01-08-2020, 11:34 PM
“ऊऊऽऽऽहहऽऽऽ अन्ना! तुम ठीक ही कहता है… ये तो अपनी रेशमा को भी फ़ेल कर देगी लंड चूसने में।” जावेद उनकी बातें सुनता हुआ हैरानी से मुझे देख रहा था। मैंने कभी इस तरह से अपने हसबैंड के लंड को भी नहीं चूसा था। ये तो उन दोनों ने मुझे इतनी स्ट्रॉंग शराब पिला कर मेरे नशे और जिस्म की गर्मी को इस कदर बढ़ा दिया था कि मैं अपने आप को किसी चीप रंडी जैसी हरकत करने से नहीं रोक पा रही थी।
स्वामी ने कुछ ही देर में रस्तोगी के पीछे आकर उसको मेरे सामने से खींच कर हटाया।
“रस्तोगी तुम इसको फ़क करो। इसकी कंट को रगड़-रगड़ कर चौड़ा कर दो। मैं तब तक इसके मुँह को अपने इस मिसाईल से चोदता हूँ।” ये कहकर स्वामी आ कर रस्तोगी की जगह खड़ा हो गया और उसकी तरह ही मेरे सिर को उठा कर उसने अपनी कमर को आगे किया जिससे मैं उसके लंड को अपने मुँह में ले सकूँ। उसका लंड एक दम कोयले सा काला था लेकिन वो इतना मोटा था कि पूरा मुँह खोलने के बाद भी उसके लंड के सामने का सुपाड़ा मुँह के अंदर नहीं जा पा रहा था। उसने अपने लंड को आगे ठेला तो मुझे लगा कि मेरे होंठों के किनारे अब चीर जायेंगे। मैंने सिर हिला कर उसको अपनी बेबसी जतायी। लेकिन वो मानने को तैयार नहीं था। उसने मेरे सिर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर एक जोर का धक्का मेरे मुँह में दिया और उसके लंड के आगे का टोपा मेरे मुँह में घुस गया। मैं उस लंड के आगे वाले मोटे से गेंद को अपने मुँह में दाखिल होता देख कर घबरा गयी। मुझे लगा कि अब मैं और नहीं बच सकती। पहाड़ की तरह दिखने वाला काला भुजंग मेरे ऊपर और नीचे के रास्तों को फड़ कर रख देगा। मैं बड़ी मुश्किल से उसके लंड पर अपने मुँह को चला पा रही थी। मैं तो आगे पीछे तो क्या कर रही थी, स्वामी ही खुद मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ कर अपने लंड के आगे पीछे कर रहा था। मेरे मुँह में स्वामी के लंड को दाखिल होता देख अब रस्तोगी मेरे पैरों के बीच आ गया था। उसने मेरी टाँगों को पकड़ कर अपने कंधे पर रख लिया और अपने लंड को मेरी चूत पर लगाया। मैं उसके लंड की टिप को अपनी चूत की दोनों फाँकों के बीच महसूस कर रही थी। मैंने एक बार नजरें तिरछी करके जावेद को देखा। उसकी आँखें मेरी चूत पर लगे लंड को साँस रोक कर देख रही थी। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली। मैं हालात से तो समझौता कर ही चुकी थी और शराब के नशे में मेरी चूत उत्तेजना में झुलसी जा रही थी। अब मैंने भी इस चुदाई को पूरी तरह इंजॉय करने का मन बना लिया।
रस्तोगी काफी देर से इसी तरह अपने लंड को मेरी चूत से सटाये खड़ा था और मेरी टाँगों और पैरों के साथ-साथ मेरे सैंडलों को अपनी जीभ से चाट रहा था। अब हालात बेकाबू होते जा रहे थे। अब मुझसे और देरी बर्दाश्त नहीं हो रही थी। मैंने अपनी कमर को थोड़ा ऊपर किया जिससे उसका लंड बिना किसी प्रॉब्लम के अंदर घुस जाये। लेकिन उसने मेरी कमर को आगे आते देख अपने लंड को उसी स्पीड से पीछे कर लिया। उसके लंड को अपनी चूत के अंदर सरकता ना पाकर मैंने अपने मुँह से “गूँऽऽऽ गूँऽऽऽ” करके उसे और देर नहीं करने का इशारा किया। कहना तो बहुत कुछ चाहती थी लेकिन उस मोटे लंड के गले तक ठोकर मारते हुए इतनी सी आवाज भी कैसे निकल गयी पता नहीं चला।
