए वीर्य को अपने मुँह में भरने लगी।
“मेरे वीर्य को पीना नहीं। इसे मुँह में ही रख जब तक स्वामी का वीर्य तेरी चूत में नहीं छूट जाता!” रस्तोगी ने मुझसे कहा। स्वामी के धक्कों की स्पीड काफी बढ़ गयी। मैंने रस्तोगी का वीर्य अपने मुँह में भर रखा था जिससे मेरा मुँह फूल गया था। मुँह के कोरों से वीर्य छलक कर बाहर आ रहा था। बहुत सारा वीर्य डाला था उसने मेरे मुँह में। रस्तोगी मेरे ऊपर से हट गया। मेरे मम्मों पर अपने हाथ रखते हुए स्वामी मेरी चूत में धक्के मारने लगा। कुछ देर बाद वो नीचे झुक कर अपना सारा बोझ मेरे जिस्म पर डालते हुए मेरे मम्मों को अपने दाँतों से बुरी तरह काटने लगा। उसके जिस्म से वीर्य की तेज़ धार मेरी चूत में बहने लगी। स्वामी से चुदते हुए मैं भी दो बार अन्जाम तक पहुँची। पूरा वीर्य मेरी चूत में डाल कर वो उठा। मैं अपनी टाँगें फैलाये वहीं टेबल पर पड़ी पड़ी लंबी-लंबी साँसें ले रही थी। कुछ देर तक इसी तरह पड़े रहने के बाद रस्तोगी ने मुझे सहारा देकर उठाया।