01-08-2020, 11:41 PM
भाग ८
उसे मुझे दर्द देने में मज़ा आ रहा था। नहीं तो वो अगर चाहता तो उस हालत में ही अपने लंड को धक्का दे कर और अंदर कर देता। लेकिन वो तो पूरे लंड को बाहर निकाल कर वापस मुझे उसी तरह के दर्द से छटपटाता देखना चाहता था। मैंने उसके जुनून को कम करने के लिये उसके सीने पर अपना एक हाथ रख दिया था लेकिन ये तो आँधी में एक कमज़ोर फूल की जुररत के समान ही था।
उसने वापस अपने लंड को मेरी चूत पर लगा कर एक जोर का धक्का दिया। मैं दर्द से बचने के लिये आगे की ओर खिसकी लेकिन कोई फ़र्क नहीं पड़ा। मैं दर्द से दोहरी हो कर चींख उठी, “उफफऽऽऽ माँऽऽऽ मार गयीईऽऽऽऽ।”
उसका आधा लंड मेरी चूत के मुँह को फाड़ता हुआ अंदर धंस गया। मेरा एक हाथ उसके सीने पर पहले से ही गड़ा हुआ था। मैंने दर्द से राहत पाने के लिये अपने दूसरे हाथ को भी उसके सीने पर रख दिया। उसके काले सीने पर घने काले सफ़ेद बल उगे हुए थे। मैंने दर्द से अपनी अँगुलियों के नाखुन उसके सीने पर गड़ा दिये। एक दो जगह से तो खून भी छलक आया और मुट्ठियाँ बंद हो कर जब खुली तो मुझे उसमें उसके सीने के टूटे हुए बाल नज़र आये। स्वामी एक भद्दी सी हँसी हँसा और मेरी टाँगों को पकड़ कर हँसते हुए उसने मुझसे पूछा, “कैसा लग रहा है जान.. मेरा ये मिसाईल? मज़ा आ गया ना?”
मैं दर्द को पीती हुई फ़टी हुई आँखों से उसको देख रही थी। उसने दुगने जोर से एक और धक्के के साथ अपने पूरे लंड को अंदर डाल दिया। मैं किसी मछली की तरह छटपटा रही थी। “आआऽऽऽऽहहहऽऽऽऽ मेरे खुदाऽऽऽऽऽ!! जावेद बचाऽऽऽओ ऊऊऽऽऽ मुझे ये फाड़ देंगेऽऽऽ।”
मैं टेबल से उठने की कोशिश करने लगी मगर रस्तोगी ने मेरे मम्मों को अपने हाथों से बुरी तरह मसलते हुए मुझे वापस लिटा दिया। उसने मेरे दोनों निप्पलों को अपनी मुठ्ठियों में भर कर इतनी जोर का मसला कि मुझे लगा मेरे दोनों निप्पल उखड़ ही जायेंगे। मैं इस दो तरफ़ा हमले से छटपटाने लगी। शुक्र है कि मैंने उनके कहने पर इतनी शराब पी रखी थी। अगर मैं इतने नशे में नहीं होती तो मैं ये सब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाती थी।