स्वामी ने कुछ ही देर में रस्तोगी के पीछे आकर उसको मेरे सामने से खींच कर हटाया।
“रस्तोगी तुम इसको फ़क करो। इसकी कंट को रगड़-रगड़ कर चौड़ा कर दो। मैं तब तक इसके मुँह को अपने इस मिसाईल से चोदता हूँ।” ये कहकर स्वामी आ कर रस्तोगी की जगह खड़ा हो गया और उसकी तरह ही मेरे सिर को उठा कर उसने अपनी कमर को आगे किया जिससे मैं उसके लंड को अपने मुँह में ले सकूँ। उसका लंड एक दम कोयले सा काला था लेकिन वो इतना मोटा था कि पूरा मुँह खोलने के बाद भी उसके लंड के सामने का सुपाड़ा मुँह के अंदर नहीं जा पा रहा था। उसने अपने लंड को आगे ठेला तो मुझे लगा कि मेरे होंठों के किनारे अब चीर जायेंगे। मैंने सिर हिला कर उसको अपनी बेबसी जतायी। लेकिन वो मानने को तैयार नहीं था। उसने मेरे सिर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर एक जोर का धक्का मेरे मुँह में दिया और उसके लंड के आगे का टोपा मेरे मुँह में घुस गया। मैं उस लंड के आगे वाले मोटे से गेंद को अपने मुँह में दाखिल होता देख कर घबरा गयी। मुझे लगा कि अब मैं और नहीं बच सकती। पहाड़ की तरह दिखने वाला काला भुजंग मेरे ऊपर और नीचे के रास्तों को फड़ कर रख देगा। मैं बड़ी मुश्किल से उसके लंड पर अपने मुँह को चला पा रही थी। मैं तो आगे पीछे तो क्या कर रही थी, स्वामी ही खुद मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ कर अपने लंड के आगे पीछे कर रहा था। मेरे मुँह में स्वामी के लंड को दाखिल होता देख अब रस्तोगी मेरे पैरों के बीच आ गया था। उसने मेरी टाँगों को पकड़ कर अपने कंधे पर रख लिया और अपने लंड को मेरी चूत पर लगाया। मैं उसके लंड की टिप को अपनी चूत की दोनों फाँकों के बीच महसूस कर रही थी। मैंने एक बार नजरें तिरछी करके जावेद को देखा। उसकी आँखें मेरी चूत पर लगे लंड को साँस रोक कर देख रही थी। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली। मैं हालात से तो समझौता कर ही चुकी थी और शराब के नशे में मेरी चूत उत्तेजना में झुलसी जा रही थी। अब मैंने भी इस चुदाई को पूरी तरह इंजॉय करने का मन बना लिया।
रस्तोगी काफी देर से इसी तरह अपने लंड को मेरी चूत से सटाये खड़ा था और मेरी टाँगों और पैरों के साथ-साथ मेरे सैंडलों को अपनी जीभ से चाट रहा था। अब हालात बेकाबू होते जा रहे थे। अब मुझसे और देरी बर्दाश्त नहीं हो रही थी। मैंने अपनी कमर को थोड़ा ऊपर किया जिससे उसका लंड बिना किसी प्रॉब्लम के अंदर घुस जाये। लेकिन उसने मेरी कमर को आगे आते देख अपने लंड को उसी स्पीड से पीछे कर लिया। उसके लंड को अपनी चूत के अंदर सरकता ना पाकर मैंने अपने मुँह से “गूँऽऽऽ गूँऽऽऽ” करके उसे और देर नहीं करने का इशारा किया। कहना तो बहुत कुछ चाहती थी लेकिन उस मोटे लंड के गले तक ठोकर मारते हुए इतनी सी आवाज भी कैसे निकल गयी पता नहीं चला।