01-08-2020, 11:33 PM
रस्तोगी अब मेरे निप्पल को छोड़ कर उठा और मेरे सिर के दूसरी तरफ़ आकर खड़ा हो गया। मेरी नजरें जावेद के लंड पर अटकी हुई थीं, इसलिये रस्तोगी ने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी ओर घुमाया। मैंने देखा कि मेरे चेहरे के पास उसका तना हुआ लंड झटके मार रहा था। उसके लंड से निकलने वाले प्री-कम की एक बूँद मेरे गाल पर आकर गिरी जिसके कारण मेरे और उसके बीच एक महीन रेशम की डोर से संबंध हो गया। उसके लंड से मेरे मुँह तक उसके प्री-कम की एक डोर चिपकी हुई थी। उसने मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ कर कुछ ऊँचा किया। दोनों हाथों से वो मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड को मेरे होंठों पर फिराने लगा। मैंने अपने होंठ सख्ती से बंद कर रखे थे। जितना वो देखने में भद्दा था उसका लंड भी उतना ही गंदा था।
उसका लंड पतला और लंबा था। उसके लंड का शेप भी कुछ टेढ़ा था। उसमें से पेशाब की बदबू आ रही थी। साफ़ सफ़ाई का ध्यान नहीं रखता था। उसके लंड के चारों ओर फ़ैला घना जंगल भी गंदा दिख रहा था। लेकिन मैं आज इनके हाथों बेबस थी। मुझे तो उनकी पसंद के अनुसार हरकतें करनी थी। मेरी पसंद नापसंद की किसी को परवाह नहीं थी। अगर मुझसे पूछा जाता तो ऐसे गंदों से अपने जिस्म को नुचवाने से अच्छा मैं किसी और के नीचे लेटना पसंद करती।
मैंने ना चाहते हुए भी अपने होंठों को खोला तो उसका लंड… जितना सा भी सुराख मिला उसमें रस्तोगी ने उसे ठेलना शुरू किया। मैंने अपने मुँह को पूरा खोल दिया तो उसका लंड मेरे मुँह के अंदर तक चला गया। मुझे एक जोर की उबकाई आयी जिसे मैंने जैसे तैसे जब्त किया। रस्तोगी मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड को अंदर ठेलने लगा लेकिन उसका लंड आधा भी मेरे मुँह में नहीं घुस पाया और उसका लंड मेरे गले में जा कर फ़ंस गया। उसने और अंदर ठेलने की कोशिश की तो उसका लंड गले के छेद में फ़ंस गया। मेरा दम घुटने लगा तो मैं छटपटाने लगी। मेरे छटपटाने से स्वामी के काम में रुकावट आ रही थी इसलिये वो मेरी चूत से अपना मुँह हटा कर रस्तोगी से लड़ने लगा।
“अबे इसे मार डालेगा क्या। तुझे क्या अभी तक किसी सी अपना लंड चुसवाना भी नहीं आया?”
रस्तोगी अपने लंड को अब कुछ पीछे खींच कर मेरे मुँह में आगे पीछे धक्के लगाने लगा। उसने मेरे सिर को सख्ती से अपने दोनों हाथों के बीच थाम रखा था। जावेद मेरे पास खड़ा मुझे दूसरों से आगे पीछे से इस्तमाल किये जाते देख रहा था। उसका लंड बुरी तरह तना हुआ था। यहाँ तक कि स्वामी भी मेरी चूत को चूसना छोड़ कर मेरे और रस्तोगी के बीच लंड-चुसाई देख रहा था।
“योर वाईफ इज़ एक्सीलेंट! शी इज़ अ रियल सकर”, स्वामी ने जावेद को कहा।
उसका लंड पतला और लंबा था। उसके लंड का शेप भी कुछ टेढ़ा था। उसमें से पेशाब की बदबू आ रही थी। साफ़ सफ़ाई का ध्यान नहीं रखता था। उसके लंड के चारों ओर फ़ैला घना जंगल भी गंदा दिख रहा था। लेकिन मैं आज इनके हाथों बेबस थी। मुझे तो उनकी पसंद के अनुसार हरकतें करनी थी। मेरी पसंद नापसंद की किसी को परवाह नहीं थी। अगर मुझसे पूछा जाता तो ऐसे गंदों से अपने जिस्म को नुचवाने से अच्छा मैं किसी और के नीचे लेटना पसंद करती।
मैंने ना चाहते हुए भी अपने होंठों को खोला तो उसका लंड… जितना सा भी सुराख मिला उसमें रस्तोगी ने उसे ठेलना शुरू किया। मैंने अपने मुँह को पूरा खोल दिया तो उसका लंड मेरे मुँह के अंदर तक चला गया। मुझे एक जोर की उबकाई आयी जिसे मैंने जैसे तैसे जब्त किया। रस्तोगी मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड को अंदर ठेलने लगा लेकिन उसका लंड आधा भी मेरे मुँह में नहीं घुस पाया और उसका लंड मेरे गले में जा कर फ़ंस गया। उसने और अंदर ठेलने की कोशिश की तो उसका लंड गले के छेद में फ़ंस गया। मेरा दम घुटने लगा तो मैं छटपटाने लगी। मेरे छटपटाने से स्वामी के काम में रुकावट आ रही थी इसलिये वो मेरी चूत से अपना मुँह हटा कर रस्तोगी से लड़ने लगा।
“अबे इसे मार डालेगा क्या। तुझे क्या अभी तक किसी सी अपना लंड चुसवाना भी नहीं आया?”
रस्तोगी अपने लंड को अब कुछ पीछे खींच कर मेरे मुँह में आगे पीछे धक्के लगाने लगा। उसने मेरे सिर को सख्ती से अपने दोनों हाथों के बीच थाम रखा था। जावेद मेरे पास खड़ा मुझे दूसरों से आगे पीछे से इस्तमाल किये जाते देख रहा था। उसका लंड बुरी तरह तना हुआ था। यहाँ तक कि स्वामी भी मेरी चूत को चूसना छोड़ कर मेरे और रस्तोगी के बीच लंड-चुसाई देख रहा था।
“योर वाईफ इज़ एक्सीलेंट! शी इज़ अ रियल सकर”, स्वामी ने जावेद को कहा।