01-08-2020, 11:36 PM
स्वामी ने मेरी टाँगों को दोनों हाथों से जितना हो सकता था उतना फैला दिया। वो अपने लंड को मेरी चूत पर फिराने लगा। मैंने उसके लंड को हाथों में भर कर अपनी चूत पर रखा।
“धीरे-धीरे.. स्वामी! नहीं तो मैं मार जाऊँगी!” मैंने स्वामी से रिक्वेस्ट किया। स्वामी एक भद्दी हँसी हँसा। हँसते हुए उसका पूरा जिस्म हिल रहा था। उसका लंड वापस मेरी चूत पर से हट गया।
“ओये जावेद! तुम्हारी बीवी को तुम जब चाहे कर सकता है..... अभी तो मेरी हेल्प करो। इधर आओ मेरे रॉड को हाथों से पकड़ कर अपनी वाईफ के कंट में डालो। मैं इसकी टाँगें पकड़ा हूँ। इसलिये मेरा लंड बार-बार तुम्हारी वाईफ की कंट से फ़िसल जाता है। पकड़ो इसे…” जावेद ने आगे की ओर हाथ बढ़ा कर स्वामी के लंड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ा। कुछ देर से कोशिश करने की वजह से स्वामी का लंड थोड़ा ढीला पड़ गया था।
“जावेद! पहले इसे अपने हाथों से सहला कर वापस खड़ा करो। उसके बाद अपनी बीवी की पुसी में डालना। आज तेरी वाईफ की पुसी को फाड़ कर रख दुँगा!” जावेद उसके लंड को हाथों में लेकर सहलाने लगा। मैंने भी हाथ बढ़ा कर उसके लंड के नीचे लटक रही गेंदों को सहलाना शुरू किया। कैसा अजीब माहौल था; अपनी बीवी की चूत को ठुकवाने के लिये मेरा हसबैंड एक अजनबी के लंड को सहला कर खड़ा कर रहा था। कुछ ही देर में हम दोनों की कोशिशें रंग लायीं और स्वामी का लंड वापस खड़ा होना शुरू हो गया। उसका आकार बढ़ता ही जा रहा था। उसे देख-देख कर मेरी घिग्घी बंधने लगी।
“धीरे-धीरे स्वामी! मैं इतना बड़ा नहीं ले पाऊँगी। मेरी चूत अभी बहुत टाईट है।” मैंने कसमसाते हुए कहा, “तुम… तुम बोलते क्यों नहीं? ” मैंने नशे में लड़खड़ाती आवाज़ में जावेद से कहा।
जावेद ने स्वामी की तरफ़ देख कर उससे धीरे से रिक्वेस्ट की, “मिस्टर स्वामी! प्लीज़ थोड़ा धीरे से। शी हैड नेवर बिफोर एक्सपीरियंस्ड सच ए मासिव कॉक। यू मे हार्म हर… योर कॉक इज़ श्योर टू टियर हर अपार्ट।”
“हाहाह… डोंट वरी जावेद! वेट फोर फाईव मिनट्स। वंस आई स्टार्ट हंपिंग, शी विल स्टार्ट आस्किंग फोर मोर लाईक ए रियल स्लट”, स्वामी ने जावेद को दिलासा दिया। उसने मेरी चूत के अंदर अपनी दो अँगुली डाल कर उसे घुमाया और फिर मेरे और रस्तोगी के वीर्य से लिसड़ी हुई अँगुलियों को बाहर निकाल कर मेरी आँखों के सामने एक बार हिलाया और फिर उसे अपने लंड पर लगाने लगा। ये काम उसने कईं बार दोहराया। उसका लंड हम दोनों के वीर्य से गीला हो कर चमक रहा था। उसने वापस अपने लंड को मेरी चूत पर सटाया और दूसरे हाथ से मेरी चूत की फाँकों को अलग करते हुए अपने लंड को एक हल्का धक्का दिया। मैंने अपनी टाँगों को छत की तरफ़ उठा रखा था। मेरी चूत उसके लंड के सामने खुल कर फ़ैली हुई थी। हल्के से धक्के से उसका लंड अंदर ना जाकर गीली चूत पर नीचे की ओर फ़िसल गया। उसने दोबारा अपने लंड को मेरी चूत पर सटाया। जावेद उसके पास ही खड़ा था। उसने अपनी अँगुलियों से मेरी चूत की फाँकों को अलग किया और चूत पर स्वामी के लंड को फ़ंसाया। स्वामी ने अब एक जोर का धक्का दिया और उसके लंड के सामने का टोपा मेरी चूत में धंस गया। मुझे ऐसा लगा मानो मेरी दोनों टाँगों के बीच किसी ने खंजर से चीर दिया हो। मैं दर्द से छटपटा उठी, “आआआऽऽऽऽहहऽऽऽऽ” और मेरे नाखुन जावेद के लंड पर गड़ गये। मेरे साथ वो भी दर्द से बिलबिला उठा। लेकिन स्वामी आज मुझ पर रहम करने के मूड में बिल्कुल नहीं था। उसने वापस अपने लंड को पूरा बाहर खींचा तो एक फक सी आवाज आयी जैसे किसी बोतल का कॉर्क खोला गया हो।
