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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
मैंने अपनी टाँगें उसके कंधे से उतार कर उसकी कमर के इर्द-गिर्द घेरा डाल दिया और उसकी कमर को अपनी टाँगों के जोर से अपनी चूत में खींचा लेकिन वो मुझसे भी ज्यादा ताकतवर था। उसने इतने पर भी अपने लंड को अंदर नहीं जाने दिया। आखिर हार कर मैंने अपने एक हाथ से उसके लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपनी चूत के द्वार को चौड़ा करके अपनी कमर को उसके लंड पर ऊँचा कर दिया। 

“देख जावेद! तेरी बीवी कैसे किसी रंडी की तरह मेरा लंड लेने के लिये छटपटा रही है।” रस्तोगी मेरी हालत पर हंसने लगा। उसका लंड अब मेरी चूत के अंदर तक घुस गया था। मैंने उसके कमर को सख्ती से अपनी टाँगों से अपनी चूत पर जकड़ रखा था। उसके लंड को मैंने अपनी चूत के मसल्स से एक दम कस कर पकड़ लिया और अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी। अब रस्तोगी मुझे नहीं बल्कि मैं रस्तोगी को चोद रही थी। रस्तोगी ने भी कुछ देर तक मेरी हालत का मज़ा लेने के बाद अपने लंड से धक्के देना शुरू कर दिया। 
 
वो कुछ ही देर में पूरे जोश में आ गया और मेरी चूत में दनादन धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ लगता था कि मैं टेबल से आगे गिर पड़ुँगी। इसलिये मैंने अपने हाथों से टेबल को पकड़ लिया। रस्तोगी ने मेरे दोनों मम्मों को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और उनसे जैसे रस निकालने की कोशिश करने लगा। मेरे मम्मों पर वो कुछ ज्यादा ही मेहरबान था। जब से आया था, उसने उन्हें मसल-मसल कर लाल कर दिया था। दस मिनट तक इसी तरह ठोकने के बाद उसके लंड से वीर्य की तेज़ धार मेरी चूत में बह निकली। उसके वीर्य का साथ देने के लिये मेरे जिस्म से भी धारा फूट निकली। उसने मेरे एक मम्मे को अपने दाँतों के बीच बुरी तरह जकड़ लिया। जब सारा वीर्य निकल गया तब जाकर उसने मेरे मम्मे को छोड़ा। मेरे मम्मे पर उसके दाँतों से हल्के से कट लग गये थे जिनसे खून की दो बूँदें चमकने लगी थी। स्वामी अभी भी मेरे मुँह को अपने खंबे से चोदे जा रहा था। मेरा मुँह उसके हमले से दुखने लगा था। लेकिन रस्तोगी को मेरी चूत से हटते देख कर उसकी आँखें चमक गयी और उसने मेरे मुँह से अपने लंड को निकाल लिया। मुझे ऐसा लगा मानो मेरे मुँह का कोई भी हिस्सा काम नहीं कर रहा है। जीभ बुरी तरह दुख रही थी। मैं उसे हिला भी नहीं पा रही थी और मेरा जबड़ा खुला का खुला रह गया। उसने मेरी चूत की तरफ़ आकर मेरी चूत पर अपना लंड सटाया।
 
जावेद वापस मेरे मुँह के पास आ गया। मैंने उसके लंड को वापस अपनी मुठ्ठी में लेकर सहलाना चालू किया। मैं उसके लंड पर से अपना ध्यान हटाना चाहती थी। मैंने जावेद की ओर देखा तो जावेद ने मुस्कुराते हुए अपना लंड मेरे होंठों से सटा दिया। मैंने भी मुस्कुरा कर अपना मुँह खोल कर उसके लंड को अंदर आने का रास्ता दिया। स्वामी के लंड को झेलने के बाद तो जावेद का लंड किसी बच्चे का हथियार लग रहा था।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 01-08-2020, 11:35 PM



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