“धीरे-धीरे.. स्वामी! नहीं तो मैं मार जाऊँगी!” मैंने स्वामी से रिक्वेस्ट किया। स्वामी एक भद्दी हँसी हँसा। हँसते हुए उसका पूरा जिस्म हिल रहा था। उसका लंड वापस मेरी चूत पर से हट गया।
“ओये जावेद! तुम्हारी बीवी को तुम जब चाहे कर सकता है..... अभी तो मेरी हेल्प करो। इधर आओ मेरे रॉड को हाथों से पकड़ कर अपनी वाईफ के कंट में डालो। मैं इसकी टाँगें पकड़ा हूँ। इसलिये मेरा लंड बार-बार तुम्हारी वाईफ की कंट से फ़िसल जाता है। पकड़ो इसे…” जावेद ने आगे की ओर हाथ बढ़ा कर स्वामी के लंड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ा। कुछ देर से कोशिश करने की वजह से स्वामी का लंड थोड़ा ढीला पड़ गया था।
“जावेद! पहले इसे अपने हाथों से सहला कर वापस खड़ा करो। उसके बाद अपनी बीवी की पुसी में डालना। आज तेरी वाईफ की पुसी को फाड़ कर रख दुँगा!” जावेद उसके लंड को हाथों में लेकर सहलाने लगा। मैंने भी हाथ बढ़ा कर उसके लंड के नीचे लटक रही गेंदों को सहलाना शुरू किया। कैसा अजीब माहौल था; अपनी बीवी की चूत को ठुकवाने के लिये मेरा हसबैंड एक अजनबी के लंड को सहला कर खड़ा कर रहा था। कुछ ही देर में हम दोनों की कोशिशें रंग लायीं और स्वामी का लंड वापस खड़ा होना शुरू हो गया। उसका आकार बढ़ता ही जा रहा था। उसे देख-देख कर मेरी घिग्घी बंधने लगी।
“धीरे-धीरे स्वामी! मैं इतना बड़ा नहीं ले पाऊँगी। मेरी चूत अभी बहुत टाईट है।” मैंने कसमसाते हुए कहा, “तुम… तुम बोलते क्यों नहीं? ” मैंने नशे में लड़खड़ाती आवाज़ में जावेद से कहा।
जावेद ने स्वामी की तरफ़ देख कर उससे धीरे से रिक्वेस्ट की, “मिस्टर स्वामी! प्लीज़ थोड़ा धीरे से। शी हैड नेवर बिफोर एक्सपीरियंस्ड सच ए मासिव कॉक। यू मे हार्म हर… योर कॉक इज़ श्योर टू टियर हर अपार्ट।”
“हाहाह… डोंट वरी जावेद! वेट फोर फाईव मिनट्स। वंस आई स्टार्ट हंपिंग, शी विल स्टार्ट आस्किंग फोर मोर लाईक ए रियल स्लट”, स्वामी ने जावेद को दिलासा दिया। उसने मेरी चूत के अंदर अपनी दो अँगुली डाल कर उसे घुमाया और फिर मेरे और रस्तोगी के वीर्य से लिसड़ी हुई अँगुलियों को बाहर निकाल कर मेरी आँखों के सामने एक बार हिलाया और फिर उसे अपने लंड पर लगाने लगा। ये काम उसने कईं बार दोहराया। उसका लंड हम दोनों के वीर्य से गीला हो कर चमक रहा था। उसने वापस अपने लंड को मेरी चूत पर सटाया और दूसरे हाथ से मेरी चूत की फाँकों को अलग करते हुए अपने लंड को एक हल्का धक्का दिया। मैंने अपनी टाँगों को छत की तरफ़ उठा रखा था। मेरी चूत उसके लंड के सामने खुल कर फ़ैली हुई थी। हल्के से धक्के से उसका लंड अंदर ना जाकर गीली चूत पर नीचे की ओर फ़िसल गया। उसने दोबारा अपने लंड को मेरी चूत पर सटाया। जावेद उसके पास ही खड़ा था। उसने अपनी अँगुलियों से मेरी चूत की फाँकों को अलग किया और चूत पर स्वामी के लंड को फ़ंसाया। स्वामी ने अब एक जोर का धक्का दिया और उसके लंड के सामने का टोपा मेरी चूत में धंस गया। मुझे ऐसा लगा मानो मेरी दोनों टाँगों के बीच किसी ने खंजर से चीर दिया हो। मैं दर्द से छटपटा उठी, “आआआऽऽऽऽहहऽऽऽऽ” और मेरे नाखुन जावेद के लंड पर गड़ गये। मेरे साथ वो भी दर्द से बिलबिला उठा। लेकिन स्वामी आज मुझ पर रहम करने के मूड में बिल्कुल नहीं था। उसने वापस अपने लंड को पूरा बाहर खींचा तो एक फक सी आवाज आयी जैसे किसी बोतल का कॉर्क खोला गया हो।